साक्षात्कार
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सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः 64वीं बीपीएससी में शानदार सफलता के लिए आपको हार्दिक बधाई।
दिव्य प्रकाशः आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपकी सफलता में परिवार, मित्रें व शिक्षकों का सहयोग कैसा रहा? आपकी पृष्ठभूमि ने आपकी सफलता में किस प्रकार योगदान किया?
दिव्य प्रकाशः मेरा स्पष्ट मानना है कि, अगर परिवार का साथ ना हो तो मंजिल के रास्ते काफी मुश्किल हो जाते हैं। मैं खुशनसीब हूँ कि मुझे मेरे परिवार का भरपूर साथ और सहयोग मिला। परिवार की तरफ से कभी कोई अनावश्यक दबाव मेरे ऊपर नहीं था। मित्रें का भी काफी सहयोग रहा और मैंने जिन-जिन शिक्षकों का संसर्ग प्राप्त किया सभी ने मेरा मार्गदर्शन किया।
मेरी मां बिहार सरकार में प्रधानाचार्या थीं। इसके कारण घर में शुरू से ही पढ़ाई-लिखाई का माहौल था। इसलिए मेरी पृष्ठभूमि ने हमेशा मुझे प्रेरित किया।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपने परीक्षा की तैयारी आरंभ कैसे की? तैयारी आरंभ करते समय आपने किन पहलुओं पर विशेष रूप से ध्यान दिया? परीक्षा की तैयारी शुरू करने का आदर्श समय क्या होना चाहिए?
दिव्य प्रकाशः मैं जब स्नातक के अंतिम वर्ष में था तब से सिविल सेवा में जाने को लेकर सोचना आरम्भ किया, परन्तु पूर्णतः तैयारी की शुरुआत एम-ए- के बाद की। तैयारी आरम्भ करने से पहले मैंने बीपीएससी परीक्षा के पूरे पैटर्न और पाठड्ढक्रम को समझा एवं तब तैयारी आरम्भ की। जहाँ तक तैयारी शुरू करने के आदर्श समय की बात है तो मेरा मानना है कि यह जितनी जल्दी हो उतना बेहतर है। हालाँकि मैंने काफी देर से तैयारी शुरू की। मेरे अनुसार कम से कम स्नातक प्रथम वर्ष से ही तैयारी आरम्भ हो जानी चाहिए।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः भाषा माध्यम के कारण क्या आपको कोई लाभ हुआ? क्या आप मानते हैं कि अंग्रजी भाषी लाभप्रद स्थिति में होते हैं?
दिव्य प्रकाशः मेरी भाषा हिंदी थी। भाषा के ऊपर मेरी पकड़ एवं मेरी लेखन शैली भी ठीक है। मेरी समझ में मुझे इसका काफी लाभ हुआ। मुझे ऐसा नहीं लगता है कि अंग्रेजी भाषा बहुत लाभप्रद स्थिति में है, क्योंकि वैकल्पिक विषय में मुझे 195 अंक मिले हैं और सामान्य अध्ययन 1 में मुझे 170 अंक मिले हैं, जो कई अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थियों से ज्यादा हैं। मेरा ऐसा मानना है कि भाषा जो भी हो, उसकी गहरी समझ और उस पर पकड़ एवं उचित लेखन शैली का होना अनिवार्य है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपका वैकल्पिक विषय क्या था? इसके चयन का आधार क्या था? क्या वैकल्पिक विषय के चयन में आपने कथित लोकप्रियता को भी आधार बनाया?
दिव्य प्रकाशः मेरा वैकल्पिक विषय भूगोल था। मेरे वैकल्पिक विषय के चयन का आधार कोई लोकप्रियता नहीं थी, वरन मेरी पृष्ठभूमि थी। दरअसल मेरा स्नातक और स्नातकोत्तर भूगोल से ही था और जब मैंने तैयारी आरम्भ की तो वैकल्पिक विषय को लेकर मैं स्पष्ट था, कि मुझे भूगोल ही रखना है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः परीक्षा के तीनों चरणों की तैयारी के लिए आप कितना समय उपयुक्त मानते हैं? तीनों चरणों की तैयारी में आपकी समय की रणनीति एक जैसी रही या उसमें बदलाव भी किए?
दिव्य प्रकाशः बीपीएससी की तैयारी में एक औसत दर्जे के विद्यार्थी के लिए अधिकतम 1-5 से 2 वर्ष पर्याप्त समय है।
तीनों चरणों की परीक्षा की तैयारी में समय की रणनीति अलग-अलग होती है। प्रारम्भ में आप औसत 6-7 घंटे भी पढ़ें तो काफी है। प्रारंभिक परीक्षा के तीन महीने पूर्व से 8-10 घंटे एवं मुख्य परीक्षा के समय 13-14 घंटे का समय देना चाहिए। हालांकि यह विद्यार्थी की क्षमता पर निर्भर करता है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन की अहमियत बढ़ा दी गई है। इसे पूरी तरह कवर करने व अच्छी तरह तैयार करने का सर्वाेत्तम तरीका क्या हो सकता है? मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन के विस्तृत पाठड्ढक्रम को देखते हुए इसकी तैयारी के लिए आपने क्या रणनीति अपनाई? परीक्षा भवन में प्रश्नों को हल करने के लिए क्या आपने कोई विशेष रणनीति अपनाई?
दिव्य प्रकाशः निश्चित रूप से मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन की काफी अहमियत है। इसके लिए मैंने अपनी तैयारी के आरम्भिक दौर में अपने समय को दो हिस्सों में बांटा था। एक हिस्सा वैकल्पिक विषय हेतु एवं दूसरा हिस्सा सामान्य अध्ययन हेतु। सामान्य अध्ययन के लिए मैंने सर्वप्रथम एनसीईआरटी को पढ़ा। मुख्य परीक्षा के समय मेरी सिर्फ करेंट अफेयर्स की तैयारी ही शेष थी, बाकी सभी हिस्सों का मात्र रिवीजन ही करना था। सामान्य अध्ययन का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा STATISTICS होता है और मेरा ऐसा मानना है कि इसके बिना परीक्षा उत्तीर्ण करना काफी मुश्किल है। इसके लिए मैं प्रारंभिक परीक्षा के बाद प्रतिदिन 2 प्रश्नों का अभ्यास करता था और कोशिश करता था कि 20 मिनट में एक प्रश्न बना लूं।
जहां तक परीक्षा भवन में प्रश्नों को हल करने की बात है, तो मैंने पहले पूरे इत्मिनान से सभी प्रश्नों को पढ़ा एवं उनमें से उन प्रश्नों का चयन किया जिनको मैं सबसे बेहतर निभा सकता था, इसका मुख्य पैमाना मेरे पास प्रश्नों की मांग के अनुरूप कंटेंट की उपलब्धता थी।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः क्या आपने अपने नोट्स बनाए? ये नोट्स किस प्रकार उपयोगी रहे? एक ही कोचिंग संस्थान के नोट्स का उपयोग कई छात्र करते हैं। ऐसे में इन नोट्स को औरों से अलग बनाने हेतु आपने क्या रणनीति अपनाई?
दिव्य प्रकाशः जी हाँ, मैंने नोट्स बनाये थे। दरअसल मेरे पास कोचिंग के नोट्स भी थे और किताबे भी थी। मैं जब भी कोई टॉपिक पढ़ता था तो पहले किताब पढ़ता था फिर नोट्स पढ़ता था_ उसके बाद दोनों की मदद से अपनी भाषा में पुनः नोट्स बनाता था। यह इसलिए भी जरूरी होता है क्योंकि किसी भी नोट्स का समय के साथ अपडेट होना जरूरी है। कुल मिलाकर परीक्षा के लिए मैंने अंतिम रूप से जिस नोट्स का सहारा लिया वो मेरा अपना बनाया हुआ नोट्स था।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः उत्कृष्ट उत्तर लेखन शैली क्या होनी चाहिए? इसके लिए आपने तैयारी के दौरान क्या तरीका अपनाया?
दिव्य प्रकाशः अच्छी लेखन शैली मेरी तैयारी का बहुत अहम् हिस्सा था। जब मैं गोपाल सिंह सर के संसर्ग में था तो उन्होंने उत्तर लेखन पर बहुत काम कराया था। मेरे अनुसार, इसके लिए सर्वप्रथम अपना एक बढि़या शब्दकोष विकसित करने की आवश्यकता होती है। उत्तर लेखन में उत्तर का स्वरूप यानी STRUCTURING बहुत महत्वपूर्ण होती है_ अर्थात उत्तर की सजावट प्रश्न की मांग के अनुरूप होनी चाहिए। इसके लिए एकमात्र तरीका जो मैंने अपनाया था, वह था प्रैक्टिस_ तैयारी के आरम्भ से ही मैं गोपाल सिंह सर के पास प्रत्येक शनिवार को प्रैक्टिस करता था और उनसे दिशा निर्देश प्राप्त करता था।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपने साक्षात्कार की तैयारी कैसे की? आपका साक्षात्कार कैसा रहा? आपसे कैसे प्रश्न पूछे गए? क्या किसी प्रश्न पर आप नर्वस भी हुए?
दिव्य प्रकाशः साक्षात्कार के समय मैंने अपने विषय (भूगोल) के बेसिक चीजों का एक बार रिवीजन किया। साथ ही समाचार पत्र (जो मैं प्रतिदिन पढ़ता हूँ) में बिहार से निकलने वाले अखबारों को ज्यादा महत्व देना शुरू किया। उसके बाद पटना में ही टारगेट सिविल सर्विसेज में मैंने मॉक इंटरव्यू दिया था।
मेरा साक्षात्कार औसत रहा था, यद्यपि बोर्ड के अध्यक्ष महोदय द्वारा पूछे गए पहले सवाल का ही जवाब मैं नहीं दे पाया था। मुझसे करेंट मुद्दे, किसान आंदोलन, भूगोल और हॉबी से मुख्यतः सवाल पूछे गए थे। बोर्ड में अंदर प्रवेश से पहले मैं थोड़ा नर्वस जरूर था पर थोड़ी ही देर में मैं सहज हो गया। बोर्ड काफी सहयोगी था।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः तैयारी में पत्र-पत्रिकाओं से आपको कितनी सहायता मिली? आपने किन पत्र-पत्रिकाओं का अध्ययन किया? सिविल सेवा परीक्षा के लिए इन पत्र-पत्रिकाओं की कितनी उपयोगिता है?
दिव्य प्रकाशः पत्र पत्रिकाएं एवं समाचार पत्र तैयारी का एक अभिन्न अंग हैं। मैं ‘द हिन्दू’ नियमित रूप से पढ़ता हूं और मासिक पत्रिका के तौर पर ‘सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल’ पढ़ता हूं।
प्रारंभिक परीक्षा में तो सीधे-सीधे समसामयिकी के प्रश्न होते हैं_ इसके अलावा मुख्य परीक्षा के भी प्रश्नों का पैटर्न आजकल समसामयिकी आधारित ज्यादा हो गया है। साथ ही यदि अपने उत्तर में समकालीन उदाहरण दिया जाए तो उत्तर सुदृढ़ होता है। ऐसे में पत्रिकाएं और न्यूज पेपर बेहद सहायक हैं।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल पत्रिका आपको कैसी लगी? आपकी सफलता में इसका कितना योगदान है? क्या आप इसमें किसी प्रकार के बदलाव की अपेक्षा रखते हैं?
दिव्य प्रकाशः मैं 2015 से ही सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल का नियमित पाठक हूं। मेरा अनुभव है कि सिविल सर्विस की तैयारी के लिए यह बहुत ही सटीक और सारगर्भित पत्रिका है। इसका दायरा काफी व्यापक है। सबसे अच्छी बात यह है कि इसकी भाषा मुझे पसंद है जो हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों के लिए काफी सहायक है। इसके अलावा प्रत्येक महीना किसी विषय से संबंधित विशेषांक निकलता है वो विभिन्न विषयों के रिवीजन के लिए बहुत उपयुक्त है। पिछले कुछ महीनों से बीपीएससी के लिए जो विशेष प्रश्नोत्तर शृंखला प्रकाशित हो रही है, वो आने वाली मुख्य परीक्षा के दृष्टिकोण से बेहद उपयोगी है।
अनुशंसित पुस्तक सूची प्रारंभिकी सामान्य अध्ययनः
मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययनः
मुख्य परीक्षा वैकल्पिक विषयः
पत्र एवं पत्रिकाएं:
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सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः 64वीं बीपीएससी में शानदार सफलता के लिए आपको हार्दिक बधाई। आपकी सफलता में परिवार, मित्रें व शिक्षकों का सहयोग कैसा रहा? आपकी पृष्ठभूमि ने आपकी सफलता में किस प्रकार योगदान किया?
अंकिता वर्माः मुझे मेरे परिवार, मित्रें एवं शिक्षकों से हमेशा सहायता मिली। सभी ने मुझे सकारात्मक रह कर प्रयास करने एवं असफलताओं से सीखने के लिए प्रेरित किया।
मेरे परिवार की पृष्ठभूमि में मैंने सबको मेहनत से अपना लक्ष्य साधते हुए देखा है। मुझे भी इसी से निरंतर प्रयास करने की प्रेरणा मिली और फलस्वरूप मेरा बीपीएससी में चयन हुआ।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपने परीक्षा की तैयारी आरंभ कैसे की? तैयारी आरंभ करते समय आपने किन पहलुओं पर विशेष रूप से ध्यान दिया? परीक्षा की तैयारी शुरू करने का आदर्श समय क्या होना चाहिए?
अंकिता वर्माः मैंने अपने ग्रेजुएशन के आिखरी वर्ष से परीक्षा की तैयारी प्रारंभ की। तैयारी शुरू करने के लिए मैंने सबसे पहले सिलेबस को समझा, फिर प्राथमिक परीक्षा, मेंस एवं साक्षात्कार के लिए टॉपिक चुने और उसी के हिसाब से अपने नोट्स तैयार किए। मेरे हिसाब से ग्रेजुएशन के साथ ही तैयारी करना लाभदायक रहता है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः भाषा माध्यम के कारण क्या आपको कोई लाभ हुआ? क्या आप मानती हैं कि अंग्रेजी भाषी लाभप्रद स्थिति में होते हैं?
अंकिता वर्माः मेरा माध्यम अंग्रेजी था क्योंकि बचपन से शिक्षा अंग्रेजी माध्यम में हुई थी। मेरा मानना है कि अच्छे अंक लाने के लिए छात्र/छात्रओं को बस अच्छी जानकारी जरूरी है, जो किसी भी माध्यम से व्यत्तफ़ की जा सके और अच्छे अंक मिल सकें।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपका वैकल्पिक विषय क्या था? इसके चयन का आधार क्या था? क्या वैकल्पिक विषय के चयन में आपने कथित लोकप्रियता को भी आधार बनाया?
अंकिता वर्माः मेरा वैकल्पिक विषय भूगोल था। सिलेबस एवं पिछले वर्षों में पूछे गए प्रश्नों को देखकर मुझे लगा कि यह विषय अच्छे अंक लाने में सहायक रहेगा।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः परीक्षा के तीनों चरणों की तैयारी के लिए आप कितना समय उपयुत्तफ़ मानती हैं? तीनों चरणोंकी तैयारी में आपकी समय की रणनीति एक जैसी रही या उसमें बदलाव भी किए?
अंकिता वर्माः पूरी तैयारी के लिए 10 से 12 महीने का समय लग जाता है। तीनों चरणों के लिए मैंने समय की रणनीति में बदलाव किए।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन की अहमियत बढ़ा दी गई है। इसे पूरी तरह कवर करने व अच्छी तरह तैयार करने का सर्वाेत्तम तरीका क्या हो सकता है? मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन के विस्तृत पाठड्ढक्रम को देखते हुए इसकी तैयारी के लिए आपने क्या रणनीति अपनाई? परीक्षा भवन में प्रश्नों को हल करने के लिए क्या आपने कोई विशेष रणनीति अपनाई?
अंकिता वर्माः प्रिलिम्स के लिए भी सामान्य अध्ययन की तैयारी करनी होती है। उसी समय से महत्वपूर्ण विषयों के नोट्स बनाना अच्छा रहता है, जो मेंस के समय सहायता करता है।
मैंने उत्तर हमेशा निर्धारित शब्द सीमा में लिखने का प्रयास किया। GS-1 में सांख्यिकी (Statistics) के प्रश्नों को पहले हल किया जाए तो बाकी प्रश्नों के लिए समय मिल जाता है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः क्या आपने अपने नोट्स बनाए? ये नोट्स किस प्रकार उपयोगी रहे? एक ही कोचिंग संस्थान के नोट्स का उपयोग कई छात्र करते हैं। ऐसे में इन नोट्स को औरों से अलग बनाने हेतु आपने क्या रणनीति अपनाई?
अंकिता वर्माः हां! खुद बनाए हुए नोट्स से लिखने की प्रैक्टिस होती है और रिवीजन में भी कम समय लगता है। मैंने नोट्स पॉइंट वाइज बनाए एवं मैप व फ्लो चार्ट भी बनाए।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलःउत्कृष्ट उत्तर लेखन शैली क्या होनी चाहिए? इसके लिए आपने तैयारी के दौरान क्या तरीका अपनाया?
अंकिता वर्माः मैंने अपना उत्तर हमेशा शब्द सीमा में देने का प्रयास किया। पॉइंट वाइज उत्तर लिखना एवं फ्रलो चार्ट का प्रयोग करना उत्तर को आकर्षक बनाता है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपने साक्षात्कार की तैयारी कैसे की? आपका साक्षात्कार कैसा रहा? आपसे कैसे प्रश्न पूछे गए? क्या किसी प्रश्न पर आप नर्वस भी हुईं?
अंकिता वर्माः साक्षात्कार के लिए अपने शिक्षकों की मदद से प्रश्नावली बनाई। अपने बायो-डेटा के हिसाब से उत्तर देने की प्रैक्टिस की। मॉक इंटरव्यू देखे और दिए भी। मुझसे मेरे वैकल्पिक विषय, रुचियों और करेंट अफेयर्स से प्रश्न पूछे गए थे। मैं कुछ प्रश्नों में नर्वस भी हुई थी।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः क्या आपने कोचिंग ली? कोचिंग किस प्रकार उपयोगी रही? वैसे छात्र जो तैयारी हेतु कोचिंग की सहायता लेना चाहते हैं, उन्हें आप क्या सुझाव देंगे?
अंकिता वर्माः मैंने टेस्ट सीरीज ली थी। साथ ही मैंने मेन्स के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स की मदद से तैयारी की। कोचिंग लेने का, ऑनलाइन पढ़ाई करने का या खुद से ही पढ़ के परीक्षा देने का निर्णय हर छात्र को अपने हिसाब से लेना चाहिए।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः जो छात्र सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी आरंभ करना चाहते हैं, उन्हें आप क्या सुझाव देंगी? यदि कोई ग्रामीण पृष्ठभूमि का या आर्थिक रूप से कमजोर छात्र सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी आरंभ करना चाहता हो, तो ऐसे छात्र को क्या करना चाहिए?
अंकिता वर्माः मेरा यही सुझाव होगा कि अपना रुटीन बनाएं, सिलेबस समझें, पूछे गए प्रश्नों को हल करें। डेली टारगेट बनाएं और तैयारी आगे बढ़ाएं।
आजकल ऑनलाइन हिन्दी व अंग्रेजी दोनों में मैटेरियल्स मिल जाते हैं जिनको छात्र फ्री में भी पढ़ सकते हैं। मैंने भी Online बहुत टॉपिक्स पढ़े। यह काफी छात्रें के लिए लाभदायक है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः सामान्य धारणा यह है कि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी आरंभ करने से पूर्व कोई कैरियर विकल्प भी अपने पास रखना चाहिए। क्या आपने भी कोई कैरियर विकल्प रखा था?
अंकिता वर्माः जी नहीं! मैंने कोई कैरियर विकल्प नहीं रखा था।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः तैयारी में पत्र-पत्रिकाओं से आपको कितनी सहायता मिली? आपने किन पत्र-पत्रिकाओंका अध्ययन किया? सिविल सेवा परीक्षा के लिए इन पत्र-पत्रिकाओं की कितनी उपयोगिता है?
अंकिता वर्माः मैंने योजना और क्रॉनिकल मैगजीन (मासिक) का अध्ययन किया। इससे मुझे डेटा एवं फैक्ट मिले और करेंट अफेयर्स के टॉपिक में मदद मिली।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल पत्रिका आपको कैसी लगी? आपकी सफलता में इसका कितना योगदान है? क्या आप इसमें किसी प्रकार की बदलाव की अपेक्षा रखती हैं?
अंकिता वर्माः मुझे सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल काफी उपयोगी लगी। मुझे इससे सही डेटा मिले।
धन्यवाद
अनुशंसित पुस्तक सूची
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सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः 64वीं बीपीएससी में शानदार सफलता के लिए आपको हार्दिक बधाई। आपकी सफलता में परिवार, मित्रें व शिक्षकों का सहयोग कैसा रहा? आपकी पृष्ठभूमि ने आपकी सफलता में किस प्रकार योगदान किया?
दीपक कुमारः धन्यवाद, मेरी सफलता में परिवार, मित्रें व शिक्षकों की अहम भूमिका रही है। माता-पिता और बड़े भईया मेरे आदर्श रहे हैं। परिवार से मुझे इस सफर में हर संभव सहयोग मिला है। शिक्षकों का सहयोग भी बहुत ही सराहनीय रहा है। बीपीएससी के सफर में सर्वेश सर का मार्गदर्शन सामान्य अध्ययन परीक्षा में काफी कारगर रहा। मैंने सार्थक संवाद में मेन्स परीक्षा की टेस्ट सीरीज ज्वॉइन की थी और साक्षात्कार के लिए मॉक साक्षात्कार में भी शामिल हुआ था। दोनों ही काफी मददगार साबित हुए।
मित्रें तथा सीनियर्स का भी सहयोग रहा। एक मेरे Senior, IIT Delhi से IRS थे, सुभाष चन्द्रा। उन्होंने सिविल सेवा के क्षेत्र में काफी मार्गदर्शन किए। मित्रें ने मेरे सफर को आसान बनाया। अमरदीप, गौतम, दिलीप मनेया, सोनू, शुभम, सुबोध कुमार सिन्हा आदि का सहयोग अतुलनीय रहा।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपने परीक्षा की तैयारी आरंभ कैसे की? तैयारी आरंभ करते समय आपने किन पहलुओं पर विशेष रूप से ध्यान दिया? परीक्षा की तैयारी शुरू करने का आदर्श समय क्या होना चाहिए?
दीपक कुमारः मैंने परीक्षा की तैयारी NCERT की बुक्स से प्रारंभ की। उस समय मैं मुख्य रूप से सिविल सेवा के लिए तैयारी करता था। मेरा मुख्य ध्यान अवधारणाओं को समझने पर रहा, जिसका मुझे सभी परीक्षाओं में लाभ मिला। ‘न्यूज पेपर पढ़ना’तैयारी का एक अभिन्न अंग रहा। जैसे-जैसे तैयारी बढ़ती गई मैं परीक्षा की मांग के अनुरूप सुधार करता गया। मेन्स परीक्षा के लिए मुख्य फोकस कॉन्सेप्ट को समझना तथा उसे करेंट से जोड़कर, बिग पिक्चर बनाने में है। मेरे अनुसार तैयारी शुरू करने का आदर्श समय कॉलेज का सेकंड या लास्ट ईयर है। तैयारी में निरंतरता बहुत महत्वपूर्ण है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः भाषा माध्यम के कारण क्या आपको कोई लाभ हुआ? क्या आप मानते हैं कि अंग्रेजी भाषी लाभप्रद स्थिति में होते हैं?
दीपक कुमारः मैं इंजीनियरिंग कॉलेज से था तो अंग्रेजी ही मेरे पास विकल्प था। जहां तक बीपीएससी की बात है मुझे लगता है भाषा का लाभ किसी को नहीं मिलता। बीपीएससी के लिए हिन्दी माध्यम में पर्याप्त सामग्री उपलब्ध है। वास्तव में अंग्रेजी माध्यम वालों को बीपीएससी के लिए सामग्री की थोड़ी कठिनाई भी होती है, परंतु थोड़े से प्रयास से इस कठिनाई से निजात पाई जा सकती है। इसलिए मेरी सलाह है कि आप जिस माध्यम से सहज महसूस करते हैं उसे ही चुनें।
साक्षात्कार में भी माध्यम की कोई समस्या नहीं है। मैंने खुद दोनों ही बार बीपीएससी में हिन्दी माध्यम से साक्षात्कार दिया है और अच्छे अंक पाए हैं। इसलिए मेरे विचार से कोई भी भाषा बीपीएससी में समस्या या फायदे की स्थिति में नहीं है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपका वैकल्पिक विषय क्या था? इसके चयन का आधार क्या था? क्या वैकल्पिक विषय के चयन में आपने कथित लोकप्रियता को भी आधार बनाया?
दीपक कुमारः गणित मेरा वैकल्पिक विषय था। मैंने पूरी तरह अपनी अभिरुचि के आधार पर यह विषय चुना था। वैकल्पिक विषय के चयन में मैंने कथित लोकप्रियता को कभी आधार नहीं बनाया। मैंने अपने अभिरूचि को ही आधार बनाया, ताकि मैं अधिक समय तक मनोरंजक रूप में वैकल्पिक विषय पढ़ सकूं।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः परीक्षा के तीनों चरणों की तैयारी के लिए आप कितना समय उपयुत्तफ़ मानते हैं? तीनों चरणों की तैयारी में आपकी समय की रणनीति एक जैसी रही या उसमें बदलाव भी किए?
दीपक कुमारः मेरे विचार से परीक्षा की तैयारी बेसिक (Basic) से मेन्स ओरिएंटेड (Mains Oriented) की तरफ होनी चाहिए। पहले एनसीईआरटी से बेसिक मजबूत कीजिए, छोटी-छोटी बातों को समझिए। सामाजिक तथा राष्ट्रीय मुद्दों की समझ परीक्षा में काफी मदद करती है और मेन्स में आपके नंबर बढ़ाती है। सार्थक संवाद की बुक्स मेन्स के लिए काफी मददगार हैं।
बेसिक को मजबूत करने के लिए आप जो सामग्री पढ़ते हैं, उसके फैक्ट से आप प्रीलिम्स की तैयारी कीजिए। न्यूज पेपर की भूमिका तीनों ही चरण में अहम रहती है।
मेन्स तथा वैकल्पिक विषय के लिए 12 से 14 महीनों की संपूर्ण पढ़ाई तथा उसके बाद प्रीलिम्स के लिए 2 से 2-5 महीने की तैयारी काफी होती है। साक्षात्कार की तैयारी मेन्स के रिजल्ट के बाद करें। पूरी परीक्षा के दौरान आत्मविश्वासी (Confident) रहें। इससे काफी लाभ मिलता है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन की अहमियत बढ़ा दी गई है। इसे पूरी तरह कवर करने व अच्छी तरह तैयार करने का सर्वाेत्तम तरीका क्या हो सकता है? मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन के विस्तृत पाठड्ढक्रम को देखते हुए इसकी तैयारी के लिए आपने क्या रणनीति अपनाई? परीक्षा भवन में प्रश्नों को हल करने के लिए क्या आपने कोई विशेष रणनीति अपनाई?
दीपक कुमारः मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन की अहमियत काफी है। बीपीएससी के दोनों सामान्य अध्ययन पेपर में आपके अंक ठीक-ठाक होने चाहिए। साथ ही वैकल्पिक विषय भी काफी महत्वपूर्ण है तथा उसकी भी तैयारी अच्छी होनी चाहिए। बीपीएससी के सामान्य अध्ययन पेपर के लिए आप Exam Oriented पढ़ाई करें। पिछले साल के प्रश्न-पत्रें को देखें और स्टैटिक पोर्शन (static portion) के लिए उसे तैयार भी करें_ इससे मदद मिलेगी।
सामान्य अध्ययन प्रथम प्रश्न-पत्र के लिए परीक्षा भवन में मेरी रणनीति हमेशा रही है कि आंकड़े के प्रश्नों को अच्छे से किया जाए। यद्यपि वे 10 से 15 मिनट ज्यादा भी ले लेते हैं तो भी ठंडे दिमाग से करना है। उसके बाद बाकी प्रश्नों को हल करना है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः क्या आपने अपने नोट्स बनाए? ये नोट्स किस प्रकार उपयोगी रहे? एक ही कोचिंग संस्थान के नोट्स का उपयोग कई छात्र करते हैं। ऐसे में इन नोट्स को औरों से अलग बनाने हेतु आपने क्या रणनीति अपनाई?
दीपक कुमारः नोट्स मेन्स के लिए काफी उपयोगी है_ मैंने भी नोट्स बनाएं थे। अच्छे तरीके से तथा महत्वपूर्ण टॉपिक्स के विस्तृत नोट्स बनाएं, उसे अपडेट करते रहें तथा बार-बार रिवीजन करें, इससे बहुत मदद मिलती है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः उत्कृष्ट उत्तर लेखन शैली क्या होनी चाहिए? इसके लिए आपने तैयारी के दौरान क्या तरीका अपनाया?
दीपक कुमारः उत्तर लेखन मेन्स की तैयारी का एक अभिन्न अंग है। नियमित रूप से उत्तर लेखन करें। आपकी विस्तृत समझ आपके उत्तर में प्रदर्शित होनी चाहिए। टेस्ट सीरीज की इसमें अहम भूमिका है तथा टेस्ट का विचार-विमर्श भी बहुत महत्वपूर्ण है। प्रश्नों की मांग के आस-पास रहें तथा उसे अलग-अलग बिन्दुओं से जोड़ें। ये सभी गुण उत्तर लेखन से आते हैं।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपने साक्षात्कार की तैयारी कैसे की? आपका साक्षात्कार कैसा रहा? आपसे कैसे प्रश्न पूछे गए? क्या किसी प्रश्न पर आप नर्वस भी हुए?
दीपक कुमारः बीपीएससी के लिए साक्षात्कार की तैयारी व्यत्तिफ़गत पृष्ठभूमि तथा करेंट अफेयर्स ओरिएंटेड रही। मेरे दोनों ही साक्षात्कार में प्रश्न भी इन्हीं सब से रहे। अगर हम कोई तथ्य गलत कर देते हैं तो कोई बड़ी समस्या नहीं है, उससे नर्वस होने की कोई बात नहीं है। साक्षात्कार में आपको विश्लेषणात्मक प्रश्न का अच्छा जबाव देना बहुत महत्वपूर्ण है। 63वीं बीपीएससी के साक्षात्कार में थोड़े कठिन प्रश्न पूछे गए थे, लेकिन मैं ज्यादा नर्वस नहीं हुआ, तुरंत ही सामान्य हो गया। साक्षात्कार के दौरान शांत रहें_ इससे मदद मिलती है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः क्या आपने कोचिंग ली? कोचिंग किस प्रकार उपयोगी रही? वैसे छात्र जो तैयारी हेतु कोचिंग की सहायता लेना चाहते हैं, उन्हें आप क्या सुझाव देंगे?
दीपक कुमारः मैंने टेस्ट सीरीज ज्वाइन की थी। बीपीएससी के लिए सार्थक संवाद की टेस्ट सीरीज ज्वाइन की और यह बहुत मददगार भी रही। मुझे लगता है कि टेस्ट राइटिंग (Test Writing) तथा डिस्कशन (discussion) मेन्स परीक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसी तरह साक्षात्कार के लिए मॉक इंटरव्यू देना भी जरूरी है। मैंने सार्थक संवाद, पतंजलि IAS का मॉक इंटरव्यू दिया।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः जो छात्र सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी आरंभ करना चाहते हैं, उन्हें आप क्या सुझाव देंगे? यदि कोई ग्रामीण पृष्ठभूमि का या आर्थिक रूप से कमजोर छात्र सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी आरंभ करना चाहता हो, तो ऐसे छात्र को क्या करना चाहिए?
दीपक कुमारः डिजिटलीकरण के इस युग में अब तैयारी कहीं से भी रह के की जा सकती है। आप जहां कहीं भी रहकर अच्छे से अध्ययन कर सकते हैं_ करें। इंटरनेट के माध्यम से मार्गदर्शन तथा सामग्री की कोई भी दिक्कत ग्रामीण या छोटे शहरों में नहीं है। अतः वहां से भी तैयारी की जा सकती है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः सामान्य धारणा यह है कि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी आरंभ करने से पूर्व कोई कैरियर विकल्प भी अपने पास रखना चाहिए। क्या आपने भी कोई कैरियर विकल्प रखा था?
दीपक कुमारः मैंने ऐसा कोई विकल्प नहीं रखा था। मुझे विश्वास था कि किसी न किसी परीक्षा में मेरा चयन हो जाएगा और मैंने अपनी पढ़ाई आगे जारी रखी।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः तैयारी में पत्र-पत्रिकाओं से आपको कितनी सहायता मिली? आपने किन पत्र-पत्रिकाओं का अध्ययन किया? सिविल सेवा परीक्षा के लिए इन पत्र-पत्रिकाओं की कितनी उपयोगिता है?
दीपक कुमारः तैयारी के दौरान पत्र-पत्रिकाओं का ज्यादा अध्ययन नहीं किया। मुख्य फोकस विजन आईएएस की करेंट अफेयर्स मैगजीन पर रहा तथा कभी-कभी योजना भी पढ़ी।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल पत्रिका आपको कैसी लगी? आपकी सफलता में इसका कितना योगदान है? क्या आप इसमें किसी प्रकार की बदलाव की अपेक्षा रखते हैं?
दीपक कुमारः सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल पत्रिका अच्छी है। तैयारी के दौरान कभी-कभी मैंने पढ़ी है। अगर आप के पास समय है तो सेलेक्टिव रीडिंग कर सकते हैं।
-धन्यवाद
अनुशंसित पुस्तक सूची
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सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः शानदार सफलता के लिए बधाई।
डॉ- ललित कुमार मिश्रः धन्यवाद।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलःक्या आप चयन के प्रति आश्वस्त थे?
डॉ- ललित कुमार मिश्रः हां, किंतु 6वीं रैंक के प्रति आश्वस्त नहीं था।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः कितने घण्टे का अध्ययन पर्याप्त होता है?
डॉ- ललित कुमार मिश्रः सिविल सेवा की तैयारी को घण्टों में बांधना उचित नहीं है। यह ध्यान रखना चाहिए आज कितना चैप्टर पढ़ा। लोग अपनी सुविधानुसार समय का विभाजन कर सकते है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः क्या सिविल सेवाओं की तैयारी में पृष्ठभूमि का कोई असर होता है?
डॉ- ललित कुमार मिश्रः पृष्ठभूमि का कोई असर नहीं होता। लेकिन अच्छे संस्थानों में पढ़ने का अपेक्षाकृत लाभ होता है। लेकिन कोचिंग संस्थान में सतत अध्ययन से इस कमी को पूरा किया जा सकता है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः इस परीक्षा के चयन में महत्वपूर्ण कारक आपके हिसाब से कौन है?
डॉ- ललित कुमार मिश्रः मैं सकारात्मक संगति को महत्वपूर्ण मानता हूँ। ‘ग्रुप स्टडी’ का कोई विकल्प नहीं है। लेखन क्षमता अति महत्वपूर्ण पक्ष है। अच्छी पुस्तकों के अध्ययन से लेखन क्षमता में रचनात्मक सुधार किया जा सकता है। मॉक टेस्ट सीरीज प्री व मेन्स दोनों के लिए अति महत्वपूर्ण है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः सिविल सेवा परीक्षा में निबन्ध की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसकी तैयारी के लिए आप की क्या रणनीति थी?
डॉ- ललित कुमार मिश्रः कुछ महत्वपूर्ण निबंधों को मैंने लिख लिया था। मेरी यह सलाह है सभी प्रतियोगियों को उद्धरण की एक कॉपी बनानी चाहिए।
निबंध लेखन में लोक, कविताएं, अंग्रेजी साहित्य के उद्धरण का बखूबी प्रयोग करना चाहिए।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः कभी-कभी तैयारी में लम्बा समय लग जाता है तो अध्ययन में निरन्तरता कैसे बनाई जा सकती है?
डॉ- ललित कुमार मिश्रः मैं सदैव से यह विश्वास करता हूं कि सार्थक जीवन जीना लक्ष्य है, प्रतियोगी परीक्षा पास करना द्वितीयक उद्देश्य। अपनी रुचि का कार्य करते रहना चाहिए। सकारात्मक लोगों केसम्पर्क में रहना चाहिए। कल उच्च पद पर चयन हो जाएगा तब यह कार्य करूंगा, ऐसा नहीं होना चाहिए। खुद पर सदैव आत्मविश्वास रखना चाहिए। उचित मेहनत एवं सार्थक रणनीति से सफलता एक दिन अवश्य मिलती है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः वैकल्पिक विषय में अपनी रणनीति बताइये?
डॉ- ललित कुमार मिश्रः मेरा वैकल्पिक विषय संस्कृत साहित्य था। संस्कृत में आधुनिक संस्कृत साहित्य के तथ्यों को अवश्य शामिल करना चाहिए तथा कई प्रश्नों के उत्तर में अन्य साहित्य जैसे अंग्रेजी साहित्य, हिन्दी साहित्य के साथ तुलनात्मक लिखना अंकदायी होता है। अंग्रेजी के उद्धरणों का भी प्रयोग किया जा सकता है।
यूपीपीसीएस 2020 से उत्तर पुस्तिका में पृष्ठ भी कम कर दिये गये है, अतः उत्तरों को संक्षिप्त व बिन्दुवार रूप में लिखना आवश्यक है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः साक्षात्कार की रणनीति पर प्रकाश डालिए?
डॉ- ललित कुमार मिश्रः साक्षात्कार सतत एवं क्रमिक प्रक्रिया है जिसके लिए प्रारम्भ से ध्यान देना चाहिए। चतुर्थ प्रश्न-पत्र के भावनात्मक प्रज्ञता, अभिवृत्ति तथा सिविल सेवा गुणों, सत्यनिष्ठा इत्यादि को अच्छे से तैयार करना चाहिए।
देवप्रयागम एकेडमी के बुकलेट को पढ़ना चाहिए जो साक्षात्कार संबंधित सामान्य प्रश्नों का संग्रह होता है। इस बार मुख्य परीक्षा के रिजल्ट व साक्षात्कार में समय कम था, इसलिए सभी ने थोड़ी दिक्कत महसूस की। वैकल्पिक विषय तथा स्नातक स्तर के विषय को भी साक्षात्कार पूर्व देख लेना चाहिए।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः साक्षात्कार में पूछे गये प्रश्न?
डॉ- ललित कुमार मिश्रः असिस्टेण्ट प्रो- जैसे उच्च जॉब में होने पर भी SDM क्यों बनना चाहते हैं?
- म्यांमार समस्या
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति
- असिस्टेण्ट प्रो- व SDM किसके पास लोग ज्यादा जाएंगे?
- महिला व पर्यावरण सम्बन्धी योजनाएं आदि।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः चयन के लिए कितना समय पर्याप्त है तथा किस स्तर पर तैयारी शुरू कर देना चाहिए।
डॉ- ललित कुमार मिश्रः 1 से ½ वर्ष पर्याप्त है। मेरे हिसाब से ग्रेजुएशन के समय केवल ग्रेजुएशन पर ध्यान देना चाहिए। इससे व्यक्तित्व का निर्माण सहज होता है। किन्तु स्नातक के बाद तैयारी में लग जाना चाहिए। मैंने तो काफी देर से तैयारी शुरू की। परास्नातक के बाद तैयारी प्रारम्भ की।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः जॉब में रहते हुए अध्ययन के लिए कैसे समय निकाला जाता है?
डॉ- ललित कुमार मिश्रः जॉब करते समय अध्ययन करना अपेक्षित रूप से कठिन होता है, किन्तु चूंकि इसमें आत्मविश्वास एवं ऊर्जा बनी रहती है अतः कम समय में ही अधिक अध्ययन सम्भव होता है। इसमें अनुशासन व त्याग की ज्यादा जरूरत पड़ती है।
प्रतिदिन का टारगेट बनाकर इसमें अध्ययन करना चाहिए। जिस दिन ज्यादा समय मिले ज्यादा अध्ययन करना चाहिए।
मैं महाविद्यालय के प्राचार्य तथा अन्य प्राध्यापकों के सकारात्मक सहयोग के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करता हूं, जिन्होंने सदैव सकारात्मक प्रेरणा दी। तैयारी के समय की परेशानियों को सहज भाव से लेना चाहिए।
"Our sweetest songs are those that
tell of Saddest thought"
"If Winter Comes, Can be spring for behind"
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः एथिक्स के अध्ययन की रणनीति सुझाइये।
डॉ- ललित कुमार मिश्रः लेक्सिकॉन (Lexicon) को मैं रामबाण मानता हूं तथा इसके अन्तिम पृष्ठों में लिखे गये उद्धरण का प्रयोग करके उत्तर को आकर्षक बनाया जा सकता है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः क्या प्रतियोगी छात्रें को तैयारी के समय वैकल्पिक रोजगार पर ध्यान देना चाहिए?
डॉ- ललित कुमार मिश्रः प्रारम्भिक एक-दो वर्ष में चयन न होने पर व्यक्ति को वैकल्पिक रोजगार के विषय में ध्यान देना चाहिए क्योंकि इससे आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। ऊर्जास्वित होकर व्यक्ति अपने लक्ष्य पर एकाग्र होता है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आगामी परीक्षाओं के लिए सन्देश।
डॉ- ललित कुमार मिश्रः समाज, परिवार व मित्रें के प्रति दायित्वों का निर्वाह करते हुए अटूट आत्मविश्वास रखना चाहिए। एक दो असफलताओं से न घबराते हुए सदैव अध्ययनरत होना चाहिए। मॉक टेस्ट सीरीज करते रहना चाहिए तथा अपनी कमियों में सुधार करते रहना चाहिए। सफलता निश्चित मिलती है, इसका सदैव ध्यान रखना चाहिए।
'प्रसादे सर्वदुः खाना हानिरस्योपजायतेय् (गीता)
सदैव प्रसन्न रहना चाहिए। टापर्स भी समाज के अंदर से होते हैं। हर व्यक्ति में टॉप करने की क्षमता होती है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः क्रॉनिकल पत्रिका का योगदान स्पष्ट करिये?
डॉ- ललित कुमार मिश्रः क्रॉनिकल पत्रिका का परीक्षा के तीनों चरणों में महत्वपूर्ण स्थान है। क्रॉनिकल पत्रिका के लेख मुख्य परीक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण है।
धन्यवाद
मुख्य परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण पुस्तकें
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सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः यूपीपीसीएस 2019 में शानदार सफलता के लिए आपको हार्दिक बधाई। आपकी सफलता में परिवार, मित्रों व शिक्षकों का सहयोग कैसा रहा? आपकी पृष्ठभूमि ने आपकी सफलता में किस प्रकार योगदान किया?
संत रंजन श्रीवास्तवः बहुत-बहुत धन्यवाद। मेरी सफलता में परिवार, मित्र, माता-पिता, बहनें, बड़े मम्मी-पापा, मामा आनंद श्रीवास्तव तथा मौसा अनीश श्रीवास्तव का अति योगदान रहा।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपने परीक्षा की तैयारी आरंभ कैसे की? तैयारी आरंभ करते समय आपने किन पहलुओं पर विशेष रूप से ध्यान दिया? परीक्षा की तैयारी शुरू करने का आदर्श समय क्या होना चाहिए?
संत रंजन श्रीवास्तवः वैसे तो इस परीक्षा की तैयारी स्नातक अंतिम वर्ष के दौरान शुरू करनी चाहिए, किंतु इस परीक्षा की तैयारी कभी भी शुरू कर सकते हैं। मैंने सबसे पहले पाठ्यक्रम को 3-4 बार पढ़ा तथा नोट्स बनाना शुरू किया।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः भाषा माध्यम के कारण क्या आपको कोई लाभ हुआ? क्या आप मानते हैं कि अंग्रेजी भाषी लाभप्रद स्थिति में होते हैं?
संत रंजन श्रीवास्तवः मेरा माध्यम हिन्दी था। समस्या माध्यम की नहीं ‘कंटेंट’की है। जो सामग्री हिन्दी भाषा में उपलब्ध नहीं है, उसे अंग्रेजी में पढ़कर उसका हिन्दी में नोट्स बना लें।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपका वैकल्पिक विषय क्या था? इसके चयन का आधार क्या था? क्या वैकल्पिक विषय के चयन में आपने कथित लोकप्रियता को भी आधार बनाया?
संत रंजन श्रीवास्तवः मेरा वैकल्पिक विषय इतिहास था। मेरे वैकल्पिक विषय चयन का आधार-
- इतिहास में रुचि
- इतिहास का अंकदायी होना
- इतिहास की सामान्य अध्ययन में उपयोगिता
- इतिहास में अध्ययन सामग्री व गाइडेंस की उपलब्धता।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः परीक्षा के तीनों चरणों की तैयारी के लिए आप कितना समय उपयुक्त मानते हैं? तीनों चरणों की तैयारी में आपकी समय की रणनीति एक जैसी रही या उसमें बदलाव भी किए?
संत रंजन श्रीवास्तवः तीनों चरणों की तैयारी के लिए 1-2 वर्ष पर्याप्त है। मैंने तीनों चरणों की संयुक्त तैयारी शुरू की, किंतु जब जो परीक्षा नजदीक होती थी, तो एक माह केवल उसी पर फोकस करता था।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन की अहमियत बढ़ा दी गई है। इसे पूरी तरह कवर करने व अच्छी तरह तैयार करने का सर्वाेत्तम तरीका क्या हो सकता है? मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन के विस्तृत पाठ्यक्रम को देखते हुए इसकी तैयारी के लिए आपने क्या रणनीति अपनाई? परीक्षा भवन में प्रश्नों को हल करने के लिए क्या आपने कोई विशेष रणनीति अपनाई?
संत रंजन श्रीवास्तवः मुख्य परीक्षा के लिए निम्न बातों का ध्यान रखा-
- 40 शब्द प्रति मिनट की गति।
- प्वांइट वाइज फॉरमेट में उत्तर लेखन।
- प्रतिदिन उत्तर लेखन अभ्यास।
- उत्तर में बेहतर कोटेशन, फिगर, डायग्राम का इस्तेमाल
- भूमिका, निष्कर्ष पर विशेष ध्यान।
- प्रतिदिन नोट्स बनाना।
- विषय की गहरी समझ।
- हिन्दी, निबंध, सामान्य अध्ययन पेपर I तथा II तथा वैकल्पिक विषय पर विशेष ध्यान।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः क्या आपने अपने नोट्स बनाए? ये नोट्स किस प्रकार उपयोगी रहे? एक ही कोचिंग संस्थान के नोट्स का उपयोग कई छात्र करते हैं। ऐसे में इन नोट्स को औरों से अलग बनाने हेतु आपने क्या रणनीति अपनाई?
संत रंजन श्रीवास्तवः इस परीक्षा में नोट्स बनाना अति आवश्यक है, इससे आपको परीक्षा हाल में 6 घंटे लिखने में हाथ दर्द नहीं करेगा तथा वही चीज याद रहती है, जिनका हम नोट्स बनाते हैं। नोट्स में विविधता रखें, कई विचारों को जगह दें।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः नीतिशास्त्र व सत्यनिष्ठा के प्रश्न-पत्र की तैयारी के लिए आपने क्या किया? छात्रों को इस संदर्भ में आप क्या मार्गदर्शन दे सकते हैं?
संत रंजन श्रीवास्तवः नीतिशास्त्र व सत्यनिष्ठा के लिए मैंने नोट्स बनाए, जिसमें सभी परिभाषाओं को लिखा। बेहतर कोटेशन का इस्तेमाल किया। कुछ महत्वपूर्ण दार्शनिकों के विचारों को समझा। केस स्टडी के लिए मैंने विजन केस स्टडी को फॉलो किया।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपने निबंध की तैयारी कैसे की और परीक्षा भवन में इसके चयन और लेखन के लिए क्या रणनीति अपनाई?
संत रंजन श्रीवास्तवः निबंध के लिए मैंने कोटेशन, तर्क, कहानी, तथ्य घटना आदि को नोट करते हुए 40-50 पेज के नोट्स बनाए, जिसे बार-बार रिवाइज किया। परीक्षा से पूर्व कुछ निबंध लिखकर देखे तथा विषय चयन करते हुए सामान्यतः अमूर्त विषय पर निबंध लिखने की कोशिश की।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः उत्कृष्ट उत्तर लेखन शैली क्या होनी चाहिए? इसके लिए आपने तैयारी के दौरान क्या तरीका अपनाया?
संत रंजन श्रीवास्तवः उत्कृष्ट उत्तर लेखन के लिए नियमित अभ्यास करें, प्वाइंट वाइज फॉरमेट में लिखे, बेहतर कोटेशन, डायग्राम, तर्क, घटना का उल्लेख करें। कोटेशन व निष्कर्ष बहुत अच्छा लिखने का प्रयास करें।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः आपने साक्षात्कार की तैयारी कैसे की? आपका साक्षात्कार कैसा रहा? आपसे कैसे प्रश्न पूछे गए? क्या किसी प्रश्न पर आप नर्वस भी हुए?
संत रंजन श्रीवास्तवः साक्षात्कार के दौरान नर्वस होना स्वभाविक है, किंतु धैर्य बनाए रखें, कॉन्फिडेंट रहें। मेरा साक्षात्कार प्रो. डॉ. राम जी मौर्या सर के बोर्ड में था। मुझसे निम्न सवाल पूछे गए-
- आप सिविल सेवा में क्यों आना चाहते हैं?
- आपके अंदर क्या गुण हैं?
- सिविल सेवक में क्या गुण होने चाहिए।
- गांव में तकनीक का इस्तेमाल कैसे करेंगे?
- इन्टेग्रिटी क्या है?
- पॉवर तथा अथॉरिटी में अंतर।
- उ.प्र. में कितनी जातियां अनुसूचित हैं?
- उ.प्र. में कितनी भाषाएं बोली जाती हैं?
- अवधी क्षेत्र के दो कवि का नाम
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः क्या आपने कोचिंग ली? कोचिंग किस प्रकार उपयोगी रही? ऐसे छात्र जो तैयारी हेतु कोचिंग की सहायता लेना चाहते हैं, उन्हें आप क्या सुझाव देंगे?
संत रंजन श्रीवास्तवः मैंने कोचिंग नहीं की। किंतु जो अभ्यर्थी अभी बहुत शुरुआती स्टेज में हैं, यदि वो अफॉर्ड कर सकते हैं, तो वो कोचिंग कर लें।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः जो छात्र सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी आरंभ करना चाहते हैं, उन्हें आप क्या सुझाव देंगे? यदि कोई ग्रामीण पृष्ठभूमि का या आर्थिक रूप से कमजोर छात्र सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी आरंभ करना चाहता हो, तो ऐसे छात्र को क्या करना चाहिए?
संत रंजन श्रीवास्तवः सबसे पहले छात्रों को पाठ्यक्रम को 3-4 बार पढ़ना चाहिए। फिर पूर्व प्रश्नों को देखते हुए, नोट्स बनाना चाहिए। अच्छे वेबसाइट व यू-ट्यूब चैनल का भी सहारा लिया जा सकता है।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः सामान्य धारणा यह है कि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी आरंभ करने से पूर्व कोई कैरियर विकल्प भी अपने पास रखना चाहिए। क्या आपने भी कोई कैरियर विकल्प रखा था?
संत रंजन श्रीवास्तवः चूंकि मैं असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत था, तो मुझे वैकल्पिक रोजगार की समस्या नहीं थी। किंतु छात्रों को 2-3 प्रयास के बाद वैकल्पिक रोजगार पर भी ध्यान देना चाहिए।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः तैयारी में पत्र-पत्रिकाओं से आपको कितनी सहायता मिली? आपने किन पत्र-पत्रिकाओं का अध्ययन किया? सिविल सेवा परीक्षा के लिए इन पत्र-पत्रिकाओं की कितनी उपयोगिता है?
संत रंजन श्रीवास्तवः मैं सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल का नियमित पाठक रहा, यह सिविल सेवा को लक्षित करते हुए लिखी जाने वाली अत्यंत उपयोगी पत्रिका है। छात्रों को इस पत्रिका को अवश्य पढ़ना चाहिए।
सिविल सर्विसेज क्रॉनिकलः सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल पत्रिका आपको कैसी लगी? आपकी सफलता में इसका कितना योगदान है? क्या आप इसमें किसी प्रकार के बदलाव की अपेक्षा रखते हैं?
संत रंजन श्रीवास्तवः सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल मेरी तैयारी में प्रारंभिक परीक्षा से लेकर इंटरव्यू तक अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई। इसके लेख खंड अत्यंत उपयोगी हैं। कई बार यहीं से सीधे सवाल आ जाते हैं।
पुस्तक सूची प्रारंभिक परीक्षा
मुख्य परीक्षा
वैकल्पिक विषय-इतिहास
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