राष्ट्रीय समुद्री मत्स्य पालन नीति

यह समुद्री मत्स्य पालन पर राष्ट्रीय नीति है, जिसका लक्ष्य भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) के समुद्री जीव संसाधनों के स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी अखंडता सुनिश्चित करना है। यह नीति राष्ट्र की वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों को धारणीय रूप से पूरा करने को ध्यान में रखता है। यह सात रणनीति के माध्यम से अपने लक्ष्यों को प्राप्त करता है, जो हैं - सतत विकास, मछुआरों का सामाजिक-आर्थिक उत्थान, सब्सिडी का सिद्धांत, साझेदारी, अंतर-पीढ़ीगत इक्विटी, लैंगिक न्याय और निवारक दृष्टिकोण।

मुख्य विशेषताएं

नीति में वैज्ञानिक मानदंडों के आधार पर समुद्री मत्स्यन के लिए समुद्र में विशेष क्षेत्रों का सीमांकन करने का प्रस्ताव है।

  • नीति के जोखिम मूल्यांकन और निगरानी के पश्चात, आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) प्रजातियों की पालन के विचार को रखा है।
  • देश में समुद्री मत्स्यन उत्पादन को बढ़ाकर और उद्यमिता प्रतिभा को पोषण देकर आय और रोजगार के अवसरों को स्थायी रूप से बढ़ाना।
  • स्थानीय मछली पकड़ने के समुदायों की आजीविका के अधिकार को ध्यान में रखते हुए, पर्यावरणीय मापदंडों का वैज्ञानिक मूल्यांकन।
  • ऑफ-शोर प्रौद्योगिकी पार्क और तटीय तटबंध प्रणाली की स्थापना करना; ताकि मछली प्रजनन, पैकेजिंग और मछली से संबंधित उत्पादों के निर्यात का समर्थन प्रदान किया जा सके।
  • यह वित्तीय सहायता कार्यक्रमों के सम्बन्ध में सरकार को नीतिगत सलाह देती है, जिसमें प्राथमिकता वाली ऋण योजनाएं, अनुदानित ऋण और निवेश सब्सिडी शामिल हैं।

नोटः समुद्री संरक्षित क्षेत्र, पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र जैसे प्रवाल भित्ति, मैंग्रोव, समुद्री घास और रणनीतिक रुचि वाले अन्य तटीय क्षेत्रों को समुद्री कृषि क्षेत्र नहीं माना जाएगा।

उद्देश्य

देश में समुद्री मत्स्यन उत्पादन को बढ़ाने और स्थायी तरीके से आय और रोजगार के अवसरों को बढ़ाना।

  • तकनीकी और वित्तीय आदानों की सुविधा के द्वारा समुद्री मत्स्यन में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना।
  • समुद्री मत्स्यन के विकास के लिए पर्यावरणीय रूप से स्थायी दृष्टिकोण अपनाना।