भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण स्थान है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग कृषि एवं अर्थव्यस्था दोनों के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। विकसित खाद्य प्रसंस्करण उद्योग अपव्यय को कम करने में मदद करने के साथ, फसल विविधीकरण, मूल्य संवर्द्धन, रोजगार आदि को भी बढ़ावा देता है। यह क्षेत्र खाद्य सुरक्षा, खाद्य मुद्रास्फीति और जनता को पौष्टिक भोजन प्रदान करने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों के समाधान में भी सहायक है।
उद्देश्य अपव्यय को कम करना, मूल्यवर्द्धन में वृद्धि करना, उपभोक्ताओं के लिए सस्ती और गुणवत्तापूर्ण उपज की उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए किसानों के लिए बेहतर मूल्य सुनिश्चित करना।
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प्रभाव
नीति का संभावित प्रभाव निम्नलिखित होगा-
सामाजिक एवं आर्थिक प्रभावः खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की वृद्धि देश के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। यह कृषि और उद्योग को जोड़ता है। मॉडल नीति विभिन्न पहलों को रेखांकित करती है, जिसमें राज्य खाद्य प्रसंस्करण समूहों को बढ़ावा देने, खाद्य पार्कों के विकास, उद्यमशीलता को बढ़ावा देने, कौशल केंद्रों की स्थापना करने जैसी पहलें शामिल हैं।
पर्यावरणीय प्रभावः नीति जैव अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन सहित धारणीय पर्यावरण को अपनाने पर बल देती है।
गुणवत्ता, स्वास्थ्य और सुरक्षाः खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को उच्चतम गुणवत्ता, स्वच्छता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करना।