सर्कुलर इकोनॉमी एवं भारत: चुनौतियां एवं अवसर
भारतीय अर्थव्यवस्था के रैखिक से चक्रीय अर्थव्यवस्था (Circular Economy) की ओर संक्रमण को तेज करने के लिए सरकार द्वारा 11 फोकस क्षेत्रों के लिए 11 समितियों का गठन किया गया है।
- समितियों का नेतृत्व संबंधित मंत्रालयों द्वारा किया जाएगा तथा इनमें पर्यावरण मंत्रालय, नीति आयोग के अधिकारी तथा विशेषज्ञ, शिक्षाविद और उद्योग प्रतिनिधि शामिल होंगे।
- ये समितियां रैखिक से चक्रीय अर्थव्यवस्था के संक्रमण के लिए अपने संबंधित क्षेत्रों में ध्यान केंद्रित करने हेतु व्यापक कार्य योजनाएं तैयार करेंगी। इन समितियों द्वारा अपने निष्कर्षों और सिफारिशों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक तौर-तरीके भी अपनाए जाएंगे।
सर्कुलर इकोनॉमी क्या ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 रिवर इंटरलिंकिंग: मुद्दे एवं लाभ
- 2 जल सुरक्षा की आवश्यकता
- 3 प्राकृतिक संसाधान प्रबंधान
- 4 जीरो बजट नेचुरल फ़ार्मिंग
- 5 भारत में कृषि विपणन प्रणाली: चुनातियाँ वं उपाय
- 6 कृषि में नवीन प्रौद्योगिकी
- 7 भारत में कृषि सब्सिडी: महत्व एवं मुद्दे
- 8 भारत में परिशुद्धता कृषि: चुनौतियां एवं उपाय
- 9 कृषि पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव एवं समाधान
- 10 क्रिप्टोकरेंसी नियामक ढांचा
मुख्य विशेष
- 1 आक्रामक प्रजातियां: संबंधित मुद्दे एवं आवश्यक प्रयास
- 2 कार्बन असमानता: प्रभाव एवं समाधान
- 3 जलवायु परिवर्तन में कृषि की भूमिका
- 4 जैव विविधता पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
- 5 भारत में जैविक कृषिः स्थिति एवं सरकार के प्रयास
- 6 भारत में प्लास्टिक प्रदूषण
- 7 भारत में वाहन स्क्रैपेज
- 8 भारत में सतत रेत खनन
- 9 शहरी कृषि: आवश्यकता एवं लाभ
- 10 पर्यावरणीय रूप से धारणीय शहरों का निर्माण
- 11 संपीडित बायोगैस (CBG): ऊर्जा सुरक्षा हेतु आवश्यक
- 12 भारत में पर्यावरणीय लेखांकन