समुद्री पर्यावरण में प्लास्टिक कचरे की समस्या पर भारत-जर्मनी समझौता
- 20 Apr 2021
19 अप्रैल, 2021 को भारत और जर्मनी ने ‘समुद्री पर्यावरण में प्रवेश कर रहे प्लास्टिक कचरे की समस्या का सामना कर रहे शहरों’ से संबंधित एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
महत्वपूर्ण तथ्य: आवास और शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार और जर्मन संघीय पर्यावरण मंत्रालय ने नई दिल्ली में वर्चुअल समारोह में तकनीकी सहयोग से संबंधित इस समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- परियोजना के नतीजे पूरी तरह से स्वच्छ भारत मिशन- शहरी के उद्देश्यों के अनुरूप हैं, जिसमें सतत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और 2022 तक प्लास्टिक के एकल उपयोग को रोकने के लिए प्रधानमंत्री के विजन पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- इस परियोजना की परिकल्पना भारत और जर्मनी के बीच ‘समुद्री कचरे की रोकथाम’ के क्षेत्र में सहयोग के उद्देश्य से संयुक्त घोषणापत्र की रूपरेखा के तहत 2019 में की गई थी।
- समुद्री पर्यावरण में प्लास्टिक को रोकने की व्यवस्था बढ़ाने के उद्देश्य से इस परियोजना को राष्ट्रीय स्तर पर (आवास और शहरी कार्य मंत्रालय), चुनिंदा राज्यों (उत्तर प्रदेश, केरल और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह) और कानपुर, कोच्चि और पोर्ट ब्लेयर शहरों में साढ़े तीन साल की अवधि के लिए चालू किया जाएगा।
- अनुमान के अनुसार सभी प्लास्टिक का 15-20% नदियों के बहते पानी के माध्यम से महासागरों में प्रवेश कर रहा है, जिनमें से 90% योगदान दुनिया की 10 सबसे प्रदूषित नदियां करती हैं। इनमें से दो नदियां गंगा और ब्रह्मपुत्र भारत में हैं।
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