सूक्ष्म-वित्त विनियमन पर परामर्शक दस्तावेज
- 15 Jun 2021
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 14 जून, 2021 को ‘सूक्ष्म-वित्त के विनियमन पर एक परामर्शक दस्तावेज’ (Consultative Document on Regulation of Micro-finance) जारी किया है।
उद्देश्य: सूक्ष्म-वित्त उधारकर्ताओं को अति-ऋणग्रस्तता से बचाने के साथ-साथ सूचित निर्णय (informed decision) लेने के लिए उधारकर्ताओं को सशक्त बनाकर प्रतिस्पर्धी ताकतों को ब्याज दरों को कम करने में सक्षम बनाना।
महत्वपूर्ण तथ्य: इसे सूक्ष्म- वित्त क्षेत्र में विभिन्न विनियमित ऋणदाताओं के लिए नियामक ढांचे के सामंजस्य हेतु जारी किया गया है।
दस्तावेज के प्रमुख प्रस्ताव: सभी विनियमित संस्थाओं के लिए सूक्ष्म-वित्त ऋण की एक समान परिभाषा;
- परिवार के ऋण दायित्वों के पुनर्भुगतान के कारण बहिर्वाह (outflow) को पारिवारिक आय के प्रतिशत तक सीमित करना;
- यह पारिवारिक आय के आकलन के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति की भी सिफारिश करता है।
- बेहतर पारदर्शिता के लिए सूक्ष्म-वित्त ऋणों के मूल्य निर्धारण संबंधी एक मानक सरलीकृत तथ्य पत्रक (Standard simplified fact sheet) की शुरुआत;
- विनियमित संस्थाओं की वेबसाइटों पर सूक्ष्म-वित्त ऋणों पर लगाए गए न्यूनतम, अधिकतम और औसत ब्याज दरों को प्रदर्शित करना।
सूक्ष्म-वित्त: यह वित्तीय सेवा का एक रूप है, जो गरीब और कम आय वाले परिवारों को लघु ऋण और अन्य वित्तीय सेवाएं प्रदान करता है।
- सूक्ष्म-वित्त संस्थानों के लिए आरबीआई के नियमों के तहत, एक सूक्ष्म-वित्त उधारकर्ता की वार्षिक घरेलू आय ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 1.25 लाख रुपये तथा शहरी /अर्ध-शहरी क्षेत्रों के लिए 2 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।
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