21वीं सदी में डिजिटल शिक्षा: सकारात्मक दृष्टिकोण और चुनौतियां
- डिजिटल तकनीक का समावेशन 21वीं सदी में शिक्षा में क्रांति ला चुका है, जिससे शिक्षाशास्त्र में महत्वपूर्ण बदलाव आया है और शिक्षा के सभी क्षेत्रों में इसका व्यापक प्रभाव पड़ा है।
- शिक्षण का नया दृष्टिकोण उभर रहा है, जिसमें सीखना अधिक कार्यनीतिक हो गया है और आभासी समन्वय और शिक्षार्थी-केंद्रित लर्निंग पर जोर दिया जा रहा है, जहाँ शिक्षक अब केवल ज्ञान के स्रोत नहीं बल्कि सीखने के सूत्रधार के रूप में कार्य कर रहे हैं।
- तकनीक का बढ़ता उपयोग पारंपरिक कक्षाओं के व्याख्यानों को बदलते हुए ज्ञान को तुरंत और व्यापक रूप से उपलब्ध करा रहा है।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP ....
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पत्रिका सार
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- 6 स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय सिनेमा का प्रभाव
- 7 बारीन्द्र कुमार घोष: स्वतंत्रता संघर्ष में अग्रणी
- 8 'टीबी-मुक्त भारत' बनाने हेतु भारत की प्रतिबद्धता
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- 11 बंगाल: भारतीय स्वतंत्रता के लिए युवा चेतना
- 12 कक्षाओं से स्क्रीन तक: डिजिटल शिक्षा का भविष्य
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- 14 भारत में एआई के युग में ई-लर्निंग
- 15 पंचायतों के डिजिटलीकरण की दिशा में पहल
- 16 ई-लर्निंग के साथ भविष्य के लिए कौशल विकास
- 17 ग्रामीण समुदायों में स्वास्थ्य और पोषण जागरूकता के उत्प्रेरक के रूप में ई-लर्निंग
- 18 सीएआर टी-सेल थेरेपी
- 19 कश्मीर घाटी रेलवे
- 20 आचार्य प्रफुल्लचंद्र रे:
- 21 किल्मोड़ फल
- 22 अक्षय ऊर्जा: महत्त्व एवं संभावनाएं
- 23 अफ्रीकी स्वाइन फीवर(ASF)
- 24 बायोडीग्रेडेबल कॉयर: प्लास्टिक का महत्वपूर्ण विकल्प
- 25 31वाँ राष्ट्रीय बाल विज्ञान अधिवेशन
- 26 भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद