वर्ष 2001 से भारत ने अफगानिस्तान को लगभग 3 बिलियन डॉलर की विकासात्मक सहायता प्रदान की है।
विगत दो दशकों में भारत पाकिस्तान का रणनीतिक घेराव करने और पाकिस्तान के सामरिक गहनता के सिद्धांत (strategic depth doctrine) को विफल करने के लिए इस देश में अपनी उपस्थिति का उपयोग करने में सक्षम रहा है। अमेरिका की वापसी से अफगानिस्तान में भारत की स्थिति परिवर्तित हो सकती है।
ऐतिहासिक रूप से, तालिबान और ISI (पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी) के मध्य घनिष्ठ संबंधों के कारण, तालिबान भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने हेतु लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादियों को प्रशिक्षित और वित्त पोषित करता रहा है। इसके परिणामस्वरूप भारत में वर्ष 2001 के संसद हमले जैसे घटना है। इसके अतिरिक्त, हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकी संगठनों ने अतीत में अफगानिस्तान में भारतीय कामगारों और संस्थानों को लक्षित किया है।