भारत में सतत रेत खनन

भारत में सतत रेत खनन (Sustainable Sand Mining) एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, क्योंकि रेत की अत्यधिक और अनियमित निकासी के गंभीर पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक परिणाम हो सकते हैं। निर्माण और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए नदी तलों, समुद्र तटों और अन्य स्रोतों से रेत निकालना रेत खनन है।

  • सैंड माइनिंग फ्रेमवर्क के अनुसार, भारत को प्रतिवर्ष 70 मिलियन टन रेत की आवश्यकता होती है, जिसकी मांग हर साल 7% बढ़ रही है।

भारत में टिकाऊ रेत खनन के कुछ प्रमुख पहलू इस प्रकार हैं:

  • पर्यावरणीय प्रभावः अस्थिर रेत खनन से विभिन्न पर्यावरणीय समस्याएं पैदा हो सकती हैं; जिनमें नदी तटों और ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |

पूर्व सदस्य? लॉग इन करें


वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |

संबंधित सामग्री