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Topper 64वीं बीपीएससी परीक्षा (राजस्व अधिकारी)
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सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः 64वीं बीपीएससी में शानदार सफलता के लिए आपको हार्दिक बधाई।
दिव्य प्रकाशः आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपकी सफलता में परिवार, मित्रें व शिक्षकों का सहयोग कैसा रहा? आपकी पृष्ठभूमि ने आपकी सफलता में किस प्रकार योगदान किया?
दिव्य प्रकाशः मेरा स्पष्ट मानना है कि, अगर परिवार का साथ ना हो तो मंजिल के रास्ते काफी मुश्किल हो जाते हैं। मैं खुशनसीब हूँ कि मुझे मेरे परिवार का भरपूर साथ और सहयोग मिला। परिवार की तरफ से कभी कोई अनावश्यक दबाव मेरे ऊपर नहीं था। मित्रें का भी काफी सहयोग रहा और मैंने जिन-जिन शिक्षकों का संसर्ग प्राप्त किया सभी ने मेरा मार्गदर्शन किया।
मेरी मां बिहार सरकार में प्रधानाचार्या थीं। इसके कारण घर में शुरू से ही पढ़ाई-लिखाई का माहौल था। इसलिए मेरी पृष्ठभूमि ने हमेशा मुझे प्रेरित किया।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपने परीक्षा की तैयारी आरंभ कैसे की? तैयारी आरंभ करते समय आपने किन पहलुओं पर विशेष रूप से ध्यान दिया? परीक्षा की तैयारी शुरू करने का आदर्श समय क्या होना चाहिए?
दिव्य प्रकाशः मैं जब स्नातक के अंतिम वर्ष में था तब से सिविल सेवा में जाने को लेकर सोचना आरम्भ किया, परन्तु पूर्णतः तैयारी की शुरुआत एम-ए- के बाद की। तैयारी आरम्भ करने से पहले मैंने बीपीएससी परीक्षा के पूरे पैटर्न और पाठड्ढक्रम को समझा एवं तब तैयारी आरम्भ की। जहाँ तक तैयारी शुरू करने के आदर्श समय की बात है तो मेरा मानना है कि यह जितनी जल्दी हो उतना बेहतर है। हालाँकि मैंने काफी देर से तैयारी शुरू की। मेरे अनुसार कम से कम स्नातक प्रथम वर्ष से ही तैयारी आरम्भ हो जानी चाहिए।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः भाषा माध्यम के कारण क्या आपको कोई लाभ हुआ? क्या आप मानते हैं कि अंग्रजी भाषी लाभप्रद स्थिति में होते हैं?
दिव्य प्रकाशः मेरी भाषा हिंदी थी। भाषा के ऊपर मेरी पकड़ एवं मेरी लेखन शैली भी ठीक है। मेरी समझ में मुझे इसका काफी लाभ हुआ। मुझे ऐसा नहीं लगता है कि अंग्रेजी भाषा बहुत लाभप्रद स्थिति में है, क्योंकि वैकल्पिक विषय में मुझे 195 अंक मिले हैं और सामान्य अध्ययन 1 में मुझे 170 अंक मिले हैं, जो कई अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थियों से ज्यादा हैं। मेरा ऐसा मानना है कि भाषा जो भी हो, उसकी गहरी समझ और उस पर पकड़ एवं उचित लेखन शैली का होना अनिवार्य है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपका वैकल्पिक विषय क्या था? इसके चयन का आधार क्या था? क्या वैकल्पिक विषय के चयन में आपने कथित लोकप्रियता को भी आधार बनाया?
दिव्य प्रकाशः मेरा वैकल्पिक विषय भूगोल था। मेरे वैकल्पिक विषय के चयन का आधार कोई लोकप्रियता नहीं थी, वरन मेरी पृष्ठभूमि थी। दरअसल मेरा स्नातक और स्नातकोत्तर भूगोल से ही था और जब मैंने तैयारी आरम्भ की तो वैकल्पिक विषय को लेकर मैं स्पष्ट था, कि मुझे भूगोल ही रखना है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः परीक्षा के तीनों चरणों की तैयारी के लिए आप कितना समय उपयुक्त मानते हैं? तीनों चरणों की तैयारी में आपकी समय की रणनीति एक जैसी रही या उसमें बदलाव भी किए?
दिव्य प्रकाशः बीपीएससी की तैयारी में एक औसत दर्जे के विद्यार्थी के लिए अधिकतम 1-5 से 2 वर्ष पर्याप्त समय है।
तीनों चरणों की परीक्षा की तैयारी में समय की रणनीति अलग-अलग होती है। प्रारम्भ में आप औसत 6-7 घंटे भी पढ़ें तो काफी है। प्रारंभिक परीक्षा के तीन महीने पूर्व से 8-10 घंटे एवं मुख्य परीक्षा के समय 13-14 घंटे का समय देना चाहिए। हालांकि यह विद्यार्थी की क्षमता पर निर्भर करता है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन की अहमियत बढ़ा दी गई है। इसे पूरी तरह कवर करने व अच्छी तरह तैयार करने का सर्वाेत्तम तरीका क्या हो सकता है? मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन के विस्तृत पाठड्ढक्रम को देखते हुए इसकी तैयारी के लिए आपने क्या रणनीति अपनाई? परीक्षा भवन में प्रश्नों को हल करने के लिए क्या आपने कोई विशेष रणनीति अपनाई?
दिव्य प्रकाशः निश्चित रूप से मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन की काफी अहमियत है। इसके लिए मैंने अपनी तैयारी के आरम्भिक दौर में अपने समय को दो हिस्सों में बांटा था। एक हिस्सा वैकल्पिक विषय हेतु एवं दूसरा हिस्सा सामान्य अध्ययन हेतु। सामान्य अध्ययन के लिए मैंने सर्वप्रथम एनसीईआरटी को पढ़ा। मुख्य परीक्षा के समय मेरी सिर्फ करेंट अफेयर्स की तैयारी ही शेष थी, बाकी सभी हिस्सों का मात्र रिवीजन ही करना था। सामान्य अध्ययन का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा STATISTICS होता है और मेरा ऐसा मानना है कि इसके बिना परीक्षा उत्तीर्ण करना काफी मुश्किल है। इसके लिए मैं प्रारंभिक परीक्षा के बाद प्रतिदिन 2 प्रश्नों का अभ्यास करता था और कोशिश करता था कि 20 मिनट में एक प्रश्न बना लूं।
जहां तक परीक्षा भवन में प्रश्नों को हल करने की बात है, तो मैंने पहले पूरे इत्मिनान से सभी प्रश्नों को पढ़ा एवं उनमें से उन प्रश्नों का चयन किया जिनको मैं सबसे बेहतर निभा सकता था, इसका मुख्य पैमाना मेरे पास प्रश्नों की मांग के अनुरूप कंटेंट की उपलब्धता थी।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः क्या आपने अपने नोट्स बनाए? ये नोट्स किस प्रकार उपयोगी रहे? एक ही कोचिंग संस्थान के नोट्स का उपयोग कई छात्र करते हैं। ऐसे में इन नोट्स को औरों से अलग बनाने हेतु आपने क्या रणनीति अपनाई?
दिव्य प्रकाशः जी हाँ, मैंने नोट्स बनाये थे। दरअसल मेरे पास कोचिंग के नोट्स भी थे और किताबे भी थी। मैं जब भी कोई टॉपिक पढ़ता था तो पहले किताब पढ़ता था फिर नोट्स पढ़ता था_ उसके बाद दोनों की मदद से अपनी भाषा में पुनः नोट्स बनाता था। यह इसलिए भी जरूरी होता है क्योंकि किसी भी नोट्स का समय के साथ अपडेट होना जरूरी है। कुल मिलाकर परीक्षा के लिए मैंने अंतिम रूप से जिस नोट्स का सहारा लिया वो मेरा अपना बनाया हुआ नोट्स था।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः उत्कृष्ट उत्तर लेखन शैली क्या होनी चाहिए? इसके लिए आपने तैयारी के दौरान क्या तरीका अपनाया?
दिव्य प्रकाशः अच्छी लेखन शैली मेरी तैयारी का बहुत अहम् हिस्सा था। जब मैं गोपाल सिंह सर के संसर्ग में था तो उन्होंने उत्तर लेखन पर बहुत काम कराया था। मेरे अनुसार, इसके लिए सर्वप्रथम अपना एक बढि़या शब्दकोष विकसित करने की आवश्यकता होती है। उत्तर लेखन में उत्तर का स्वरूप यानी STRUCTURING बहुत महत्वपूर्ण होती है_ अर्थात उत्तर की सजावट प्रश्न की मांग के अनुरूप होनी चाहिए। इसके लिए एकमात्र तरीका जो मैंने अपनाया था, वह था प्रैक्टिस_ तैयारी के आरम्भ से ही मैं गोपाल सिंह सर के पास प्रत्येक शनिवार को प्रैक्टिस करता था और उनसे दिशा निर्देश प्राप्त करता था।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपने साक्षात्कार की तैयारी कैसे की? आपका साक्षात्कार कैसा रहा? आपसे कैसे प्रश्न पूछे गए? क्या किसी प्रश्न पर आप नर्वस भी हुए?
दिव्य प्रकाशः साक्षात्कार के समय मैंने अपने विषय (भूगोल) के बेसिक चीजों का एक बार रिवीजन किया। साथ ही समाचार पत्र (जो मैं प्रतिदिन पढ़ता हूँ) में बिहार से निकलने वाले अखबारों को ज्यादा महत्व देना शुरू किया। उसके बाद पटना में ही टारगेट सिविल सर्विसेज में मैंने मॉक इंटरव्यू दिया था।
मेरा साक्षात्कार औसत रहा था, यद्यपि बोर्ड के अध्यक्ष महोदय द्वारा पूछे गए पहले सवाल का ही जवाब मैं नहीं दे पाया था। मुझसे करेंट मुद्दे, किसान आंदोलन, भूगोल और हॉबी से मुख्यतः सवाल पूछे गए थे। बोर्ड में अंदर प्रवेश से पहले मैं थोड़ा नर्वस जरूर था पर थोड़ी ही देर में मैं सहज हो गया। बोर्ड काफी सहयोगी था।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः तैयारी में पत्र-पत्रिकाओं से आपको कितनी सहायता मिली? आपने किन पत्र-पत्रिकाओं का अध्ययन किया? सिविल सेवा परीक्षा के लिए इन पत्र-पत्रिकाओं की कितनी उपयोगिता है?
दिव्य प्रकाशः पत्र पत्रिकाएं एवं समाचार पत्र तैयारी का एक अभिन्न अंग हैं। मैं ‘द हिन्दू’ नियमित रूप से पढ़ता हूं और मासिक पत्रिका के तौर पर ‘सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल’ पढ़ता हूं।
प्रारंभिक परीक्षा में तो सीधे-सीधे समसामयिकी के प्रश्न होते हैं_ इसके अलावा मुख्य परीक्षा के भी प्रश्नों का पैटर्न आजकल समसामयिकी आधारित ज्यादा हो गया है। साथ ही यदि अपने उत्तर में समकालीन उदाहरण दिया जाए तो उत्तर सुदृढ़ होता है। ऐसे में पत्रिकाएं और न्यूज पेपर बेहद सहायक हैं।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल पत्रिका आपको कैसी लगी? आपकी सफलता में इसका कितना योगदान है? क्या आप इसमें किसी प्रकार के बदलाव की अपेक्षा रखते हैं?
दिव्य प्रकाशः मैं 2015 से ही सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल का नियमित पाठक हूं। मेरा अनुभव है कि सिविल सर्विस की तैयारी के लिए यह बहुत ही सटीक और सारगर्भित पत्रिका है। इसका दायरा काफी व्यापक है। सबसे अच्छी बात यह है कि इसकी भाषा मुझे पसंद है जो हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों के लिए काफी सहायक है। इसके अलावा प्रत्येक महीना किसी विषय से संबंधित विशेषांक निकलता है वो विभिन्न विषयों के रिवीजन के लिए बहुत उपयुक्त है। पिछले कुछ महीनों से बीपीएससी के लिए जो विशेष प्रश्नोत्तर शृंखला प्रकाशित हो रही है, वो आने वाली मुख्य परीक्षा के दृष्टिकोण से बेहद उपयोगी है।
अनुशंसित पुस्तक सूची प्रारंभिकी सामान्य अध्ययनः
मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययनः
मुख्य परीक्षा वैकल्पिक विषयः
पत्र एवं पत्रिकाएं:
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