प्रश्न : परीक्षा प्रणाली कितने चरणों की है?

उत्तर :

 सिविल सेवा परीक्षा (यूपीएससी ) तीन चरणों में संपन्न होती है जो निम्न है-

1- सिविल सेवा प्रांरभिक परीक्षा जो कि वस्तुनिष्ठ प्रकृति की होती है।

2- सिविल सेवा मुख्य परीक्षा वर्णनात्मक प्रकृति के होते हैं।

3- साक्षात्कार। संघ लोक सेवा आयोग के मुख्य परीक्षा में प्राप्त प्राप्तांक तथा साक्षात्कार में प्राप्त प्राप्तांक को मिलाकर मेधा सूची तैयार की जाती है।

  1. प्रारंभिक परीक्षा केवल अर्ह परीक्षा है अर्थात इस परीक्षा के माध्यम से मुख्य परीक्षा में शामिल होने के लिए छात्रों का चयन किया जाता है। यह एक प्रकार की छंटनी प्रक्रिया है जिसके तहत अगंभीर छात्रों को परीक्षा प्रक्रिया से बाहर किया जाता है। यह अलग बात है कि कोई छात्र पहली बार में प्रारंभिक परीक्षा भी पास नहीं कर पाता, जबकि अगले वर्ष उसे प्रॉपर आईएएस मिलता है। इसलिए यदि आप प्रथम प्रयास में प्रारंभिक परीक्षा में सफल नहीं भी होते हैं तो निराश होने की जरूरत नहीं है। इसलिए प्रथम प्रयास में प्रारंभिक परीक्षा में पास नहीं होने का मतलब कतई नहीं है कि आप सिविल सेवक बनने के लायक नहीं है। इसका मतलब यही है कि प्रारंभिक परीक्षा की आपकी रणनीति में कहीं चूक हुयी है जिसे सुधारकर आप अगली बार सफल हो सकते हैं। 
  2. दूसरी बात यह कि मुख्य परीक्षा में प्रवेश हेतु अर्हता (प्रारंभिक परीक्षा में सफल छात्र) प्राप्त करने वाले उम्मीदवार द्वारा प्रारंभिक परीक्षा में प्राप्त किए गए अंकों को उनके अंतिम योग्यता क्रम यानी मेरिट को निर्धारित करने के लिए नहीं गिना जाएगा। इसका मतलब यह है कि प्रारंभिक परीक्षा में आपको केवल पास होना है, इसमें जो भी अंक आपको आएगा वह आगे काम नहीं आएगा यानी मुख्य परीक्षा में नहीं जोड़ा जाएगा। इसलिए तो प्रारंभिक परीक्षा केवल अर्हक परीक्षा है।
  3. मुख्य परीक्षा में प्रवेश दिये जाने वाले उम्मीदवारों की संख्या उक्त वर्ष में विभिन्न सेवाओं तथा पदों में भरी जाने वाली रिक्तियों की कुल संख्या का लगभग बारह से तेरह गुना होती है। अर्थात कुल पदों की संख्या का 12 से 13 गुना। अमूमन विगत चार- पांच वर्षों से देखा गया है कि विज्ञप्ति में  पदों की संख्या लगभग 1000 के करीब होती है। ऐसे में प्रतिवर्ष लगभग 13000 छात्रों को मुख्य परीक्षा में बैठने का मौका मिलता है।