भारत के लिए रणनीतिक महत्व

  • हिन्द महासागर क्षेत्र में शांति और सुरक्षा की स्थापना हेतु।
  • इस क्षेत्र में विकास से भारत चीन पर नियंत्रण करने के साथ साथ अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया में अपनी पहुंच को आसान कर सकता है।
  • चीन के विस्तार और बढ़ते वैश्विक प्रभाव को संतुलित करने हेतु
  • व्यापार और निवेश में सहयोग बढाने तथा सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु
  • इसके साथ-साथ समुद्री प्रदुषण को रोकने, अवैध मत्स्यन अपर रोक लगाने तथा गहरे समुद्र में खनिज की खोज में और प्रभावी आपदा जोखिम प्रबंधन हेतु इस क्षेत्र का व्यापक महत्व है।

यूरोपीय संघ की हिन्द प्रशांत नीतिः यूरोपीय संघ द्वारा हिन्द प्रशांत क्षेत्र में सहयोग के लिए यूरोपीय संघ की रणनीति की घोषण की गई है।

कारण

  • यह नीति चीन की आक्रमक तथा विस्तार वादी विदेश नीति को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।
  • अमेरिका और चीन की बढ़ती प्रतिद्वन्द्विता को देखते हुए
  • वैश्विक राजनीति में हिन्द प्रशांत क्षेत्र की बढ़ती भूमिका
  • समुद्री मार्गों तथा व्यापारिक बंदरगाहों के महत्त्व के कारण

उदेश्यः नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को मजबूत करना और उसे बनाये रखना

  • इस क्षेत्र के देशों के साथ पारस्परिक रूप से सहायक व्यापारिक और आर्थिक सम्बन्ध स्थापित करना।
  • सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में योगदान करना।
  • चीन ने श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह का निर्माण किया जो भारत के तटों से कुछ सौ मील की दूरी पर है तथा यह भारत के लिए चिंता का विषय है।
  • चीन भारत के पड़ोसी देशों- म्यांमार, श्रीलंका, बांग्लादेश और थाईलैंड को सैन्य उपकरण जैसे- पनडुब्बी और युद्ध-पोत आदि मुहैया करा रहा है, जो उसके सैन्य उपनिवेशवाद का रूप है।
  • आसियान के कुछ सदस्य देश चीन के प्रभाव में आसियान की एकजुटता के लिये बड़ा खतरा बने हुए हैं क्योंकि चीन आसियान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
  • आसियान भारत के लिये विशेष रूप से एक्ट ईस्ट पॉलिसी के दृष्टिकोण से काफी महत्त्वपूर्ण माना जाता है।

‘हिंद-प्रशांत क्षेत्रीय संवादः हिंद-प्रशांत क्षेत्रीय संवाद भारतीय नौसेना का सर्वोच्च अंतरराष्ट्रीय वार्षिक सम्मेलन और सामरिक स्तर पर नौसेना की सक्रियता बढ़ाने का प्रमुख माध्यम है। पहली बार इसका आयोजन वर्ष 2018 में किया गया था। इसका उद्देश्य इंडो-पैसिफिक के भीतर उत्पन्न होने वाले अवसरों और चुनौतियों दोनों की समीक्षा करना है।

  • वर्ष 2021 आयोजन एक विस्तृत विषयवस्तु फ्21वीं शताब्दी के दौरान सामुद्रिक रणनीति का क्रमिक विकास: अनिवार्यताएं, चुनौतियां और आगे की राहय् के तहत आठ विशेष उप-विषयों पर आधारित है।