महिलाओं के लिए विशेष उद्यमिता प्रोत्साहन अभियान (समर्थ)

समर्थ कार्यक्रम की शुभारम्भ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमी मंत्री द्वारा किया गया।

उद्देश्यः महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करके उन्हें स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाना।

लाभः निम्नलिखित लाभ प्राप्त होंगेः

  • महिलाओं के लिए निःशुल्क कौशल विकास कार्यक्रम में 20 प्रतिशत सीटें आवंटित की जाएंगी।
  • उद्यम पंजीकरण के तहत महिलाओं के स्वामित्व वाले सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के पंजीकरण के लिए विशेष अभियान की शुरुआत की जाएगी।
  • विपणन सहायता के लिए योजनाओं के तहत प्रदर्शनियों में शामिल होने हेतु भेजे गए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम व्यापार प्रतिनिधिमंडलों का 20 प्रतिशत हिस्सा महिलाओं के स्वामित्व वाला सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम को समर्पित है।

West (इंजीनियरिंग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्रें में महिलाएओं) पहल

हल ही में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय ने ‘इंजीनियरिंग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महिलाओं’ {(Women in Engineering, Science and Technology (West)} नामक पहल की शुरुआत की गई।

  • इस पहल की शुरुआत STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिए की गई है।
  • WEST एक नई I-STEM (भारतीय विज्ञान प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग सुविधाओं) पहल है।

इसका उद्देश्यः शोधकर्ताओं को संसाधनों से जोड़ना है।

  • I-STEM अनुसंधान उपकरण/सुविधाओं को साझा करने हेतु एक राष्ट्रीय पोर्टल है। इसके साथ ही यह शिक्षा और उद्योग जगत में अनुसंधान एवं विकास और तकनीकी नवाचार में सहयोग को बढ़ावा देता है।
  • यह कौशल विकास कार्यक्रम की सुविधा प्रदान करेगा, साथ ही यह अनुसंधान एवं विकास (R&S) सुविधाओं और R&S सॉफ्रटवेयर प्लेटफॉर्म तक पहुंच भी प्रदान करेगा।
  • West पहल के तहत I-STEM द्वारा महिला उद्यमियों के विज्ञान और प्रद्योगिकी से सम्बंधित स्टार्ट-अप्स को प्रदान की जा रही वर्तमान सहायता को प्रोत्साहन दिया जाएगा।

STEM में महिलाओं की वर्तमान स्थितिः

  • विश्व आर्थिक मंच के अनुसार STEM क्षेत्र में छात्रओं और महिला कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व बहुत कम है।
  • स्कूलों में, अधिकांश छात्रएं गणित और इंजीनियरिंग जैसे विषयों के बजाए कला विषय का चयन करती है।
  • विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार वैश्विक स्तर पर तृतीयक शिक्षा में 35 प्रतिशत लड़कों की तुलना में केवल 18 प्रतिशत लड़कियां STEM क्षेत्र में अध्ययन कर रही हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र का सतत विकास लक्ष्य-5 लैंगिक समानता से सम्बंधित है। आर्थिक सशत्तिफ़करण और अधिक प्रतिनिधित्व प्राप्त करने हेतु महिलाएं सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकियों के साथ-साथ सक्षम प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रही हैं।

महिलाओं के लिए कानूनी सहायता क्लिनिक

29 मार्च, 2022 को ‘दिल्ली राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण’ (Delhi State Legal Services Authority – DSLSA) ने राष्ट्रीय महिला आयोग (National Commission for Women – NCW) के सहयोग से एक कानूनी सहायता क्लिनिक आरंभ किया है।

उद्देश्यः महिलाओं द्वारा दर्ज की गई सभी शिकायतों को हल करने के लिए एकल-िऽड़की सुविधा के रूप में कार्य करना है।

संचालनः राष्ट्रीय महिला आयोग के कार्यालय द्वारा।

वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट, 2022

विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने वर्ष 2022 के लिये अपने वैश्विक लैंगिक अंतराल (Global Gender Gap-GGG) सूचकांक में भारत को 146 देशों में से 135वें स्थान पर रखा है। इस सूचकांक को वर्ष 2006 में शुरू किया गया था।

उद्देश्यः लैंगिक अंतराल को समाप्त करने के लिए सबसे प्रभावी नीतियों की पहचान करने में सहायता करना है।

उच्चतम एवं निम्नतम देशः फिनलैंड, नॉर्वे, न्यूजीलैंड और स्वीडन क्रमशः सूची में शीर्ष पांच देश हैं तथा अफगानिस्तान सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला देश है।

भारत के पड़ोसी देशों की स्थितिः बांग्लादेश (71), नेपाल (96), श्रीलंका (110), मालदीव (117), भूटान (526), पाकिस्तान (145) और अफगानिस्तान (146)।

भारत का स्कोरः भारत का समग्र स्कोर 0.625 (वर्ष 2021 में) से बढ़कर 0-629 हो गया है, जो पिछले 16 वर्षों में सातवां उच्चतम स्कोर है।

प्रमुख आयामः आर्थिक भागीदारी एवं अवसर, शिक्षा का अवसर, स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता तथा राजनीतिक सशत्तिफ़करण।

आयामों के अनुसार भारत की स्थिति

सूचकांक/उप-सूचकांक

2022 (146 देश)

2021 (156 देश)

रैंक

स्कोर

रैंक

स्कोर

आर्थिक भागीदारी एवं अवसर

143वां

0.350

151

0.326

शिक्षा का अवसर

107वें

0.961

114

0.962

स्वास्थ्य तथा उत्तरजीविता

146वें

0.937

155

0.937

राजनीतिक सशत्तिफ़करण

48वां

0.267

51

0.276

वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक

135वां

0.629

140वां

0.276

सतत विकास लक्ष्यों पर प्रगतिः जेंडर स्नैपशॉट 2022

प्रकाशनः यू-एन- विमेन तथा संयुत्तफ़ राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग द्वारा।

प्रमुख तथ्यः विश्व में 380 मिलियन महिलाएं और लड़कियां अत्यधिक गरीबी में जीवन यापन कर रही हैं।

  • प्रत्येक 3 में से लगभग 1 महिला खाद्य असुरक्षा का सामना कर रही है।
  • असुरक्षित गर्भपात मातृ मृत्यु का एक प्रमुख कारण है, लेकिन इसे रोका जा सकता है।
  • भारत में एक-चौथाई ग्रामीण परिवारों की महिलाएं और लड़कियां प्रतिदिन 50 मिनट से अधिक समय जल एकत्र करने में लगाती हैं।
  • 15-49 वर्ष की 10 महिलाओं या लड़कियों में से 1 को पिछले वर्ष में अपने साथी द्वारा यौन/शारीरिक हिंसा का शिकार होना पड़ा है।
  • विश्व 2030 तक लैंगिक समानता को प्राप्त करने की राह पर नहीं हैं।