पोचमपल्ली सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गाँव

नवम्बर, 2021 में तेलंगाना के पोचमपल्ली गांव को संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन UNWTO) द्वारा सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांवों में से एक के रूप में चुना गया।

  • यह पुरस्कार दिसंबर 2021 में मैड्रिड (स्पेन) में UNWTO महासभा के 24वें सत्र के अवसर पर प्रदान किया गया।
  • केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने एक ग्रामीण पर्यटन नीति का मसौदा तैयार किया है, जो न केवल हमारे गांवों में पर्यटन को बढ़ावा देगी बल्कि स्थानीय कला और शिल्प को पुनर्जीवित करेगी तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगी।
  • इससे पूर्व तेलंगाना के मुलुगु जिले में स्थित रुद्रेश्वर मंदिर (जिसे रामप्पा मंदिर के रूप में भी जाना जाता है) को यूनेस्को (UNESCO) की विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल किया गया है।

प्रमुख बिंदुः पोचमपल्ली, तेलंगाना के नलगोंडा जिले का एक कस्बा है और इसे अक्सर उत्कृष्ट साड़ियों के लिये भारत के सिल्क सिटी के रूप में जाना जाता है, जिसे इकत (IKAT) नामक एक अनूठी शैली के माध्यम से बुना जाता है।

  • पोचमपल्ली इकत शैली को वर्ष 2004 में एक भौगोलिक संकेतक (GI Status) के रूप में दर्ज किया गया।
  • पोचमपल्ली की अनूठी बुनाई शैलियों और पैटर्न पर प्रधानमंत्री के ‘वोकल फॉर लोकल’ (Vocal for Local) के उद्देश्य के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना के एक भाग के रूप में विशेष रूप से ध्यान दिया गया है।
  • प्रधानमंत्री ने बुनाई की तकनीकों की विविधता और हमारी समृद्ध हथकरघा परंपरा को मान्यता देने के लिये 7 अगस्त, 2015 को पहले राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का उद्घाटन स्वदेशी आंदोलन की औपचारिक घोषणा के लिये एक श्रद्धांजलि के रूप में किया था।
  • 18 अप्रैल, 1951 को इस गांव से आचार्य विनोबा भावे द्वारा शुरू किये गए भूदान आंदोलन की याद में पोचमपल्ली को भूदान पोचमपल्ली के नाम से भी जाना जाता है।