आर्थिक सर्वेक्षण

भारतीय आर्थिक सर्वेक्षण वित्त मंत्रालय का एक वार्षिक दस्तावेज है। आर्थिक मामलों का विभाग, वित्त मंत्रालय हर साल केंद्रीय बजट से ठीक पहले संसद में सर्वेक्षण प्रस्तुत करता है। इसे भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार के मार्गदर्शन में तैयार किया जाता है। आर्थिक समीक्षा 2021-22मूल विषय "त्वरित दृष्टिकोण" है, आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

मुख्य विशेषताएं

वित्त वर्ष 2021-22 में रियल टर्म में 9.2 प्रतिशत विकास दर का अनुमान।

  • वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी के 8.0.8.5 प्रतिशत की दर से विकसित होने का अनुमान। अप्रैल-नवम्बर 2021 के दौरान पूंजी व्यय में सालाना आधार पर 13.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
  • 31 दिसम्बर, 2021 तक विदेशी मुद्रा भंडार 633.6 बिलियन डॉलर के स्तर पर पहुंचा।
  • 2021-22 (बीई) में जीडीपी की तुलना में सामाजिक सेवाओं पर व्यय बढ़कर 8.6 प्रतिशत हुआ, जो 2014-15 में 6.2 प्रतिशत था।

आर्थिक सर्वेक्षण के प्रमुख आंकड़े

आर्थिक समीक्षा के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था 2020-21 में 7.3 प्रतिशत की गिरावट के बाद 2021-22 में 9.2 प्रतिशत वास्तविक वृद्धि दर्ज करेगी तथा वर्ष 2022-23 में भारत की आर्थिक विकास दर 8.0-8.5 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया गया है।

प्रमुख क्षेत्रों की वृद्धि दर

क्षेत्र वृद्धि दर

2020-21

2021-22

कृषि क्षेत्र

3.6%

3.9%

औद्योगिक क्षेत्र

7%

11-8%

सेवा क्षेत्र

8.4%

8.2%

2020-21 में 7.3 प्रतिशत की गिरावट के बाद 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 9.3 प्रतिशत (पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार) बढ़ने का अनुमान है।

  • 2022-23 में जीडीपी की विकास दर 8.8.5 प्रतिशत रह सकती है। आर्थिक पुनरुद्धार को समर्थन देने के लिए आने वाले साल में वित्तीय प्रणाली के साथ निजी क्षेत्र के निवेश में बढ़ोतरी की संभावना है। 2022-23 के लिए यह अनुमान विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक की क्रमशः 8.7 और 7.5 प्रतिशत रियल टर्म जीडीपी विकास की संभावना के अनुरूप है।
  • आईएमएफ के विश्व आर्थिक परिदृश्य अनुमान के तहत, 2021-22और 2022-23 में भारत की रियल जीडीपी विकास दर 9 प्रतिशत और 2023-24 में 7.1 प्रतिशत रहने की संभावना है, जिससे भारत अगले तीन साल तक दुनिया की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था बनी रहेगी।
  • 2021-22 में कृषि और संबंधित क्षेत्रों के 3.9 प्रतिशत; उद्योग के 11.8 प्रतिशत और सेवा क्षेत्र के 8.2 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है।
  • 2021-22 में खपत 7.0 प्रतिशत, सकल स्थायी पूंजी निर्माण (जीएफसीएफ) 15 प्रतिशत, निर्यात 16.5 प्रतिशत और आयात 29.4 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। बृहद आर्थिक स्थायित्व संकेतकों से पता चलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2022-23 की चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
  • ऊंचे विदेशी मुद्रा भंडार, टिकाऊ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और निर्यात में वृद्धि के संयोजन से 2022-23 में वैश्विक स्तर पर तरलता में संभावित कमी के खिलाफ पर्याप्त समर्थन देने में सहायता मिलेगी।

विदेशी मुद्रा भण्डार

मौद्रिक और विनिमय दर प्रबंधन को सहायता प्रदान करता है तथा राष्ट्रीय मुद्रा के समर्थन में हस्तक्षेप करने की क्षमता प्रदान करता है।

  • संकट के समय या जब ऋण तक पहुंच में कटौती की स्थिति में नुकसान को कम करता है।
  • बढ़ता विदेशी मुद्रा भंडार भारत के बाहरी और आंतरिक वित्तीय मुद्दों के प्रबंधन में सरकार तथा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को सुविधा प्रदान करता है। भुगतान संतुलन (Balance of Payment) को लेकर संकट की स्थिति में मदद करता है। विदेशी मुद्रा के बढ़ते भंडार के बढ़ने से रुपए के मूल्य में अभिवृद्धि (Appreciation) होती है तथा डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत होता है।