फेकबस्टर
- 20 May 2021
मई 2021 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रोपड़, और मॉनाश यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया के अनुसंधानकर्ताओं ने ‘फेकबस्टर’ (FakeBuster) नामक एक ऐसा अनोखा डिटेक्टर (unique detector) विकसित किया है, जो ऐसे किसी भी ऑनलाइन फरेबी का पता लगा सकता है, जो बिना किसी जानकारी के वर्चुअल सम्मेलन में घुसपैठ कर जाते हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य: मौजूदा महामारी के दौर में ज्यादातर कामकाज और आधिकारिक बैठकें ऑनलाइन हो रही हैं। इस अनोखी तकनीक से यह पता लगाया जा सकता है कि किस व्यक्ति के वीडियो के साथ छेड़-छाड़ की जा रही है या वीडियों कॉन्फ्रेंस के दौरान कौन घुसपैठ कर रहा है।
- फेकबस्टर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग परिदृश्यों के लिए एक ‘डीपफेक्स’ (DeepFakes) डिटेक्शन टूल या उपकरण है।
- वीडियो या विजुअल हेरफेर करने को ही ‘डीपफेक्स’ के नाम से जाना जाता है। ऑनलाइन परीक्षा या नौकरी के लिये होने वाले साक्षात्कार के दौरान भी इसका गलत इस्तेमाल किया जा सकता है।
- फेकबस्टर सॉफ्टवेयर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सॉल्यूशन से अलग है और इसे ‘जूम’ (Zoom) और ‘स्काइप’ (Skype) एप्लिकेशन पर परखा जा चुका है।
- फेक-बस्टर ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों तरीके से काम करता है। इसे मौजूदा समय में लैपटॉप और डेस्कटॉप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
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