अर्जुन मुख्य युद्धक टैंक (एमके-1ए)
- 16 Feb 2021
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 फरवरी, 2021 को चेन्नई में एक समारोह में स्वदेशी रूप से विकसित 'अर्जुन मुख्य युद्धक टैंक (एमके-1ए)' [Arjun Main Battle Tank (MK-1A)] भारतीय सेना को सौंपा।
महत्वपूर्ण तथ्य: सेना को 118 मुख्य युद्धक टैंक मिलेंगे, जो स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित हैं।
- अर्जुन मुख्य युद्धक टैंक परियोजना की शुरुआत 1972 में DRDO ने लड़ाकू वाहन अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (CVRDE) के साथ प्रमुख प्रयोगशाला के रूप में की थी।
- 1996 में तमिलनाडु के अवडी में भारतीय आयुध निर्माणी की उत्पादन सुविधा में बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू हुआ।
- भारतीय सेना को 2004 में 16 टैंकों की पहली खेप मिली और उन्हें '43 बख्तरबंद रेजिमेंट' के एक स्क्वाड्रन के रूप में शामिल किया गया था।
विशेषताएं: अर्जुन टैंक में 'फिन स्टैबलाइज्ड आर्मर पियर्सिंग डिस्चार्जिंग फॉर सबोट' (Fin Stabilized Armour Piercing Discarding Sabot- FSAPDS) गोला-बारूद और 120-एमएम कैलिबर वाली राइफल्ड गन हैं।
- इसमें स्थिर नियंत्रण के साथ एक 'कंप्यूटर-नियंत्रित एकीकृत अग्नि नियंत्रण प्रणाली' भी है, जो सभी प्रकाश स्थितियों में काम करती है।
एमके-1ए कैसे अलग है? एमके-1ए (MK-1A) संस्करण में पहले संस्करण की तुलना में 14 प्रमुख अपग्रेड हैं। इसमें डिजाइन के अनुसार मिसाइल फायरिंग क्षमता भी है, लेकिन इस सुविधा को बाद में जोड़ा जाएगा क्योंकि क्षमता का अंतिम परीक्षण अभी जारी है।
- एमके-1ए संस्करण के साथ सबसे बड़ी उपलब्धि 54.3% स्वदेशी सामग्री है, जो पहले के मॉडल में 41% थी।
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