रूसी राष्ट्रपति ब्लादीमीर पुतिन ने हाल में कहा कि ‘आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस न केवल रूस वरन् संपूर्ण मानवजाति का भविष्य है। यह विशाल अवसर के साथ-साथ विशाल खतरों का भी आमंत्रण है जिसका पूर्वानुमान कठिन है। जो भी इस क्षेत्र का नेतृत्व करेगा वह इस विश्व को शासित करेगा।’ आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस के संदर्भ में रूसी राष्ट्रपति के उपर्युक्त बयान के कुछ दिन पश्चात ही टेस्ला एवं स्पेस एक्स कंपनी के सीईओ एलन मस्क ने चेतावनी दे डाली कि ‘राष्ट्रीय स्तर पर आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस के लिए प्रतिस्पर्धा तृतीय विश्व युद्ध का कारण बनेगा।’
टेक इंडस्ट्री की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में विश्व के तीन देश_ संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन एवं भारत आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस की दौड़ में सबसे आगे हैं। परंतु मस्क के अनुसार भविष्य में विश्व के अन्य देशों के भी कोई भी साधन अपनाकर उपर्युक्त तीनों देशों के बराबर पहुंचने की आशंका है। सरकारों को इसके लिए किसी दिशा-निर्देशों का पालन करने की जरूरत नहीं है। यदि जरूरत पड़े तो वे विभिन्न कंपनियों द्वारा विकसित आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस को बंदूक की नोक पर हासिल करेंगे। इसके अलावा यदि आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस को लगता है कि विजय के लिए पूर्व हमला जरूरी है तो वह युद्ध की शुरुआत भी कर सकती है। एलन मस्क विश्व के उन 100 लोगां में शामिल हैं जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासचिव से घातक स्वचालित हथियारों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। यदि एक बार इनका विकास कर लिया जो ये स्वचालित हथियार सशस्त्र संघर्षों को पूर्व से कहीं अधिक व्यापक स्तर पर तथा तीव्रता से ले जाएंगे जो मनुष्य की सोच से कहीं आगे होगा।
यह आतंक का हथियारहो सकता है, यह वह शस्त्र हो सकता है जिसे तानाशाह या आतंकवादी निर्दोष लोगों के खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है और इसे अवांछनीय तरीकेसे व्यवहार करने के लायक बनाया जा सकता है।
मनुष्य, कंप्यूटर सिस्टम के सामर्थ्य को अपनी सुविधानुसार, विविध कार्यक्षेत्रें में, तेज गति और कम समय में कार्य करने के लिए निरंतर विकसित कर रहा है। तेजी से विकसित होती कंप्यूटर सामर्थ्य ने मनुष्य के समक्ष कुछ चुनौतियाँ भी प्रस्तुत की हैं। हॉलीवुड फिल्मों में अक्सर दिखाई जाने वाली मशीनों एवं मानवों की जंग को तो काल्पनिक कहा जा सकता है किन्तु हाल ही में फेसबुक ने अपने एक आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सिस्टम को विकसित करने का काम बंद कर दिया है क्योंकि इस सिस्टम ने अपना मस्तिष्क विकसित कर खुद के लिये एक अलग भाषा विकसित कर ली थी।
रोबोटों के अपनी ही भाषा में बात शुरू कर देने के चलते फेसबुक द्वारा यह प्रयोग बीच में ही छोड़ देने के बाद आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (एआई) बनाम इंसानी बुद्धिमता के मुद्दे पर बहस फिर तेज हो गयी है।
हाल में अलीबाबा समूह के संस्थापक जैक मा ने भी आगाह किया था कि आने वाले 30 सालों में मशीनों की बुद्धिमत्ता यानी आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस इंसानी बुद्धिमता को पीछे छोड़ देगी जिससे दुनिया भर में नौकरियों में कमी आ सकती है।
जैक मा के अनुसार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तीसरे विश्व युद्ध का कारण भी बन सकती है। उन्होंने कहा है कि जब-जब तकनीकी क्रांति हुई है विश्व युद्ध हुए हैं और उनके मुताबिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तीसरी तकनीकी क्रांति है।
आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस का रोजगार पर प्रभाव
आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस का रोजगार पर व्यापक रूप से प्रभाव होगा इसमें दो प्रकार के मत है। प्रथम मत वालों का मानना है कि तीसरी औद्योगिक क्रांति के दौरान इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी ने उम्मीद के ठीक विपरीत रोजगार के प्रचुर अवसर उपलब्ध कराए।
1970 के दशक में जब पहली बार स्वचालित टेलर मशीन बाजारों में पहुंचा तो लोगों को लगा कि यह खुदरा बैंकिंग में श्रमिकों के लिये एक आपदा के समान है। लेकिन, वास्तव में बैंकिंग सेवा क्षेत्र की नौकरियों में वृद्धि देखी गई। विशेषज्ञों का मानना है कि तकनीकीकरण से रोजगार की उपलब्धता में कमी नहीं आती, बल्कि रोजगार के तरीके बदल जाते हैं। उन लोगों का मानना है कि एआई से रोजगार में कमी नहीं आएगी, बल्कि रोजगार की प्रकृति बदल जाएगी। इसके विपरीत कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इससे रोजगार पर नकारात्मक प्रभाव होगा।
आर्टिफीिशयल इंटेलिजेंस आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस दो शब्दों से मिलकर बना है। आर्टिफीशियल, जिसका मतलब होता है ऐसी वस्तु जो प्राकृतिक नही हो कृत्रिम हो मतलब कि उसे मानव के द्वारा बनाया गया हो प्रकृति द्वारा नही। इंटेलिजेंस, इसका तात्पर्य है सोचने, समझने एवं सीखने की योग्यता है। अर्थात कृत्रिम बुद्धिमत्ता का तात्पर्य बुद्धिमान मशीनों से है जो मानव द्वारा निर्मित हैं तथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रदर्शित करती हैं। इसे चार भागों में विभाजित कर सकते हैं। इंसान की तरह सोचना, इंसान की तरह व्यवहार करना, तर्क एवं विचारों युक्त समझ संवदेनशील, बुद्धिमान, तथ्यों को समझना एवं तर्क एवं विचारों पर अपनी प्रतिक्रिया भी देना। इस तरह कृत्रिम तरह से एक ऐसा सिस्टम विकसित करना जो इंसान की तरह कार्य कर सके, सोच सके एवं अपनी प्रतिक्रिया दे सके है। |