पहले भी जुर्माना किए जाने के बावजूद न्याय प्रणाली को ठप करने के लिए मामलों में कानून के समान सवालों पर बार-बार अपील दायर करने के कारण सर्वोच्च न्यायालय नेही में केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। यह देखा गया है कि न्यायालयों में लंबित मामलों में लगभग 46 प्रतिशत केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा दायर किए गए हैं या उनमें से एक पार्टी के रूप में राज्य सरकार है। आर्थिक सर्वेक्षण में भी इस समस्या को उजागर किया गया है। आर्थिक सर्वेक्षण 2018 में सरकारी विभागों द्वारा बड़े पैमाने पर मुकदमेबाजी की ओर इशारा किया गया है। इसके कारण निम्न सजा दरों, रुकी हुई परियोजनाओं, अत्यधिक कानूनी लागतों, बढ़ते कर राजस्व विवाद और घटते निवेश के परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था गंभीर रूप से प्रभावित हुई है।
अत्यधिक सरकारी मुकदमों के कारण
मुकदमेबाजी को कम करने के उपाय
आगे की राह
राष्ट्रीय अभियोजन नीति की समीक्षा चल रही है, लेकिन भारत सरकार को एक ‘‘आदर्श पक्षकार’’ में रूपांतरित होने के लिए निम्नलिखित महत्वपूर्ण उपायों का पालन करना चाहिए,
मध्य प्रदेश अभियोजन नीति 2018 मध्य प्रदेश सरकार ने हाल ही में अपनी अभियोजन नीति 2018 में कोई मुकदमा हारने या अप्रासंगिक मुकदमों को दायर करते पाए जाने पर उसका भार अधिकारियों पर डाला है। यह नियम मुकदमेबाजी के मामलों को कम करने में एक निवारक उपाय के रूप में कार्य कर सकता है। इसका मनमाना नहीं, वरन बुद्धिमानी से उपयोग किया जाना चाहिए। इसे समझने की जरूरत है कि आयकर विभाग का कर संबंधी मामलों को दर्ज करने और सार्वजनिक हित में इसे आगे बढ़ाने का विशेषाधिकार है। लेकिन इससे सामान्य वादियों के मामलों की सुनवाई में देरी के कारण उनको न्याय मिलने में बाधा नहीं उत्पन्न होनी चाहिए। |