बारीन्द्र कुमार घोष: स्वतंत्रता संघर्ष में अग्रणी
- 16 जुलाई, 1905 को वायसराय लॉर्ड कर्जन द्वारा घोषित बंगाल विभाजन ने राष्ट्रवाद की आग को और भड़काया। इस विभाजन के विरोध में आंदोलन ने स्वदेशी (स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग) और बहिष्कार (ब्रिटिश निर्मित वस्तुओं का) के दोहरे हथियार पेश किए, जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की एक विशेषता बन गए।
- 'युगांतर', जिसे 'निर्विवाद सशस्त्र क्रांति पत्र' कहा गया, को कलकत्ता के क्रांतिकारी पत्रों में सबसे पहला और सबसे घातक बताया गया।
- स्वतंत्रता संग्राम में 1908 के बाद कभी भी ठहराव नहीं आया, और इसे रास बिहारी बोस, जतींद्रनाथ मुखर्जी (बाघा जतिन), भगत सिंह और अन्य क्रांतिकारियों द्वारा जारी रखा गया।
- 1857 में ....
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पत्रिका सार
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