जुलाई, 2021 में गुजरात (Gujarat) के धोलावीरा को यूनेस्को (UNESCO) की विश्व धरोहर में शामिल किया गया है। सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) के पांच बड़े शहरों में से एक धोलावीरा, भुज से करीब 250 किमी की दूरी पर है।
भारत का पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeology Survey of India, ASI) के अनुसार, धोलावीरा में हुई खुदाई में सात सांस्कृतिक चरणों का पता चला है, जो सिंधु घाटी सभ्यता के विकास और पतन की गवाही देते हैं। इसके अलावा धोलावीरा के दो खुले मैदानों और जल संचयन प्रणाली का खासतौर से जिक्र किया गया है।
यूनेस्को की वर्ल्ड हैरिटेज कमेटी के अनुसार, दक्षिण एशिया में तीसरी से दूसरी मध्य सहशताब्दी ईसा पूर्व के बीच यह सबसे उल्लेखनीय और अच्छी तरह से संरक्षित की गई शहरी बस्ती है। वर्ष 1968 में खोजी गई यह जगह अपनी खास विशेषताओं के कारण अलग है। जैसे- जल प्रबंधन, कई स्तरों वाली रक्षा व्यवस्था, निर्माण में पत्थरों का अत्याधिक इस्तेमाल और दफन करने की खास संरचनाएं। खुदाई के दौरान यहां तांबे, पत्थर, टेराकोटा के आभूषण, सोने की कलाकृतियां मिली थीं।
ASI के अनुसार, सभ्यता के शुरुआती चरणों से पता चलता है कि निवासी भवनों को प्लास्टर करने के लिए रंगीन मिट्टी का उपयोग किया जाता था, लेकिन बाद में यह अचानक से खत्म हो गया, जैसे कोई शाही फरमान जारी किया गया हो या लोगों ने आपसी सहमति बना ली हो।