मूल्य तथा मुद्रास्फ़ीति

औसत शीर्ष सीपीआई-संयुक्त मुद्रास्फीति 2021-22 (अप्रैल-दिसंबर) में सुधरकर 5.2 प्रतिशत हुई, जबकि 2020-21 की इसी अवधि में यह 6.6 प्रतिशत थी।

  • खुदरा स्फीति में गिरावट खाद्य मुद्रास्फीति में सुधार के कारण आई।
  • 2021-22 (अप्रैल से दिसंबर) में औसत खाद्य मुद्रास्फीति 2.9 प्रतिशत के निम्न स्तर पर रही, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 9.1 प्रतिशत थी।
  • वर्ष के दौरान प्रभावी आपूर्ति प्रबंधन ने अधिकतर आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित रखा।
  • दालों और खाद्य तेलों में मूल्य वृद्धि नियंत्रित करने के लिए सक्रिय कदम उठाए गए।
  • सैंट्रल एक्साइज में कमी तथा बाद में अधिकतर राज्यों द्वारा वैल्यू एडेट टैक्स में कटौतियों से पेट्रोल तथा डीजल की कीमतों में सुधार लाने में मदद मिली।
  • थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित थोक मुद्रास्फीति 2021-22 (अप्रैल से दिसंबर) के दौरान 12-5 प्रतिशत बढ़ी।

ऐसा निम्नलिखित कारणों से हुआ

  • पिछले वर्ष में निम्न आधार
  • आर्थिक गतिविधियों में तेजी
  • कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में भारी वृद्धि तथा अन्य आयातित वस्तुओं तथा
  • उच्च माल ढुलाई लागत

सीपीआई-सी तथा डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति के बीच अंतर

  • मई, 2020 में यह अंतर शीर्ष पर 9.6 प्रतिशतरहा।
  • लेकिन इस वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति के दिसंबर, 2021 की थोक मुद्रास्फीति के 8.0 प्रतिशत के नीचे आने से इस अंतर में बदलाब हुआ है।

प्रभावः सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने वाले, ऋण प्रदान करने वाले, निश्चित आय वर्ग वाले, बचत पर, भुगतान संतुलन पर नकारत्मक प्रभाव पड़ता है, जबकि ऋणी, संयुक्त पूंजी कंपनियों के निवेशक, किसान, उत्पादक तथा उद्यमी वर्ग लाभावन्वित होता है।