आदिवासी समाज को मुख्यधारा में लाना: चुनौतियां और प्रमुख अनिवार्यताएं
भारत में आदिवासी समुदाय, जो अपनी विशेष सांस्कृतिक, सामाजिक, और ऐतिहासिक पहचान के लिए जाने जाते हैं। आदिवासी समाज को मुख्यधारा में लाना (Integrating Tribal Communities into the Mainstream) एक जटिल और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है।
- हालांकि, भारत सरकार द्वारा विभिन्न पहल की गई हैं जिसके माध्यम से आदिवासी समाज को मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जा रहा है।
चुनौतियां
- भाषाई बाधाएं: कई आदिवासी समुदायों की अपनी भाषाएं और बोलियां होती हैं, जो मुख्यधारा की भाषाओं से भिन्न होती हैं। इस भाषा भिन्नता के कारण शिक्षा, स्वास्थ्य, और अन्य सेवाओं तक पहुंच में कठिनाई हो सकती है।
- आर्थिक पिछड़ापन: आदिवासी समुदाय ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 भारत में नागरिक समाज संगठनों की बदलती भूमिका
- 2 एनजीओ का विनियमन
- 3 भारत में उपशामक देखभाल और बुजुर्ग लोग
- 4 स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की चुनौतियां एवं नीति
- 5 बहुआयामी गरीबी
- 6 सूक्ष्म वित्त संस्थान
- 7 भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश तथा इसका दोहन
- 8 भारत में बाल विवाह
- 9 महिला सशक्तीकरण और लैंगिक न्याय
- 10 निजी क्षेत्र में स्थानीय आरक्षण