Question : जॉन स्टुअर्ट मिल के अनुसार “सभी नैतिकता का आधार सबसे बड़ी खुशी का सिद्धांत होना चाहिए।” टिप्पणी कीजिए। एक उपयुक्त समस्या अध्ययन के माध्यम से यह दर्शाइये कि यह सिद्धांत अभी भी प्रासंगिक है।
Answer : उत्तरः बेंथम ने नीतिशास्त्रीय मुद्दों को अधिक व्यक्तिवादी नजरिए से देखा। उसका तर्क तथा कि चूंकि समाज व्यक्तियों से बना होता है, यह पर्याप्त होगा कि पूरे विषय को व्यक्तिगत उपयोगिता-मांग के नीतिशास्त्रीय आधार के रूप में रखकर, देखा जाए।
जॉन स्टूअर्ट मिल ने बेंथम के दृष्टिकोण में आगे सुधार करते हुए कहाः
Question : स्वामी विवेकानन्द का मत कि ‘संन्यास वह मूल आधार है जिस पर नीतिशास्त्र खड़ा है’ की चर्चा करें।
Answer : उत्तर: विवेकानन्द के अनुसार ‘‘इंद्रियां कहती है पहले मैं। लेकिन नीतिशास्त्र कहता है कि मुझे स्वयं को सबसे अंत में रखना चाहिए।’’
Question : नौकरशाही संरचना पर भावनात्मक समझ (Emotional intelligence) के प्रभाव की व्याख्या करें।
Answer : उत्तरः नौकरशाही संरचना पर भावनात्मक समझ का प्रभावः
प्रत्यक्ष भावात्मक बुद्धिमता की तीन प्रमुख संकल्पनाएं हैं:
निर्णय निर्माण में सुधारः बिना भावनाओं को शामिल किए तंत्रिकीय स्तर पर निर्णय-निर्माण असंभव है।
Question : निम्न पदों को उचित उदहारण के साथ समझाएं:
(a) भावनात्मक समझ
(b) कपटपूर्ण भ्रष्टाचार
(c) नैतिक लब्धि
Answer : उत्तर: (a) भावनात्मक समझः यह किसी भी व्यक्ति अथवा खुद की भावनाओं को प्रबंधन करने की क्षमता है।
(b) कपटपूर्ण भ्रष्टाचारः किसी व्यक्ति का रिश्वत देने की इच्छा एवं अपना कार्य पूर्ण करवाने की मंशा ही कपटपूर्ण भ्रष्टाचार है। इसमें रिश्वत देने वाले अपने स्वेच्छा से दूसरे व्यक्ति को रिश्वत की पेशगी करते हैं ताकि उनका कार्य हो सके। इस स्थिति में सरकारी अधिकारी निजी क्षेत्र के अधिकारियों से गठजोड़ करते हैं एवं रिश्वत के बदले अपना कार्य पूरा करवाते हैं। यह परंपरा व्यापारिक वातावरण में ज्यादा प्रबल है।
(c) नैतिक लब्धिः सभी मानव नियमों एवं नीतियों के द्वारा संचालित होते हैं ये वो नैतिक मूल्य है जो किसी व्यक्ति को सही राह को पकड़ कर निश्चित निर्णय पर पहुचने की प्ररेणा देते हैं। नैतिक उपलब्धि आंतरिक लब्धि से भिन्न है। नैतिक लब्धि के बिना किए गए कार्य को पूरा होने में संशय की स्थिति बनी रही है।
Question : भारत में नीति निर्माण की समस्याओं का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए तथा समाधान भी बताइये।
Answer : उत्तरः भारत में नीतिनिर्माण में समस्याएं:
भारत में सार्वजनिक नीति निर्माण के सुधार हेतु सुझावः
Question : ‘तटस्थता लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में सिविल सेवा की एक प्रमुख अभिलक्षण है। वर्तमान संदर्भ में जब भारतीय शासन-प्रशासन बहुलीय राजनीतिक व्यवस्था से परिचालित हो रही है। तटस्थता की अवधारणा का भारतीय संदर्भ में परीक्षण करें।
Answer : उत्तरः तटस्थता मूलतः एक राजनैतिक विचार है। सिविल सेवा में तटस्थता एक महत्वपूर्ण सैद्धांतिक अवस्था है। दलीय राजनीति व्यवस्था तब तक सफल नहीं हो सकती, जब तक कि नौकरशाह तटस्थ न हो।
इस प्रकार उपर्युक्त संदर्भों के आलोक में तटस्थता की अवधारणा को भारतीय प्रशासन के संदर्भ में समझा जा सकता है।