शुरुआत : वर्ष 1998 में
उद्देश्य : लघु आवधिक/दीर्घावधिक कृषि आवश्यकता, फसलोपरांत व्यय, आवश्यकता उपभोग इत्यादि की पूर्ति के लिए किसानों को समय पर ऋण देना।
कार्यान्वयन : वाणिज्यिक बैंकों, सहकारी बैंकों तथा स्थानीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) द्वारा ।
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