मतदाता पहचान पत्र (वोटर आईडी) को आधार के साथ इंटरलिंक करने तथा अन्य चुनाव सुधारों से संबंधित ‘चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक 2021’ को संसद के दोनों सदनों की मंजूरी प्राप्त हो गई।
विपक्ष का आरोपः यह विधेयक कई लोगों को उनके मताधिकार से वंचित कर देगा तथा यह संविधान द्वारा गारंटीकृत निजता के अधिकार का भी उल्लंघन करता है।
संशोधनः विधेयक के माध्यम से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के कुछ प्रावधानों में संशोधन किया गया है।
प्रमुख प्रावधानः विधेयक में यह प्रावधान है कि ‘निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी’ (Electoral Registration Officer) मतदाता सूची में किसी व्यक्ति का नाम शामिल करने के लिए उस व्यक्ति से आधार नंबर की मांग कर सकता है।
चुनाव संबंधी उद्देश्य के लिए परिसरों का अधिग्रहणः 1951 का जनप्रतिनिधित्व अधिनियम राज्य सरकार को मतदान केंद्रों के रूप में उपयोग के लिए या मतदान के बाद मतपेटियों के भंडारण के लिए परिसरों के अधिग्रहण की अनुमति देता है।
सर्विस वोटरः सेवा मतदाता या सर्विस वोटर वे होते हैं, जो सेवा योग्यता रखते हैं। सेवा योग्यता रखने वाला व्यक्ति अपने मूल स्थान पर ‘सर्विस वोटर’ के रूप में नामांकित हो सकता है, भले ही वह वास्तव में दूसरे स्थान (जहां पोस्टिंग है) पर रहता हो।
जन प्रतिनिधित्व (संशोधन) बिल, 2017: लोकसभा में जन प्रतिनिधित्व (संशोधन) बिल, 2017 पेश किया। बिल जन प्रतिनिधित्व एक्ट, 1950 और जन प्रतिनिधित्व एक्ट, 1951 में संशोधन करता है