भारत में महिलाओं पर प्रभाव डालने वाले मुद्दों की दीर्घकालिक प्रकृति हैं। मंत्रालयों/विभागों द्वारा चलाये जाने वाले योजनाओं के बेहतर कार्यान्वयन के लिए समन्वित दृष्टिकोण की आवश्यकता है; ताकि महिलाओं के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देने वाली प्रक्रियाओं को मजबूत किया जा सके। इसके लिए महिलाओं के लिए एक व्यापक नीति की जरूरत है।
प्राथमिकताएं
आर्थिक उपायः इसके तहत महिलाओं के प्रशिक्षण और कौशल विकास की व्यवस्था की जाएगी। व्यापार समझौतों और भूस्वामित्व के डेटा बेस को महिलाओं के अनुकूल बनाना; श्रम कानूनों, नीतियों की समीक्षा करना और मातृत्व व बच्चों की देखभाल संबंधी सेवाओं को ध्यान में रखते हुए उचित लाभ, समान रोजगार के अवसर प्रदान करना तथा महिलाओं की तकनीकी आवश्यकताओं को पूरा करना शामिल है।
महिलाओं के खिलाफ हिंसाः नियमों और कानूनों के द्वारा महिलाओं के खिलाफ हर प्रकार की हिंसा को रोकना।
पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तनः जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के नुकसान से होने वाली प्राकृतिक आपदा के समय होने वाले पलायन के दौरान लैंगिक समस्याओं को दूर करने को इसमें शामिल किया गया है।
महिलाओं के प्रति सभी प्रकार के भेदभाव का उन्मूलन पर केंद्रित यूएन ‘संधि’ महिलाओं के प्रति सभी प्रकार के भेदभाव को रोकने के लिए 1979 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा इसे अपनाया गया था। अभिसमय के सभी 30 अनुच्छेदों को छः भागों में वर्णन किया गया है-
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