प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद ने डॉ. बिबेक देबरॉय की अध्यक्षता में एक रसद (Logistics) विकास समिति का गठन किया। समिति को रसद विकास संबंधित वाणिज्य में प्रमुख चुनौतियों का आकलन करने और भारत में व्यापार सुगमता पर नीतिगत सुधारों का सुझाव देने का काम सौंपा गया था।
पृष्ठभूमि
रसद आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कुशल और सस्ते लॉजिस्टिक्स विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनने के लिए आवश्यक है। हालाँकि भारत में उच्च रसद लागत है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को कम प्रतिस्पर्द्धी बनाती है।
राष्ट्रीय रसद नीति का मसौदा रसद विकास समिति की रिपोर्ट के आलोक में रसद विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय रसद नीति का मसौदा तैयार किया गया। इस मसौदा को तैयार करने में रेलवे मंत्रालय, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, जहाजरानी और नागरिक उड्डयन मंत्रालय से परामर्श लिया गया है। जरूरत है कि चारों मंत्रालयों और उनके विभागों को रसद शृंखला में एक-दूसरे का समर्थन कर मौजूदा बुनियादी ढांचे का लाभ उठाने की, जो क्षमता का अधिकतम उपयोग कर, लागत को कम करने में मदद करेगा। नीति का उद्देश्य 2022 तक भारत की रसद लागत को जीडीपी के वर्तमान 14% से घटाकर 10% करना है। यह नीति निम्नलिखित बातों का वादा करती है, जो भारत को 350 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था बनाने के अनुकूल हैं:
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अनुशंसाए
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत रसद विभाग का जीर्णाेद्धार करना एवं रसद पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक स्वतंत्र विभाग बनाना।
प्रभाव
भारत में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के मार्गावरोधों की पहचान करता है।