UPPCS(Main-Special) Questions for Philosophy (Second Paper)2004
[Time allowed : Three hours] [Maximum Marks : 200]
नोट :-
- प्रत्येक खण्ड से कम से कम दो प्रश्नों को चुनते हुए कुल पाँच प्रश्नों के उत्तर दें।
- सभी प्रश्नों के अंक समान हैं।
(ii) All questions carry equal marks.
खण्ड-अ (Section-A)
- ‘‘औचित्य को ही न्याय कहते हैं’’ इस मत की व्याख्या करें।
Explain the theory of 'Justice as fairness'. - मार्क्सवाद की प्रमुख विशेषताओं की व्याख्या करें। क्या मार्क्सवाद को मानवतावाद के सुसंगत कहा जा सकता है? अपने उत्तर में प्रमाण दें।
Explain the salient features of Marxism. Can Marxism is said to be consistent with humanism? Justify your answer. - दण्डविधान के उद्देश्यों की व्याख्या करें। दण्डविधान का कौन-सा मत इन उद्देश्यों को पूरा करने में सर्वाधिक सक्षम है? अपने मत के लिए तर्क दें।
Explain the objective of punishment theory. Which theory of Punishment is best suited to meet the objective? Argue for your case. - ‘मनुष्य और प्रकृति’ पर लघु आलोचनात्मक निबन्ध लिखें।
Write a short critical essay on 'Man and Nature'. - ईश्वर की सत्ता सिद्ध करने हेतु सत्तामूलक तर्क के कांट द्वारा किये गये खण्डन की परीक्षण करें।
Examine Kant's critique of the ontological argument for the existence of God. - क्या धर्म-दर्शन धार्मिक विश्वास से सीमित रहता है? अपने उत्तर में तर्क दें।
Is philosophy of religion constrained by religious faith? Justify your answer. - अशुभ की समस्या किन कारणों से एक दार्शनिक समस्या बनती है? इस समस्या का जो समाधान शंकर ने दिया है अथवा स्पिनोजा ने दिया है, उनमें से किसी एक समाधान का मूल्याकंन करें।
What factors make the problem of evil a philosophical problem? Evaluate Sankara's solution of it or Spinoza's solution of it. - श्रुति को प्रमाण मानने में तर्क की क्या भूमिका है, इसे स्पष्ट करें।
State clearly the role of reason in accepting revelation as a valid means of knowledge.
खण्ड-ब (Section-B)