बोमा कैप्चरिंग तकनीक
- 04 Apr 2022
मार्च 2022 में राजस्थान के भरतपुर जिले के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में चित्तीदार हिरणों (spotted deer) को पकड़ने और स्थानांतरित करने के लिए ‘अफ्रीका की बोमा तकनीक’ (BOMA CAPTURING TECHNIQUE) का प्रयोग किया गया।
(Image Source: https://epaper.thehindu.com/)
महत्वपूर्ण तथ्य: इस असामान्य प्रयोग को चित्तीदार हिरणों को लगभग 450 किमी दूर स्थित मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित करने के लिए किया गया, ताकि वहाँ शिकार के आधार में सुधार किया जा सके।
- बोमा कैप्चरिंग तकनीक अफ्रीका में काफी लोकप्रिय है। इसमें फनल (वी आकार) जैसी बाड़ के माध्यम से जानवरों का पीछा करके उन्हें एक बाड़े में कैद किया जाता है।
- यह फनल एक पशु चयन-सह-लोडिंग संरचना (animal selection-cum-loading chute) का रूप ले लेता है और इसे जानवरों को भ्रमित करने के लिये घास की चटाई और हरे रंग के जाल से ढका जाता है, जिसे बाद में दूसरे स्थान पर परिवहन के लिए एक बड़े वाहन में रखा जाता है।
- इस पुरानी तकनीक का उपयोग पहले जंगली हाथियों को प्रशिक्षण और सेवा के लिए पकड़ने के लिए किया जाता था।
जीके फैक्ट: हाल के वर्षों में मध्य प्रदेश में इसे अपनाने के बाद, बोमा को राजस्थान में पहली बार बाघों और तेंदुओं के शिकार आधार में सुधार के लिए लिए अभ्यास में लाया जा रहा है।
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