भारत में प्लास्टिक प्रदूषण

प्लास्टिक प्रदूषण, पर्यावरण में सिंथेटिक प्लास्टिक उत्पादों का इस हद तक संचय है कि वे वन्यजीवों और उनके आवासों के साथ-साथ मानव जीवन के लिए भी समस्याएं उत्पन्न कर देते हैं।

  • 1907 में बैकेलाइट के आविष्कार ने विश्व वाणिज्य में वास्तव में सिंथेटिक प्लास्टिक रेजिन को पेश करके सामग्रियों में क्रांति ला दी।
  • 20वीं सदी के अंत तक, प्लास्टिक को माउंट एवरेस्ट से लेकर समुद्र तल तक, कई पर्यावरणीय क्षेत्रों में लगातार प्रदूषक के रूप में पाया गया है।
  • प्लास्टिक प्रदूषण पर्यावरण में प्लास्टिक कचरे के जमा होने से होता है। इसे दो प्रकार में वर्गीकृत किया जा सकता है-

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