राष्ट्रीय अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि नीति (National Inland Fisheries and Aquaculture Policy - NIFAP) की परिकल्पना मत्स्य पालन और जलीय कृषि की ट्रांस-बाउंड्री प्रकृति को ध्यान में रख कर की गई है। छप्थ्।च् में मीठे पानी और खारे पानी सहित सभी अंतर्देशीय मत्स्य संसाधनों के विकास और प्रबंधन को शामिल किया गया है। मत्स्य पालन के लिए प्रासंगिक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय उपकरणों और नीतियों के समग्र ढांचे उपलब्ध कराने तथा प्रबंधन के लिए ‘इकोसिस्टम एप्रोच टू फिशरीज’ (EAF) को अपनाया गया है।
कार्यान्वयन के लिए रणनीति
1. अंतर्देशीय मत्स्यिकी का संरक्षण
नदीय मत्स्यिकी (Riverine Fisheries): राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को देशी मछली स्टॉक के संरक्षण और पुनर्वास को सशक्त बनाने की आवश्यकता है।
जलाशय मत्स्यिकी (Reservoir Fisheries): सभी मानव निर्मित जलाशयों में मत्स्य पालन के प्रबंधन को राज्य के मत्स्य विभाग (एस)/ एजेंसियों को स्थानांतरित करने की आवश्यकता है, जिन्हें वैज्ञानिक मत्स्य संवर्द्धन कार्यक्रमों और कुशल शासन ढांचे के तहत संचालित किया जाय।
उद्देश्य अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि संसाधनों का प्रभावी प्रबंधन, ताकि बेहतर उपयोग और निरंतर दोहन हो सके।
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ठंडे पानी की मछलियां
हिमालय एवं उत्तर-पूर्वी राज्यों में मत्स्य पालन विकसित करने के लिए विकास तथा संरक्षण कार्यक्रमों के साथ नीतियां और कानून आवश्यक हैं।
2. जलीय कृषि
जलीय कृषि का विकासः अंतर्देशीय खारा और मीठे पानी वाले क्षेत्रों में झींगा पालन के विस्तार के लिए राज्य कार्य योजना विकसित करना। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को प्रत्येक तटीय ब्लॉक और जिलों के लिए एकीकृत तटीय जलीय कृषि विकास योजना तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
विदेशी प्रजातियों का समावेश और विनियमनः किसी भी विदेशी प्रजाति की प्रविष्टि आयात, प्रजनन और कृषि मौजूदा राष्ट्रीय कानूनों / नियमों के अनुसार विनियमित किए जाने की आवश्यकता है।
खाद्य सुरक्षा और व्यापार
गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा मानकों को राष्ट्रीय नियामक ढांचे के अनुरूप प्रभावी ढंग से लागू किया जाना चाहिए, जिससे उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा हो सके।
शासन और संस्थाएं
अंतर-क्षेत्रीय समन्वयः भारत सरकार के मत्स्य विभाग को जल संसाधनों के प्रबंधन के लिए गठित राष्ट्रीय स्तर की समिति का प्रतिनिधित्व करना चाहिए। जल उपयोग, नदी प्रबंधन, वाटरशेड प्रबंधन और ग्रामीण विकास में मत्स्य पालन क्षेत्र के महत्व को मान्यता प्राप्त करने की आवश्यकता है।
जल का उपयोग और प्रबंधनः राष्ट्रीय जल नीति, 2012 बुनियादी मानव आवश्यकताओं के लिए जल के उपयोग को मान्यता देती है। राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के मत्स्य विभाग को राजस्व विभागों और अन्य एजेंसियों के साथ जुड़ना होगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि तालाबों और टैंकों का उपयोग मत्स्य पालन तथा जलीय कृषि के लिए किया जा रहा है।
जलीय कृषि के लिए सार्वजनिक जल निकायों का पट्टाः राज्यों को सार्वजनिक जल निकायों के लिए व्यापक पट्टे और लाइसेंसिंग दिशा-निर्देश विकसित करने चाहिए; जिसमें स्थानीय मछली पकड़ने वाले समुदायों और उनकी सहकारी समितियों को प्राथमिकता दी जा सकती है।
अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि डेटाबेस का सुदृढ़ीकरणः नियमित अंतराल पर अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि से सम्बंधित डेटा इकठ्ठा किया जाना चाहिए। इससे उत्पादन सहित संसाधन उपयोग की व्यापक तस्वीर प्राप्त किया जा सकेगा।