Civil Services Main Examination Philosophy (Optional) Paper I up to 2021
Civil Services Main Examination 2021
खण्ड-A (Section-A)
1. Write short answers to the following in about 150 words each: 10×5 = 50
निम्नलिखित में से प्रत्येक का लगभग 150 शब्दों में संक्षिप्त उत्तर दीजियेः
(a) "There is a red chair." How would Plato explain this statement with the use of his theory of forms? Examine. 10
"वहां एक लाल कुर्सी है।" प्लेटो अपने आकार-सिद्धान्त का प्रयोग करते हुए इस वाक्य की किस प्रकार व्याख्या करेंगे? परीक्षण कीजिए।
(b) "Potentiality is indefinable" according to Aristotle. Explain the relationship between potentiality and actuality with reference to the above philosophical position by taking the example of a "wooden table". 10
अरस्तु के अनुसार "शक्यता अपरिभाष्य" है। उपरोक्त दार्शनिक मत के सन्दर्भ में लकड़ी की मेज का उदाहरण प्रयोग करते हुए शक्यता तथा वास्तविकता के मध्य सम्बन्ध की व्याख्या कीजिए।
(c) "Sensible things are those only which are immediately perceived by sense." Explain Berkeley's theory of knowledge with reference to the above statement. 10
"संवेद्य वस्तुएं केवल वे होती हैं जिन्हें अव्यवहित अथवा अपरोक्ष रूप से इन्द्रियों द्वारा प्रत्यक्ष किया जा सके।" उपरोक्त वाक्य के सन्दर्भ में बर्कले की ज्ञानमीमांसा की व्याख्या कीजिए।
(d) Examine the concept of personal identity by Locke. 10
लॉक की वैयक्तिक तादात्म्य की अवधारणा का परीक्षण कीजिए।
(e) "The relation between cause and effect is one of constant conjunction". Examine Hume's criticism of causation in the light of the above statement. 10
"कारण तथा कार्य के मध्य नित्य संयोजन का सम्बन्ध होता है।" उपरोक्त कथन के आलोक में ह्यूम की कारणता की आलोचना का परीक्षण कीजिए।
2. (a) Discuss Hegel's Dialectical method. Explain how his dialectical method leads him to the absolute Idealism. 20
हेगल की द्वन्द्वात्मक विधि की विवेचना कीजिए। उनकी द्वन्द्वात्मक विधि किस प्रकार उन्हें निरपेक्ष प्रत्ययवाद की ओर ले जाती है, इसकी व्याख्या कीजिए।
(b) What according to Logical Positivists are "pseudostatements"? How does one identify "pseudostatements"? Critically discuss with examples. 15
तार्किक प्रत्यक्षवादियों के अनुसार "छद्मवाक्य" (सूडोस्टेटमेन्टस) क्या होते हैं? "छाद्मवाक्यों" की पहचान किस प्रकार की जा सकती है? उदाहरणों सहित आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
(c) Explain how Cartesian formulation of ontological argument is criticised by Kant. 15
कान्ट किस प्रकार देकार्त द्वारा सूत्रबद्ध सत्तामूलक युक्ति की आलोचना प्रस्तुत करते हैं, इसकी व्याख्या कीजिए।
3. (a) What are the main arguments put forward by Moore in his paper "A Defence of Common Sense" to prove that there are possible propositions about the world that are known to be true with certainty? Do you think Moore's arguments provide a sufficient response to objections presented by the sceptic the possibility of knowledge? Give reasons in support of your answer. 20
मूर अपने प्रपत्र "ए डिफेन्स ऑफ कॉमन सैन्स" में यह सिद्ध करने के लिए क्या युक्ति प्रस्तुत करते हैं कि इस संसार के विषय में ऐसी प्रतिज्ञाप्तियां सम्भव हैं जिन्हें निश्चितता के साथ सत्य जाना जा सकता है? क्या आप सोचते हैं कि मूर द्वारा दी गई युक्तियां संशयवादी द्वारा ज्ञान की संभावना के विरोध में प्रस्तुत आक्षेपों का पर्याप्त प्रत्युत्तर देती हैं? अपने उत्तर के पक्ष में युक्तियां प्रस्तुत कीजिए।
(b) What according to Strawson are basic particulars? What reasons does Strawson offer to believe that ' material bodies' and 'persons' are basic particulars? Critically discuss. 15
स्ट्रॉसन के अनुसार आधारभूत विशेष क्या होते हैं? स्ट्रॉसन यह मानने के लिए क्या युक्तियां प्रस्तुत करते हैं कि ‘पदार्थीय शरीर’ तथा ‘व्यक्ति’ आधारभूत विशेष होते हैं? समालोचनात्मक विवेचना प्रस्तुत कीजिए।
(c) Critically examine Quine's postulate of empiricism without the dogmas with reference to his 'Two Dogmas of Empiricism'. 15
"टू ड्रॉग्मास ऑफ एम्पीरीसिस्म" के सन्दर्भ में क्वाइन की मताग्रह रहित अनुभववाद की संकल्पना का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
4. (a) Present a critical exposition of Husserl's criticism of 'natural attitude'. How does Husserl propose to address the problems involved in natural attitude through his phenomenological method? 20
हुसर्ल की ‘प्राकृतिक अभिवृत्ति’ की आलोचना का समालोचनात्मक विवरण प्रस्तुत कीजिए। हुसर्ल प्राकृतिक अभिवृत्ति से जुड़ी समस्याओं का अपनी संवृत्तिशास्त्रीय पद्धति से किस प्रकार निवारण प्रस्तावित करते हैं?
(b) "I can always choose, but I ought to know that if I do not choose, I am still choosing". Critically discuss Sartre's conception of choice and responsibility in the light of above statement. 15
" मैं सदैव चुनाव करने में सक्षम होता हूं, किन्तु मुझे यह जान लेना चाहिए कि यदि मैं नहीं चुन रहा होता हूं, तब भी मैं चुनाव कर रहा होता हूं।" इस कथन के आलोक में सार्त्र की चुनाव तथा उत्तरदायित्व सम्बन्धी अवधारणा की समालोचनात्मक विवेचना कीजिए।
(c) What does Wittgenstein mean by the statement – "Whereof one cannot speak, thereof one must be silent?" Critically discuss. 15
"जिस संदर्भ में कुछ कहा नहीं जा सकता, उसके विषय में मौन ही रहना चाहिए।" - विट्गैन्सटाइन के इस कथन से क्या अभिप्राय है? समालोचनात्मक विवेचना कीजिए।
खण्ड-B (Section-B)
5. Write short answer to the following in about 150 words each: 10×5 = 50
निम्नलिखित में से प्रत्येक का लगभग 150 शब्दों में संक्षिप्त उत्तर दीजियेः
(a) Does the seed contain the tree? Discuss with reference to Nyaya-Vaisesika Philosophy. 10
क्या बीज में वृक्ष अंतर्निहित होता है? न्याय-वैशेषिक दर्शन के संदर्भ में विवेचना कीजिए।
(b) Explain with reference to Nyaya Philosophy, the nature of sabda as the advice of apta (a reliable person). 10
न्याय दर्शन के सन्दर्भ में आप्त पुरुष द्वारा दिए गए परामर्श के रूप में शब्द के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
(c) Is 'inseparability' (ayuta-siddhatva) a necessary condition or a sufficient condition for defining characteristics (laksana) of samavaya (inherence)? Explain with reference to Vaisesika Philosophy. 10
समवाय के लक्षण के रूप में अयुत सिद्धत्व एक अनिवार्य उपाधि है अथवा पर्याप्त उपाधि? वैशेषिक दर्शन के सन्दर्भ में व्याख्या कीजिए।
(d) Distinguish between pudgala-nairatmyavada and dharma-nairatmyavada with reference to Buddhist Philosophy. 10
बौद्ध दर्शन के सन्दर्भ में पुदग्ल-नैरात्म्यवाद तथा धर्म-नैरात्म्यवाद के बीच अन्तर स्पष्ट कीजिए।
(e) Comment on the bearing of Carvaka epistemology on the rejection of transcendental entities by them. 10
चारवाक की ज्ञान मीमांसा का उनके द्वारा इन्द्रियातीत वस्तुओं की अस्वीकृति से सम्बन्ध के विषय में टिप्पणी प्रस्तुत कीजिए।
6. (a) Explain with reference to Yoga Philosophy, the nature of klesas. How does the removal of these lead to kaivalya? 20
योग दर्शन के अनुसार क्लेशों के स्वरूप की व्याख्या कीजिए। उनके निराकरण से किस प्रकार कैवल्य उपलब्ध होता है?
(b) Explain the Sankhya view on three gunas (guna-traya) and their modifications. 15
तीन गुण (गुण-त्रय) तथा उनके रूपान्तरण के विषय में सांख्य-दर्शन के मत की व्याख्या कीजिए।
(c) What, according to Mimamsakas, is the ontological status of abhava (absence) and how does one know it? Explain and examine. 15
मीमांसकों के अनुसार अभाव का सत्तामूलक स्वरूप क्या है तथा किसी व्यक्ति को उसका ज्ञान किस प्रकार होता है? व्याख्या तथा परीक्षण कीजिए।
7. (a) How do the advocates of anirvacaniya-khyati refute the position of the Naiyayikas and establish the position of Advaitins regarding the problem of error? Critically discuss. 20
विपर्यय के सम्बन्ध में अनिर्वचनीय-ख्याति के समर्थक अद्वैत मत की स्थापना हेतु न्याय मत का किस प्रकार खन्डन करते हैं? समीक्षात्मक विवेचना कीजिए।
(b) If everything is momentary then how do the Buddhists explain the problem of memory and personal identity? Critically discuss. 15
यदि सभी वस्तुएं क्षणिक हैं तो बौद्ध स्मृति तथा वैयक्तिक तादात्म्य की समस्या की किस प्रकार व्याख्या करेंगे? समालोचनात्मक विवेचना कीजिए।
(c) Explain the Jain view of seven-fold (sapta-bhangi) 'Naya'. 15
जैनों की सप्तभंगी नय की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
8. (a) According to Sri Aurobindo, 'the awakening of the psychic being and its gradual prominence over all other parts of the being is the first step in the conscious evolution of man'. Explain and examine. 20
श्री ऑरोबिन्दो के अनुसार ‘चैत सत्ता का जागरण तथा सत्ता के अन्य भागों पर उसकी क्रमिक प्रधानता मनुष्य के चेतन क्रम-विकास में पहला कदम है’। व्याख्या तथा परीक्षण कीजिए।
(b) Compare and contrast the views of Sankara and Ramanuja regarding the status of the world. 15
संसार के स्वरूप के विषय में शंकर तथा रामानुज के मतों की तुलना तथा अन्तर कीजिए।
(c) Explain the status of jiva and jagat in the philosophy of Madhvacarya. 15
माध्वाचार्य के दर्शन में जीव तथा जगत के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
Civil Services Main Examination 2020
खण्ड-A (Section-A)
1. Write short answers to the following in about 150 words each: 10x5 = 50
(a) How does Aristotle argue for the priority of Form over Matter and Actuality over Potentiality? Critically discuss. 10
अरस्तु द्रव्य पर आकार की तथा सम्भाव्यता पर यथार्थता की वरीयता के लिए किस प्रकार युक्ति प्रस्तुत करते हैं? समालोचनात्मक विवेचना प्रस्तुत कीजिए।
(b) How does Leibniz’s conception of monads bear upon his views on determinism and freedom? Discuss with your own comments. 10
लाइब्नीज्र की चिदणु की अवधारणा उनके नियतिवाद तथा स्वतंत्रता संबंधित विचारों को किस प्रकार प्रभावित करती है? अपनी टिप्पणी के साथ विवेचना कीजिए।
(c) What, according to Husserl, is wrong with psychologism? How does Husserl address the problems with psychologism in his phenomenological method? 10
हुसर्ल के अनुसार मनोविज्ञानवाद में क्या समस्या है? हुसर्ल अपनी संवृत्तिशास्त्रीय विधि में मनोविज्ञानवाद संबंधित समस्याओं का क्या निवारण प्रस्तुत करते हैं?
(d) Examine the reality of the phenomenal world in the light of Hegel’s Absolute Idealism. 10
हेगेल के निरपेक्ष प्रत्ययवाद के आलोक में व्यावहारिक जगत की सत्यता का परीक्षण कीजिए।
(e) “The Soul of Superman is Good.” Critically examine the above statement in the light of logical positivism. 10
‘अतिमानव की आत्मा शुभ है’। तार्किक प्रत्यक्षवाद के आलोक में उपर्युक्त कथन का समीक्षात्मक परीक्षण कीजिए .
2. (a) “I never can catch myself at any time without perception, and never can observe anything but the perception.” How does this statement by Hume problematize the philosophical notion of personal identity? How does Kant deal with this problem in his Critique of Pure Reason? 20
‘मैं स्वयं को किसी भी समय प्रत्यक्ष से रहित नहीं पाता हूं तथा न ही मैं प्रत्यक्ष के अतिरिक्त किसी का अवलोकन कर पाता हूं’। ह्यूम का यह कथन किस प्रकार वैयक्तिक तादाम्य की दार्शनिक अवधारणा का समस्यायीकरण करता है? कान्ट अपने क्रिटीक ऑफ प्यूर रीज्रन में इस समस्या का किस प्रकार अन्वेषण करते हैं?
(b) Critically discuss the following statement by Moore:
“If anyone tells us that to say ‘Blue exists’ is the same thing as to say that ‘Both blue and consciousness exist’, he makes a mistake and a self-contradictory mistake.” 15
मूर के निम्नलिखित कथन की समालोचनात्मक विवेचना कीजिएः
‘यदि कोई व्यक्ति हमें कहे कि यह कहना कि ‘नीला विद्यमान है’ यह कहने के समतुल्य है कि ‘नीला तथा चेतना दोनों विद्यमान हैं’, तो वह व्यक्ति त्रुटि तथा एक आत्म-व्याघाती त्रुटि करता है’।
(c) “The reason that I call my doctrine logical atomism is because the atoms that I wish to arrive at as the sort of last residue in analysis are logical atoms and not physical atoms.”
Write a note on the nature of atomic facts according to Russell in the light of the above statement. 15
‘मेरा अपनी अवधारणा को तार्किक परमाणुवाद की संज्ञा देने का कारण यह है कि विश्लेषण द्वारा प्राप्त अंतिम अवशेष के रूप में जिन परमाणुओं पर हम पहुंचते हैं, वे तार्किक परमाणु हैं न कि भौतिक परमाणु।
उपर्युक्त कथन के आलोक में रसल के अनुसार परमाण्विक तथ्यों के स्वरूप पर एक टिप्पणी लिखिए।
3. (a) What does Kierkegaard mean by saying “Subjectivity is the truth” in the context of the problem of ‘the single individual’? 20
एकल व्यक्ति की समस्या के संदर्भ में ‘आत्मनिष्ठता ही सत्य है’ के कथन से कीर्केगार्ड का क्या तात्पर्य है?
(b) Evaluate the role of spatio-temporal thinking in objective thinking with reference to Strawson’s theory of basic particulars. 15
स्ट्रॉसन के मौलिक विशेष सिद्धान्त के सन्दर्भ में वस्तुनिष्ठ चिन्तन में देश-कालिक चिन्तन की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
(c) When does Pure Reason enter into the realm of Antinomies according to Kant? Is Kant’s notion of Antinomies of Pure Reason a natural culmination of his distinction between Phenomena and Noumena? Give reasons in favour of your answer. 15
कान्ट के अनुसार विशुद्ध तर्कवृद्धि कब विप्रतिषेध के क्षेत्र में प्रवेश कर जाती है? क्या कान्ट की विशुद्ध तर्कबुद्धि की विप्रतिषेध की अवधारणा उनके द्वारा प्रतिपादित व्यवहार सत् तथा परमार्थ सत् के भेद की प्राकृतिक परिणति है? अपने उत्तर के पक्ष में युक्ति प्रस्तुत कीजिए।
4. (a) “You can always make something out of what you have been made into.” Critically discuss this statement by Sartre with reference to his views on existentialism. 20
हम जिस रूप में निर्मित हो गए हैं हम उसमें से सदैव कुछ और का निर्माण कर सकते हैं। सार्त्र के इस कथन की उनके अस्तित्ववाद से संबंधित विचारों के संदर्भ में समालोचनात्मक विवेचना कीजिए।
(b) “From the necessity of the divine nature there must follow infinitely many things in infinitely many ways.” Explain this statement by Spinoza along with some possible criticism. 10
ईश्वरीय स्वरूप की अनिवार्यता से अनन्त वस्तुओं का अनन्त प्रकार से प्रतिफलन होना अवश्यम्भावी है। स्पिनोज्रा के इस कथन की कुछ सम्भावित आलोचनाओं सहित व्याख्या कीजिए।
(c) “But could we also imagine a language in which a person could write down or give vocal expression to his inner experiences-his feelings, moods and the rest-for his private use?” Critically discuss the answer offered by Wittgenstein to this question. 10
किन्तु क्या हम एक ऐसी भाषा की भी कल्पना कर सकते हैं जिसमें कोई व्यक्ति अपने अन्दरुनी अनुभवों - अपने भावों, मनोदशाओं आदि का लिखित अथवा मौखिक सम्प्रेषण अपने निजी प्रयोग के लिए कर सके? विटगेनस्टाइन के द्वारा इस प्रश्न के दिए गए उत्तर की समालोचनात्मक विवेचना कीजिए।
खण्ड-B (Section B)
5. Write short answers to the following in about 150 words each: 10x5 = 50
निम्नलिखित में से प्रत्येक का लगभग 150 शब्दों में संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
(a) Examine the concept of Karma according to Jainism. How does it bear upon their conception of Liberation? 10
जैन दर्शन के अनुसार कर्म की अवधारणा का परीक्षण कीजिए। उनके मोक्ष की अवधारणा पर इसका कैसे प्रभाव पड़ता है?
(b) Explain the difference between Samprajnata Samadhi and Asamprajnata Samadhi. 10
सम्प्रज्ञात समाधि एवं असम्प्रशात समाधि के भेद की व्याख्या कीजिए।
(c) Why is memory not a valid knowledge according to Mimamsa? 10
मीमांसा के अनुसार स्मृति, प्रमा क्यों नहीं है?
(d) Point out the significance of the five-fold differences in the Dualistic School or Vedanta. 10
द्वैत वेदान्त में पश्नविध भेद के महत्व को दर्शाइए।
(e) Discuss the nature and types of matter according to Nimbarka. 10
निम्बार्क के अनुसार अचित के स्वरूप एवं प्रकारों की विवेचना कीजिए।
6. (a) How is Ksanikavada a logical derivative of Pratityasamutpada in Buddhism? Explain. 20
बौद्ध दर्शन में क्षणिकवाद की अवधारणा किस प्रकार से प्रतीत्वसमुत्पाद की अवधारणा का तार्किक प्रतिफलन है? व्याख्या कीजिए।
(b) Critically evaluate Carvakas’ rejection of Akasa as one of the elements of reality and examine their criticism of transmigration of Soul. 15
चार्बाकों द्वारा आकाश के, सत् के अवयव के रूप में, खण्डन का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए तथा उनकी आम के पुनर्जन्म की आलोचना का परीक्षण कीजिए।
(c) Explain the concepts of ‘Anyathasiddha’ and ‘Ananyathasiddha’ in the context of Asatkaryavada. 15
असत्कार्यवाद के संदर्भ में ‘अन्यथासिद्ध’ एवं ‘अनन्यथासिद्ध’ की अवधारणाओं की व्याख्या कीजिए।
7. (a) “A mango tree is grown out of a mango seed.” How will Samkhya system explain this process through their theory of causation by rejecting their rival perspectives? 20
‘एक आम का वृक्ष आम के बीज से विकसित होता है’। सांख्य दर्शन अपने कारणता सिद्धान्त के अनुसार इस प्रक्रिया की अपने विरोधी मतों को अस्वीकार करते हुए किस प्रकार व्याख्या करेगा?
(b) How does Buddhism explain Self in terms of Pancaskandhas? What is Liberation for Buddhism if there is no Soul? 15
बौद्ध दर्शन किस प्रकार आत्मन की पंचस्कन्धों के रूप में व्याख्या करता है? यदि आत्मा नहीं है, तो बौद्ध दर्शन में मोक्ष क्या है?
(c) Explain the differences of conception of Reality between Carvaka and Jainism. 15
चार्वाक तथा जैन दर्शन की सत् की अवधारणा के बीच अंतर की व्याख्या कीजिए।
8. (a) What does Aurobindo mean by ‘life divine’ as a possibility and inevitability? 20
एक संभावना एवं अपरिहार्यता के रूप में ‘दिव्य जीवन’ से अरविन्द का क्या तात्पर्य है?
(b) Critically evaluate the logical and metaphysical status of Visesa in the context of Vaisesika Philosophy. 15
वैशेषिक दर्शन के संदर्भ में विशेष की तार्किक एवं तत्वमीमांसीय स्थिति का समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिए।
(c) Discuss the nature and relationship of Jiva and Jiva saksi according to non-dualism. 15
अद्वैतवाद के अनुसार जीव एवं जीव-साक्षी के स्वरूप एवं संबंध की विवेचना कीजिए।