सार्वजनिक वितरण प्रणाली का सार्वभौमीकरण
सार्वजनिक वितरण प्रणाली भारत में सरकार द्वारा संचालित खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम है, जो गरीबों और कमजोर लोगों को सब्सिडी वाला खाद्यान्न उपलब्ध कराता है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली का सार्वभौमीकरण सभी नागरिकों को सस्ती कीमतों पर खाद्यान्न और अन्य आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराने की प्रक्रिया है।
सार्वभौमीकरण के मुख्य पहलू
सार्वभौमीकरण के पक्ष में तर्क
- बेहतर खाद्य सुरक्षाः सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सार्वभौमिक बनाने का तात्पर्य होगा कि भारत में सभी को वहनयोग्य भोजन तक पहुंच प्राप्त होगी, जिससे खाद्य सुरक्षा में सुधार करने में मदद मिलेगी।
- कुपोषण में कमीः ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें
इस अंक की सभी सामग्रियों को विस्तार से पढ़ने के लिए खरीदें |
पूर्व सदस्य? लॉग इन करें
वार्षिक सदस्यता लें
सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल के वार्षिक सदस्य पत्रिका की मासिक सामग्री के साथ-साथ क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स पढ़ सकते हैं |
पाठक क्रॉनिकल पत्रिका आर्काइव्स के रूप में सिविल सर्विसेज़ क्रॉनिकल मासिक अंक के विगत 6 माह से पूर्व की सभी सामग्रियों का विषयवार अध्ययन कर सकते हैं |
संबंधित सामग्री
- 1 भारत में नागरिक समाज संगठनों की बदलती भूमिका
- 2 एनजीओ का विनियमन
- 3 भारत में उपशामक देखभाल और बुजुर्ग लोग
- 4 स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की चुनौतियां एवं नीति
- 5 बहुआयामी गरीबी
- 6 सूक्ष्म वित्त संस्थान
- 7 भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश तथा इसका दोहन
- 8 भारत में बाल विवाह
- 9 महिला सशक्तीकरण और लैंगिक न्याय
- 10 निजी क्षेत्र में स्थानीय आरक्षण
मुख्य विशेष
- 1 लैंगिक संवेदनशीलता
- 2 मातृ एवं नवजात देखभाल
- 3 प्रारं भिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा
- 4 स्वयं सहायता समूह: भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में भूमिका
- 5 भारत में गर्भपात कानून
- 6 भारत में निवारक स्वास्थ्य देखभाल
- 7 ग्रामीण स्वच्छता कवरेज
- 8 सहकारिता में महिलाओं और युवाओं की भागीदारी
- 9 स्थानीय से वैश्विकः जनजातीय उत्पादों का प्रोत्साहन