मानव मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का विकास

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) द्वारा मानव मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के विकास हेतु एक नयी परियोजना को मंजूरी प्रदान की गई है।

इस परियोजना को सीएसआईआर द्वारा ‘न्यू मिलेनियम इंडियन टेक्नोलॉजी लीडरशिप इनिशिएटिव’ (NMITLI) कार्यक्रम के तहत मंजूरी प्रदान की गई है।

मुख्य बिन्दुः यह परियोजना नेशनल सेंटर फॉर सेल साइंस (NCCS), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), इंदौर और प्रेडोमिक्स टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा कार्यान्वित की जाएगी तथा भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (BBIL) परियोजना का व्यावसायिक साझेदार के रूप में कार्य करेगा।

  • टीकों और जैव-उपचार के विकास से जुड़ी कंपनी बीबीआईएल इस परियोजना का नेतृत्व कर रही है। बीबीआईएल परियोजना की वाणिज्यिक साझीदार है।
  • जिसकी जिम्मेदारी मानव मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के विकास और व्यवसायीकरण की भी होगी।

मुख्य उद्देश्यः इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य एक ऐसी प्रभावी चिकित्सा रणनीति का निर्माण करना है, जिसके जरिये अधिक प्रभावी और विशिष्ट मानव मोनोक्लोनल एंटीबॉडी विकसित करना आसान हो सके तथा जो रोगियों में कोरोना वायरस के संक्रमण को अप्रभावी बनाने में सक्षम हो सके।

परियोजना का लक्ष्य

  • इस परियोजना का मुख्य लक्ष्य वायरस का भविष्य में होने वाले अनुकूलन का अनुमान लगाना है।
  • इसके साथ ही, वैज्ञानिकों द्वारा मानव मोनोक्लोनल एंटीबॉडी क्लोन तैयार करने का प्रयास करना है, ताकि रूपांतरित कोरोना वायरस को बेअसर कर सके।
  • वैज्ञानिकों की इस पहल का लक्ष्य कोरोना वायरस के नये उभरते रूपों से लड़ने के लिए तैयारी करना भी है, ताकि भविष्य में इसके संक्रमण से मुकाबला किया जा सके।