राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति, 2021

‘दुर्लभ बीमारियों’ से ग्रसित मरीजों के देख-रेख करने वाले तथा अन्य संबद्ध संगठन हाल ही में जारी ‘राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति’ (National Policy for Rare Diseases), 2021 से संतुष्ट नहीं हैं।

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इस नीति के तहत, ‘दुर्लभ बीमारियों’ से ग्रसित रोगियों को मिलने वाली सरकारी सहायता, 15 लाख रुपए से बढाकर 20 लाख रुपए तक करने का निर्देश दिया गया है। लेकिन, देखभाल करने वालों का कहना है कि यह नीति, उपचार पर होने वाले वास्तविक व्यय पर विचार नहीं करती है।

  • ‘दुर्लभ बीमारियों’ से ग्रसित रोगियों के हिमायती समूहों द्वारा जीवन के लिए खतरा उत्पन्न करने वाले दुर्लभ, अनुवांशिक विकारों से ग्रस्त रोगियों के लिए ‘राष्ट्रीय नीति’ में वित्तीय सहायता की कमी के बारे में चिंता व्यक्त की गई है।

‘प्रमुख बिंदुः दुर्लभ बीमारियों से ग्रसित मरीज, शीघ्र ही ‘आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ (AB-PMJAY) के तहत एक मुश्त उपचार के लिए पात्र होंगे।

  • इस नीति के तहत, लाभार्थियों को ‘निर्धनता रेखा से नीचे’ (ठच्स्) आने वाले परिवारों तक सीमित नहीं रखा जाएगा, बल्कि इनको लगभग 40% आबादी तक विस्तारित किया जाएगा। योजना के तहत, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) के 23 मानदंडों के अनुसार पात्र लाभार्थी, तृतीय संस्तर का इलाज करने वाले केवल सरकारी अस्पताल में उपचार करा सकते हैं।
  • इस नीति के तहत, दुर्लभ बीमारियों की तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया हैः एक बार के उपचार की जरूरत वाली बीमारियां, दीर्घकालिक किंतु सस्ते उपचार की आवश्यकता वाली बीमारियां तथा महंगे एवं दीर्घकालिक उपचार की आवश्यकता वाली बीमारियां।

दुर्लभ बीमारियाँ

  • ‘दुर्लभ बीमारी’ (rare diseases) को अनाथ बीमारी या ‘ऑर्फन डिजीज’ (orphan disease) के रूप में भी जाना जाता है।
  • ये आबादी के छोटे प्रतिशत को प्रभावित करने वाली बीमारियां होती है, अर्थात् प्रायः कम लोगों में पायी जाती है।
  • अधिकांश दुर्लभ रोग अनुवांशिक होते हैं। किसी व्यक्ति में, ये रोग, कभी-कभी पूरे जीवन भर मौजूद रहते हैं, भले ही इसके लक्षण तत्काल दिखाई न देते हों।

आमतौर पर पाई जाने वाली दुर्लभ बीमारियाँ

  • हीमोफिलिया, थैलेसीमिया, सिकल-सेल एनीमिया और बच्चों में प्राथमिक रोगप्रतिरोधक क्षमता की कमी, ऑटो-इम्यून डिजीज, लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर जैसे पॉम्पी डिजीज, हिर्स्चस्प्रुंग डिसीज, गौचर डिजीज, सिस्टिक फाइब्रोसिस, हेमांगीओमास तथा कुछ प्रकार के पेशीय विकृति रोग, भारत में प्रायः पाई जाने वाली सबसे आम दुर्लभ बीमारियों के उदाहरण है।