भारत के 22वें विधि आयोग का गठन
- 10 Nov 2022
7 नवंबर, 2022 को केंद्र सरकार ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी की अध्यक्षता में भारत के 22वें विधि आयोग का गठन किया। केंद्र सरकार द्वारा विधि आयोग के सदस्यों की भी नियुक्ति की गई।
- उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा फरवरी 2020 में ही 22वें विधि आयोग के गठन को मंजूरी दी गई थी, परन्तु अभी तक इसके अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति नहीं की गई थी।
भारत का विधि आयोग
- भारत का विधि आयोग महत्वपूर्ण विधायी सुधारों की सिफारिश करने वाली सरकार की शीर्ष संस्था है तथा यह कार्यकारी निकाय भारत सरकार के एक आदेश के माध्यम से स्थापित किया जाता है।
- मूल रूप से विधि आयोग का गठन 1955 में किया गया था तथा इसका हर तीन साल में पुनर्गठन किया जाता है। विधि आयोग द्वारा अब तक सरकार को 277 रिपोर्टें सौंपी जा चुकी हैं।
- आयोग का कार्य कानूनी सुधारों पर भारत सरकार को शोध और सलाह प्रदान करना है। इसमें कानूनी विशेषज्ञ शामिल होते हैं तथा इसकी अध्यक्षता एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा की जाती है। यह कानून और न्याय मंत्रालय के सलाहकार निकाय के रूप में काम करता है।
22वें विधि आयोग के कार्य
- यह ऐसे कानूनों की पहचान करना जिनकी अब कोई जरूरत नहीं है या वे अप्रासंगिक हैं और जिन्हें तुरन्त निरस्त किया जा सकता है।
- राज्य नीति के निदेशक तत्वों के आलोक में मौजूदा कानूनों की जांच करना तथा सुधार के तरीकों के सुझाव देना।
- नीति निदेशक तत्वों को लागू करने के लिए आवश्यक कानूनों के बारे में सुझाव देना तथा संविधान की प्रस्तावना में निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करना।
- सामान्य महत्व के केंद्रीय अधिनियमों को संशोधित करना ताकि उन्हें सरल बनाया जा सके और विसंगतियों, संदिग्धताओं और असमानताओं को दूर किया जा सके।
- कानून और न्यायिक प्रशासन से संबंधित उस किसी भी विषय पर विचार करना और सरकार को अपने विचारों से अवगत कराना, जो इसे विधि और न्याय मंत्रालय के माध्यम से सरकार द्वारा विशेष रूप से अग्रेषित किया गया हो।
- गरीब लोगों की सेवा में कानून और कानूनी प्रक्रिया का उपयोग करने के लिए आवश्यक सभी उपाय करना।
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