युद्ध इतिहास को सार्वजनिक करने संबंधित नीति
- 18 Jun 2021
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 12 जून, 2021 को रक्षा मंत्रालय द्वारा युद्ध एवं ऑपेरशन संबंधी इतिहास के संग्रहण (archiving), सार्वजनिक करने या गोपनीयता सूची से हटाने (declassification), संकलन (compilation) और प्रकाशन संबंधी नीति को मंजूरी दे दी है।
उद्देश्य: युद्ध इतिहास संबंधी घटनाओं का सटीक विवरण देना; अकादमिक शोध के लिए प्रामाणिक सामग्री प्रदान करना और निराधार अफवाहों को रोकना।
नीति की मुख्य बातें: रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला प्रत्येक संगठन जैसे- सेना के तीनों अंग, एकीकृत रक्षा कर्मचारी, असम राइफल्स और भारतीय तटरक्षक बल अभियानों से जुड़े रिकॉर्ड पुस्तकों/ अभिलेखों को उचित रखरखाव, अभिलेखीय और लेखन इतिहास हेतु रक्षा मंत्रालय के ‘इतिहास प्रभाग’ को हस्तांतरित करेंगे।
- ‘इतिहास प्रभाग’ युद्ध/ऑपरेशन इतिहास के संकलन, अनुमोदन और प्रकाशन के दौरान विभिन्न विभागों के साथ समन्वय के लिए जिम्मेदार होगा।
- नीति में युद्ध/ऑपरेशन इतिहास के संकलन के लिए ‘रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव’ की अध्यक्षता में और सेनाओं, विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय और अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए एक समिति का गठन अनिवार्य है।
- रिकॉर्ड को आमतौर पर 25 वर्षों में सार्वजनिक (declassified) किया जाना चाहिए। इन्हें सार्वजनिक करने की जिम्मेदारी ‘सार्वजनिक अभिलेख अधिनियम 1993’ और ‘सार्वजनिक अभिलेख नियम 1997’ में विनिर्दिष्ट संबंधित संगठनों की है।
- 25 वर्ष से अधिक पुराने अभिलेखों को अभिलेखीय विशेषज्ञों द्वारा मूल्यांकन किए जाने और संकलित करने के बाद ‘भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार’ को हस्तांतरित किया जाना चाहिए।
संकलन और प्रकाशन की समयसीमा: युद्ध/ ऑपरेशन पूरा होने के 2 वर्ष के भीतर उपर्युक्त समिति का गठन; इसके बाद अभिलेखों का संग्रहण और संकलन 3 वर्षों में पूरा किया जाना।
पृष्ठभूमि: के सुब्रह्मण्यम की अध्यक्षता वाली ‘कारगिल समीक्षा समिति’ के साथ-साथ ‘एन एन वोहरा समिति’ द्वारा ‘युद्ध अभिलेखों को सार्वजनिक करने संबंधित नीति’ के साथ ‘युद्ध इतिहास लिखे जाने की आवश्यकता’ की सिफारिश की गई थी।
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