रसद विकास समिति की रिपोर्ट

प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद ने डॉ. बिबेक देबरॉय की अध्यक्षता में एक रसद (Logistics) विकास समिति का गठन किया। समिति को रसद विकास संबंधित वाणिज्य में प्रमुख चुनौतियों का आकलन करने और भारत में व्यापार सुगमता पर नीतिगत सुधारों का सुझाव देने का काम सौंपा गया था।

पृष्ठभूमि

रसद आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कुशल और सस्ते लॉजिस्टिक्स विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनने के लिए आवश्यक है। हालाँकि भारत में उच्च रसद लागत है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को कम प्रतिस्पर्द्धी बनाती है।

  • आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 के अनुसार, भारतीय रसद क्षेत्र 22 मिलियन से अधिक लोगों को आजीविका प्रदान करता है और इस क्षेत्र में सुधार से अप्रत्यक्ष रसद लागत में 10% की कमी होगी, जिससे निर्यात में 5 से 8% की वृद्धि होगी।

राष्ट्रीय रसद नीति का मसौदा

रसद विकास समिति की रिपोर्ट के आलोक में रसद विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय रसद नीति का मसौदा तैयार किया गया। इस मसौदा को तैयार करने में रेलवे मंत्रालय, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, जहाजरानी और नागरिक उड्डयन मंत्रालय से परामर्श लिया गया है। जरूरत है कि चारों मंत्रालयों और उनके विभागों को रसद शृंखला में एक-दूसरे का समर्थन कर मौजूदा बुनियादी ढांचे का लाभ उठाने की, जो क्षमता का अधिकतम उपयोग कर, लागत को कम करने में मदद करेगा।

नीति का उद्देश्य 2022 तक भारत की रसद लागत को जीडीपी के वर्तमान 14% से घटाकर 10% करना है।

यह नीति निम्नलिखित बातों का वादा करती है, जो भारत को 350 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था बनाने के अनुकूल हैं:

  • भारत में सभी लॉजिस्टिक्स और ट्रेड फैसिलिटेशन मामलों के लिए एकल बिंदु बनाना।
  • वर्तमान मोडल मिक्स (सड़क- 60%, रेल- 31%, पानी- 9%) का अनुकूलन अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क (सड़क- 25-30%, रेल- 50-55%, पानी- 20-25%) के अनुरूप करना।
  • मल्टी मोडल इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास करना।
  • ‘वन स्टॉप मार्केटप्लेस’के रूप में एक राष्ट्रीय रसद ई-मार्केटप्लेस बनाना। यह सिंगल विंडो पोर्टल विभिन्न लॉजिस्टिक्स सर्विस प्रोवाइडर्स जैसे वेयरहाउसिंग सर्विस प्रोवाइडर्स, शिपिंग लाइन्स, ट्रांसपोर्टर्स आदि तथा नियामक सेवाओं में शामिल विभिन्न सरकारी एजेंसियों की मेजबानी करेगा।
  • निर्यात/आयात के लिए प्रलेखन का सरलीकरण, सीमा शुल्क और प्रमाणन से संबंधित प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण के माध्यम से पारदर्शिता को बढ़ावा देना।
  • अतिरिक्त 10-15 मिलियन रोजगार का सृजन करना।
  • भंडारण बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता में सुधार करना।
इस प्रकार यह नीति भारत को रसद लागत में विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनाने के लक्ष्य को दिशा प्रदान करती है।
  • सर्वेक्षण का अनुमान है कि भारतीय रसद बाजार का मूल्य वर्तमान में लगभग 160 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में अगले दो वर्षों में लगभग 215 बिलियन अमेरिकी डॉलर होगा। हालांकि भारत में रसद लागत सकल घरेलू उत्पाद का 13-14% है, जो कि विश्व औसत 9% की तुलना में अत्यधिक अप्रतिस्पर्द्धी बनाता है।
  • इसलिए, सरकार सुधारों को लागू करने के प्रति दृढ़ संकल्प है, ताकि एक सुचारु और कुशल रसद मूल्य शृंखला (Logistics Value Chain) बनाया जा सके।

अनुशंसाए

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत रसद विभाग का जीर्णाेद्धार करना एवं रसद पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक स्वतंत्र विभाग बनाना।

  • जोखिम प्रबंधन प्रणाली (RMS) का उपयोग करके विश्वास-आधारित निकासी (trust-based clearance) की ओर शिफ्ट करना।
  • भारत में प्रति टन सड़क माल ढुलाई लागत अमेरिका की तुलना में लगभग दोगुनी है, जिसे कम करना।

प्रभाव

भारत में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के मार्गावरोधों की पहचान करता है।

  • मंत्रालय के रसद नियामक तंत्र में परिवर्तन की सलाह देता है।
  • रेल-सड़क कनेक्टिविटी पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • रेलवे-वायुमार्ग कनेक्टिविटी पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • सरकार को प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर विनियामक शासन से विश्वास आधारित मॉडल (trust based model) की तरफ स्थानांतरित होने की सलाह देता है।