कृषि उत्पादों का निर्यात भारत के 350 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। कृषि उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहन देने एवं 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सरकार, कृषि निर्यात नीति लाई। इस नीति के माध्यम से कृषि उत्पादों का निर्यात दोगुना करने में मदद मिलेगी और भारतीय किसान और उनके उत्पाद वैशि्वक मूल्यशृंखला का हिस्सा बन सकेंगे।
कृषि निर्यात वृद्धि का ‘फॉरवर्ड एंड बैकवार्ड लिंकेज’पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। यह रोजगार बढ़ाएगा और मांग में वृद्धि करेगा; क्योंकि 40% से अधिक कार्यबल प्राथमिक गतिविधियों में लगे हुए हैं। इससे समग्र मांग में अधिक वृद्धि होगी, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा मिलेगा।
उद्देश्य
2022 तक कृषि निर्यात को मौजूदा 30 अरब डॉलर से बढ़ाकर 60 अरब डॉलर करना तथा एक टिकाऊ व्यापार नीति के माध्यम से अगले कुछ वर्षों में इसे 100 अरब डॉलर तक पहुंचाना।
कृषि निर्यात नीति के तत्व
कृषि निर्यात नीति में सिफारिशों को दो श्रेणियों में बाँटा गया है रणनीतिक और परिचालनः
रणनीतिक |
1. नीतिगत उपाय |
2. ढांचागत और लॉजिस्टिक मदद |
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3. निर्यात को बढ़ावा देने के लिए व्यापक प्रयास |
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4. कृषि निर्यात में राज्य सरकारों की अधिक भागीदारी |
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5. कृषि उत्पाद के सामूहिक केंद्रों पर ध्यान देना |
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6. मूल्यवर्द्धित निर्यात को बढ़ावा देना |
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7. ब्रांड इंडिया का विपणन और प्रचार |
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परिचालन |
1. उत्पादन और प्रसंस्करण में निजी निवेश को आकर्षित करना। |
2. कड़े गुणवत्ता मानक स्थापित करना |
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3. अनुसंधान और विकास |
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4. विविध |
निष्कर्ष
भारत की लगभग 70 प्रतिशत आबादी गाँवों में रहती है एवं कृषि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जो बदले में भारत की रीढ़ बनती है। 5 ट्रिलियन डॉलर के सपने को कृषि क्षेत्र की वृद्धि के बिना साकार नहीं किया जा सकता है। कृषि निर्यात नीति भारतीय अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर बनाने की राह पर अग्रसर करेगा।