फैक्टरिंग रेगुलेशन (संशोधन) विधेयक, 2020 बिल फैक्टरिंग रेगुलेशन एक्ट, 2011 में संशोधन करता है और फैक्टरिंग बिजनेस करने वाली एंटिटीज के दायरे को बढ़ाता है।
मुख्य बिंदुः यह विधेयक रिसिवेबल्स की परिभाषा में बदलाव करता है। विधेयक के अनुसार रिसिवेबल्स (पूरा, उसका एक अंश या अविभाजित हित) ऐसी मौद्रिक रकम होती है जोकि कॉन्ट्रैक्ट के अंतर्गत किसी व्यक्ति का अधिकार होता है।
भारत की प्रमुख औद्योगिक नीति | |
औद्योगिक नीति 1948 | श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा प्रस्तुत इस नीति में मिश्रित अर्थवयवस्था की नीति अपनाई गई। उद्योगों को तीन श्रेणियों में बांटा गया, प्रथम श्रेणी में 3 उद्योग रखे गए। द्वितीय श्रेणी में 6 उद्योग रखे गए। तृतीय श्रेणी में 18 उद्योगों को रखा गया। |
औद्योगिक नीति 1956 | जवाहर लाल नेहरू द्वारा प्रस्तुत इस नीति में 17 उद्योगों पर केन्द्र सरकार का पूर्ण नियन्त्रण था। शेष उद्योगों पर निजी उद्योगपतियों का नियन्त्रण था, जो विशेषकर उपभोक्ता वस्तु के उत्पादक थे। |
1977 की औद्योगिक नीति | इसे प्रस्तुत करने का श्रेय जॉर्ज फर्नाडीज को जाता है। लघु व कुटीर उद्योगों के विकास पर जोर दिया गया। लघु उद्योगों को 3 वर्गों में रखा गया। अति लघु (Tinny Sector): क्षेत्र की नई अवधारणा लागू की गई। जिला उद्योग केन्द्रः लघु उद्योग को एक स्थान पर सभी सुविधा उपलब्ध कराना। संयुक्त क्षेत्र की अवधारणा अपनाई गई। |
1980 की औद्योगिक नीति | भारतीय अर्थ व्यवस्था का आधुनिकीकरण विस्तार एवं पिछड़े क्षेत्रों का विकास करना था। |
नई औद्योगिक नीति 24 जुलाई, 1995 | इसे राय मनमोहन नीति भी कहते हैं। इसमें उदारीकरण नीतिकरण एवं भूमण्डलीकरण को अपनाया गया। 18 उद्योगों पर लाइसेंसिंग की पॉलिसी अपनाई गई अर्थात् ये 18 उद्योग सुरक्षा, सामाजिक कारण, पर्यावरण तथा प्रदूषण की दृष्टि से महत्वपूर्ण थे। वर्तमान में 5 उद्योगों के लिए लाइसेन्स लेना अनिवार्य है। एल्कोहल युक्त पेय पदार्थ का आश्वन एवं निर्माण। तम्बाकू के सीगार व सिगरेट तथा इससे बनी वस्तुएं। इलेक्ट्रॉनिक एयरोस्पेस तथा रक्षा समान औद्योगिक विस्फोटक जोखिम वाले रसायन |