भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 15 फरवरी, 2017 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से एक प्रक्षेपण यान द्वारा सर्वाधिक 104 उपग्रहों को एक साथ प्रक्षेपित कर अंतरिक्ष जगत में इतिहास रच दिया। ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी37 (PSLV C-37) के XL संस्करण के जरिए किए गए इस प्रक्षेपण से 714 किग्रा. वजनी कार्टोसैट-2 शृंखला के एक उपग्रह के अतिरिक्त 103 नैनो उपग्रहों को भी प्रक्षेपित किया गया।
इन कुल 104 उपग्रहों में 3 स्वदेशी तथा 101 विदेशी उपग्रह शामिल थे। स्वदेशी उपग्रहों में कार्टोसैट-2शृंखला के एक उपग्रह के अलावा 2 नैनो उपग्रह, इसरो नैनो उपग्रह-1 (INS-1) तथा इसरो नैनो उपग्रह-2 (INS-2) प्रौद्योगिकी प्रदर्शक (technology demonstrator) के रूप में प्रक्षेपण में सम्मिलित थे। इसके साथ ही 101 विदेशी उपग्रहों में भारत के अतिरिक्त 6 देशों- इजराइल, कजाकिस्तान, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड तथा संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के एक-एक व संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के 96 उपग्रहों को एक साथ प्रक्षेपित किया गया। सभी उपग्रहों का कुल वजन 1378 किलोग्राम है।
पीएसएलवी-सी37 द्वारा संपन्न यह उड़ान पीएसएलवी की 1993 से शुरू होकर कुल 39वीं तथा लगातार सफल 38वीं उड़ान थी जिसके प्रोजेक्ट डायरेक्टर बी जयकुमार थे। इसके साथ ही भारत के पीएसएलवी द्वारा छोड़े गए विदेशी उपग्रहों की संख्या बढ़कर 180 पहुंच गई। ध्यातव्य है कि PSLV सहित इसरो द्वारा कुल मिलाकर 226 उपग्रहों को प्रक्षेपित किया गया है जिसमें 179 विदेशी हैं। उल्लेखनीय है कि इसके पहले 2014 में एक बार में सबसे अधिक उपग्रह प्रक्षेपित करने का श्रेय अब तक रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रॉस्कॉस्मॉस के पास था, जिसने एक बार में कुल 37 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया था। वहीं अमेरिका के नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस ऐडमिनिस्ट्रेशन द्वारा 2013 में कुल 29 उपग्रहों का एक साथ प्रक्षेपण किया गया था। भारत ने भी PSLV-C34 के जरिए 22 जून, 2016 को 20 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया था। ध्यान देने योग्य है कि अभी तक 46 भारतीय उपग्रहों को पीएसएलवी द्वारा प्रक्षेपित किया गया है।
पीएसएलवी-सी37 द्वारा प्रक्षेपित 104 उपग्रहः
कार्टोसैटशृंखला का प्रक्षेपित यह उपग्रह 2007 से प्रारंभ हुई कार्टोसैटशृंखला के 6 उपग्रहों का 5वां संस्करण (कार्टोसैट-2D) था। इस प्रकार कार्टोसैटशृंखला के पांच उपग्रहों का प्रक्षेपण संपन्न हो चुका है जिसका विवरण इस प्रकार है-
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सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लांच पैड से प्रक्षेपित होने के 16 मिनट 48 सेकंड बाद सभी 104 उपग्रह 506 किमी- ऊंची तथा विषुवत रेखा से 97.46° के कोण पर स्थित ध्रुवीय सूर्य समकालिक कक्षा (Polar Sun Synchronous Orbit) में पहुंच गए तथा अगले 12 मिनट में कार्टोसैट-2शृंखला से शुरू करके सभी 104 उपग्रह अपने पूर्वनिर्धारित क्रम में पीएसएलवी की चौथी स्टेज से पृथक हो गए। इस प्रकार से प्रक्षेपण की कुल समयावधि लगभग 29 मिनट रही। अलग होने के पश्चात कार्टोसैट-2 शृंखला की दो सौर सारणियां (Solar Arrays) स्वतः विस्तारित हो गईं तथा बेंगलूरू स्थित इसरो के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग व कमांड नेटवर्क (Telemetry, Tracking and Command Network - ISTRAC) ने उपग्रह संचालन को अपने नियंत्रण में ले लिया। आने वाले दिनों में कार्टोसैट-2शृंखला के इस भू-अवलोकन उपग्रह को अपने अंतिम परिचालन विन्यास (Final Operational Configuration) की स्थिति में लाया जाएगा जिसके पश्चात ये अपने पैनक्रोमैटिक (Panchromatic) तथा मल्टीस्पेक्ट्रल कैमरों के प्रयोग द्वारा रिमोट सेंसिंग सेवाएं प्रदान करना प्रारंभ कर देगा।