वर्ष 1952 में माध्यमिक शिक्षा के विकास के संबंध में चेन्नई विश्वविद्यालय के कुलपति मुदालियर की अध्यक्षता में ‘मुदालियर कमीशन’ गठित किया गया था।
आयोग ने स्कूलों की 12वीं कक्षा को विश्वविद्यालयों के साथ जोड़कर तीन वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम लागू करना, बहुउद्देश्यीय विद्यालयों की स्थापना करना, विद्यालयों में कैरियर मास्टर्स की नियुक्तियां करना, कोर विषयों को आवश्यक किया जाना तथा ‘अखिल भारतीय माध्यमिक शिक्षा परिषद’ की स्थापना करना; जैसे अनेक महत्वपूर्ण सुझाव दिये गये।
इस सुझावों के फलस्वरूप ही ‘अखिल भारतीय माध्यमिक शिक्षा परिषद’ का गठन हुआ; जिसे 1961 में ‘राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद्’ (एनसीईआरटी) के रूप में पुनर्गठित कर इसके क्षेत्र को व्यापक कर दिया गया।