रिस्क-ओ-मीटर
- 16 Jan 2021
म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए जोखिम को ठीक तरह से पहचानने के लिए बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) का 'रिस्क-ओ-मीटर' (Risk-o-meter) 1 जनवरी, 2021 से लागू हो गया।
महत्वपूर्ण तथ्य: 5 अक्टूबर, 2020 को जारी अपने परिपत्र में, नियामक ने म्यूचुअल फंड हाउसों के लिए अपनी योजनाओं के जोखिम स्तर को छ-स्तरीय पैमाने 'निम्न' से 'बहुत उच्च' तक श्रेणीबद्ध करने को अनिवार्य कर दिया था।
- 1 जनवरी से शुरू होने वाले सभी म्यूचुअल फंड अपनी योजनाओं की विशेषताओं के आधार पर लॉन्च के समय अपनी योजनाओं के लिए एक जोखिम स्तर प्रदान करते हैं।
- रिस्क-ओ-मीटर का मूल्यांकन मासिक आधार पर किया जाएगा।
- फंड हाउसों को अपनी वेबसाइट के साथ-साथ एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) की वेबसाइट पर अपनी सभी योजनाओं के लिए पोर्टफोलियो प्रकटीकरण के साथ रिस्क-ओ-मीटर जोखिम स्तर का खुलासा हर महीने के अंत के 10 दिन पहले करना आवश्यक है।
- किसी योजना के संबंध में रिस्क-ओ-मीटर रीडिंग में कोई भी परिवर्तन होने पर उस योजना के यूनिट-धारकों को सूचित किया जाएगा।
सामयिक खबरें
सामयिक खबरें
सामयिक खबरें
राष्ट्रीय
- राजनीति और प्रशासन
- अवसंरचना
- आंतरिक सुरक्षा
- आदिवासियों से संबंधित मुद्दे
- कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ
- कार्यकारी और न्यायपालिका
- कार्यक्रम और योजनाएँ
- कृषि
- गरीबी और भूख
- जैवविविधता संरक्षण
- पर्यावरण
- पर्यावरण प्रदूषण, गिरावट और जलवायु परिवर्तन
- पारदर्शिता और जवाबदेही
- बैंकिंग व वित्त
- भारत को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह
- भारतीय अर्थव्यवस्था
- रक्षा और सुरक्षा
- राजव्यवस्था और शासन
- राजव्यवस्था और शासन
- रैंकिंग, रिपोर्ट, सर्वेक्षण और सूचकांक
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी
- शिक्षा
- सरकार की नीतियां और हस्तक्षेप
- सांविधिक, विनियामक और अर्ध-न्यायिक निकाय
- स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे