समावेशी भारत अभियान

इस अभियान को 2017 में बौद्धिक और विकासात्मक दिव्यांग व्यक्तियों को मुख्य धारा में शामिल करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। यह शिक्षा, रोजगार जैसे सामाजिक जीवन के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं तक पहुंच सुनिश्चित करने पर केन्द्रित है।

  • समावेशी भारत अभियान के तीन मुख्य फोकस क्षेत्र हैं- समावेशी शिक्षा, समावेशी रोजगार और समावेशी सामुदायिक जीवन। इसके लिए नोडल एजेंसी राष्ट्रीय ट्रस्ट (सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय) है, जो एक सांविधिक निकाय है।

समाधान

  1. सरकार को पीडब्ल्यूडी के कल्याण के लिए विभिन्न योजनाओं और नीतियों के बीच समन्वय का प्रयास करना चाहिए, जैसे कि सुगम्य भारत को समावेशी भारत अभियान से जोड़कर और अधिक प्रभावी बनाना।
  2. लोक-हितैषी आधारित दृष्टिकोण की जगह अधिकार आधारित दृष्टिकोण अपनाना।
  • इसकी सफलता के लिए योजनाबद्ध तरीके से प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

चुनौतियां

  • शिक्षकों और समुदाय का नकारात्मक दृष्टिकोण।
  • कुशल मानव और भौतिक संसाधनों की कमीः गैर सरकारी संगठन के सर्वेक्षण के अनुसार 70% शिक्षकों ने विशेष शिक्षा में प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया है और न ही दिव्यांग छात्रों को पढ़ाने का कोई अनुभव है।
  • आधारभूत संरचना का अभाव।