Question : ‘अक्षुण ईमानदारी बरतने’ (maintaining absolute integrity) का क्या महत्व है? उपयुक्त उदाहरणों के साथ स्पष्ट करें।
Answer : उत्तर: पूर्ण सत्यनिष्ठा (integrity) बरतने का महत्वः केन्द्रीय सिविल सेवा (आचार) नियम 1964 का नियम 3(1) कहता है कि ‘सभी सरकारी सेवक को सदैव पूर्ण सत्यनिष्ठा बरतनी चाहिए’।
उदाहरणः कर्नाटक सड़क यातायात निगम में एक कंडक्टर था। उसने लगभग 360.00 रुपये का घपला किया। जांचकर्ता अधिकारी ने उसे दोषी माना तथा अनुशासी प्राधिकार ने उसे दंड के स्वरूप नौकरी से बर्खास्त कर दिया। मामला सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचा जिसने बर्खास्तगी को सही ठहराते हुए तर्क दिया ‘‘कर्मचारी में नियोक्ता का विश्वास हट जाना प्रधान कारक है न कि गबन किए गए धन की मात्रा।’’
Question : ‘‘कॉर्पोरेट शासन का वास्तविक मूल्य नियमों के अनुपालन को सुनिश्चित करने से कहीं अधिक है’’। आलोचनात्मक टिप्पणी कीजिए।
Answer : उत्तरः यद्यपि भारतीय कॉर्पोरेट ने बोर्ड स्तर की नीतियों तथा प्रक्रियाओं को अद्यतन करने, उनका पुनरावलोकन करने पर ध्यान केन्द्रित किया है, परंतु अधिकांशतः संगठनों का ध्येय अपने बोर्ड में कार्यपालक तथा गैर कार्यपालक निदेशकों को नियुक्त करते हुए विधानों का अनुपालन करने में रहा है।
Question : ‘‘सार्वजनिक एवं निजी शासन की अवधारणा अभिसरण (convergnece) की स्थिति में प्रवेश कर रही हैं’’। आप इस कथन से कहाँ तक सहमत है?
Answer : उत्तरः समकालीन विश्व के निजी क्षेत्र मात्र बाजार तंत्र द्वारा चालित एक मुक्त प्रतिस्पर्धा तंत्र नहीं हैं, क्योंकि एक वास्तविक प्रतिस्पर्धी कम्पनी जिसे अपने सम्मान व प्रतिष्ठा की परवाह हो उसे स्पष्ट रूप से अपने हितधारकों तथा समाज के हितों के प्रति भी समर्पित होना चाहिए।
Question : हित संघर्ष से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित समझाएं। साथ ही, इससे निपटने के उपायों की चर्चा करें।
Answer : उत्तरः हित संघर्ष वह अवस्था है जिसमें किसी प्राधिकृत व्यक्ति के फैसले से आने वाला प्रतिफल अधिकारी के हित को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर सकता है। अर्थात हित संघर्ष की परिस्थिति में अधिकारी के निर्णय जब उसके विवेक द्वारा दिए जाते हैं तो पक्षपात की संभावना बन सकती है। यदि उस निर्णय के प्रतिफल में उस अधिकारी का हित छुपा हो।
इसे निम्न उदाहरणों से समझा जा सकता है-
Question : भारत में व्हिसल ब्लोअर क्षेत्र का विस्तार कैसे किया जा सकता है? उपयुक्त उदाहरण के साथ समझाएं।
Answer : उत्तरः व्हिसल ब्लोअर एक्ट भष्ट्राचार से लड़ने के लिए बनाया गया है, जिसमें भष्ट्राचार की सूचना देने वाले का नाम गुप्त रखा जाता है ताकि उसे किसी प्रकार का कोई खतरा न हो तथा और भी लोग अपने आस-पास हो रही भष्ट्राचार की घटनाओं की सूचना देने के लिए आगे आए।
भारत में व्हिसल ब्लोअर एक्ट का विस्तार-
Question : ‘‘खुली सरकार वह शासकीय सिद्धांत है जो यह सुनिश्चित करता है कि प्रभावी सार्वजनिक निरीक्षण हेतु नागरिकों को दस्तावेजों और कार्यवाहियों तक पहुंच का अधिकार है।’’ आप इस कथन से कहाँ तक सहमत हैं?
Answer : उत्तरः मैं इस कथन से सहमत हूँ। खुली सरकार पारदर्शिता तथा उत्तरदायित्त्व सुनिश्चित करते हुए सूचनाओं का वितरण अपने नागरिकों में करती है। साथ ही, उनसे पारिवारिक सदस्य की भाँति प्रतिपुष्ठि (Feedback) भी लेती है।
Question : ‘‘भ्रष्टाचार की समस्या के समाधान के प्रयास, शासन के किसी अन्य मुद्दे से अधिक व्यवस्थागत हो गये हैं’’। आप इस कथन से कितना सहमत हैं?
Answer : उत्तरः भारत में भ्रष्टाचार की समस्या का, शासन के अन्य मुद्दों की तुलना में अधिक व्यवस्थित समाधान किए जाने की जरूरत है। मात्र राज्य की आर्थिक भूमिका को छोटा करके एवं निजीकरण व उदारीकरण द्वारा इस समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता। ऐसी सभी प्रक्रियाओं, नियमों तथा कानूनों को समाप्त करना होगा जो भ्रष्टाचार को जन्म देते हैं तथा कुशल वितरण प्रणाली में बाधा उत्पन्न करते हैं।
Question : वर्तमान में केन्द्रीय और राज्य स्तर पर भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए भारत में मौजूद, प्रशासनिक मशीनरी की भूमिका का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
Answer : उत्तरः भ्रष्टाचार रोधी उपायों को निम्न दो वर्गों में बाँटा जा सकता है-
(i) प्रक्रियात्मक तथा
(ii) प्रशासनिक अनुमोदन
एजेन्सियां जो भ्रष्टाचार जाँच के केसों से जुड़ी हुई हैं
एजेन्सियां जो प्रशासनिक सत्तर्कता से जुड़ी हुई हैं
Question : भारत में कारपोरेट प्रशासन को मजबूत बनाने में राज्य या राज्य की संस्थाओं की क्या भूमिका है?
Answer : उत्तरः (a) बड़े-बड़े कॉरपोरेट घोटाले जैसे सत्यम, शारदा चिट फंड, Speak asia घोटाला, इत्यादि ने जनचेतना को जागृत किया और ये सोचने पर मजबूर किया कि कॉरपोरेट शासन में सुधार की जरुरत है, और ये उम्मीद की गई है कि कॉरपोरेट में सुशासन को स्थापित करने से न सिर्फ ऐसी घटनाओं में कमी आयेगी बल्कि संगठन के प्रदर्शन पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ेगा एवं गुणवत्ता बढ़ेगी।