ब्रिटिशकालीन आर्थिक, प्रशासनिक एवं संवैधानिक इतिहास
ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना के क्रम में अंग्रेजों ने साम्राज्यवादी हितों के अनुकूल नीतियों का निर्माण किया, इसका उद्देश्य भारतीय संसाधनों का अधिकतम दोहन सुनिश्चित करना था। इस हित से परिचालित होकर ब्रिटिश ने आर्थिक, प्रशासनिक व संवैधानिक सुधारों की प्रक्रिया विकसित की।
ब्रिटिश काल में अर्थव्यवस्था
बक्सर के युद्ध के पश्चात भारत की आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था में तब्दील होती चली गई। औपनिवेशिक हितों से परिचालित होकर ब्रिटिश अधिकारियों ने भारत में भू-राजस्व, कृषि व्यवस्था में परिवर्तन तथा विभिन्न उद्योगों की स्थापना के माध्यम से भारत के संसाधनों का मातृदेश के हित में दोहन किया तथा भारत को ....
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- 1 भारत का सांस्कृतिक इतिहास
- 2 प्राचीन एवं मधयकालीन भारत की प्रशासनिक प्रणालियां
- 3 प्राचीन एवं मध्यकालीन भारत की आर्थिक प्रणालियां
- 4 भारत का धार्मिक इतिहास
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- 6 सामाजिक-धार्मिक सुधाार आंदोलन
- 7 कृषक एवं जनजातीय आंदोलन
- 8 कांग्रेस से पूर्व स्थापित संस्थाएं
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- 10 स्वतंत्रता संघर्ष का उदारवादी चरण
- 11 स्वतंत्रता संघर्ष का उग्रवादी चरण
- 12 कांग्रेस का विभाजन
- 13 स्वदेशी आंदोलन
- 14 होमरूल लीग
- 15 प्रमुख क्रान्तिकारी संगठन एवं गतिविधियां
- 16 खिलाफ़त आंदोलन
- 17 असहयोग आंदोलन
- 18 स्वराज पार्टी
- 19 सविनय अवज्ञा आंदोलन
- 20 गोलमेज सम्मलेन
- 21 द्वितीय विश्व युद्ध एवं भारत छोड़ो आंदोलन
- 22 आजाद हिंद फ़ौज
- 23 शिमला सम्मेलन
- 24 कैबिनेट मिशन
- 25 माउन्टबेटन योजना
- 26 कृषि उत्पादन-भारत
- 27 न्यूनतम समर्थन मूल्य
- 28 कृषि उत्पादन-विश्व
- 29 भारत में खनिज भंडार तथा उत्पादन
- 30 विश्व में खनिज भंडार तथा उत्पादन