जांच में देरी पर अभियुक्त के पास जमानत का अधिकार
- 18 Nov 2020
सर्वोच्च न्यायालय ने एक निर्णय में कहा है कि 'जांच एजेंसी द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर जांच पूरी नहीं करने पर एक अभियुक्त को, उसके खिलाफ किसी भी दर्ज मामले के बावजूद, 'डिफॉल्ट' (default) या ‘अनिवार्य’ (compulsive) जमानत दी जानी चाहिए।
महत्वपूर्ण तथ्य: अदालत ने माना कि अगर जांच एजेंसी समय पर जांच पूरी करने में विफल रहती है, तो एक अभियुक्त के पास आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 167 (2) के तहत डिफॉल्ट जमानत के लिए 'अविलोप्य अधिकार' (indefeasible right) है।
- धारा 167 के तहत, एक अभियुक्त को मृत्यु, आजीवन कारावास या 10 साल से अधिक की सजा वाले अपराध के लिए अधिकतम 90 दिनों की हिरासत में रखा जा सकता है। यदि जांच किसी अन्य अपराध से संबंधित है, तो अभियुक्त को 60 दिनों तक हिरासत में रखा जा सकता है।
- कुछ विशेष विधियों जैसे कि नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम में, हिरासत की अवधि 180 दिनों तक बढ़ सकती है।
- 2018 में एनडीपीएस अधिनियम के तहत आरोपी एक व्यक्ति द्वारा दायर अपील में यह फैसला आया। उसे 180 दिनों की हिरासत के बाद ट्रायल कोर्ट द्वारा डिफॉल्ट जमानत दी गई थी।
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