प्रशासन में निष्पक्षता के मूल्य का महत्व

सामान्य अर्थों में निष्पक्षता (Fairness) का तात्पर्य ‘बिना पक्षपात के सेवा सम्पादित करना’ है। वस्तुतः गैर तरफदारी और निष्पक्षता (Fairness) में कोई मौलिक अंतर नहीं है। निष्पक्षता गैर तरफदारी का ही सकारात्मक पहलू है।

  • प्रशासन में निष्पक्षता (Fairness) का होना अत्यधिक आवश्यक है। प्रशासन में निष्पक्षता (Fairness) के अभाव के कारण कानूनी मामले बढ़ने लगते हैं। यदि प्रशासन में निष्पक्षता बरती जाए तो बहुत सारे कानूनी मामलों को प्रशासनिक स्तर पर ही हल किया जा सकता है। सर्वप्रथम वेबर (Weber) ने नौकरशाही की निष्पक्षता की धारणा पेश की थी। तब से लेकर अनेक विद्वानों ने निष्पक्षताकी व्याख्या करने का प्रयत्न किया है। निष्पक्ष नौकरशाही की पहचान कई गुणों, जैसे- विशेषज्ञता, निष्पक्षता, स्थिरता तथा के साथ की जाती है।
  • राजनीतिक निष्पक्षता का अर्थ नौकरशाही के सदस्यों का व्यक्तिगत रूप में राजनीतिक क्रिया व पक्षपात से परहेज करना ही नहीं, अपितु यह भी है कि चाहे सरकार का राजनीतिक रंग कोई भी हो, नौकरशाही उसकी इच्छा के अनुरूप चलेगी।
  • एक प्रशासन को राजनीतिक दलों के बीच अथवा प्रभुत्वकारी दल के भीतरी गुटों के झगड़े में उलझना नहीं चाहिए। इसका अर्थ यह है कि प्रशासन को जागरूक होकर निरंतर प्रयत्न करना चाहिए कि वह राजनीति कैसी भी हो उससे अपने आप को अलग रखे।

निष्पक्षता (Fairness) मापन के आयाम

निष्पक्ष अथवा राजनीतिविहीन नौकरशाही की मूल शर्त यह होती है कि लोक-नौकरशाही को प्रशिक्षण और परम्परा के द्वारा एक ऐसे राजनीतिक संस्थान का रूप दे दिया जाये कि वह अपने राजनीतिक विचारों के प्रभाव के बिना सार्वजनिक नीतियों को लागू करे। कुछ आयामों का उल्लेख जिनके द्वारा निष्पक्षता की धारणा का मापन किया जा सकता है। ये है-

  1. निर्णय करने की प्रक्रिया में प्रभाव की मात्रा।
  2. किस दर्जे तक राजनीतिक कार्यकारिणी को नौकरशाही से अलग किया गया है।
  3. लोकसेवकों के काम में राजनीतिक हस्तक्षेप कहां तक होता है।
  4. नौकरशाही किस हद तक राजनीति में उलझी हुई है।
  5. जनता को नौकरशाही में किस हद तक विश्वास है। एक निष्पक्ष अथवा राजनीतिविहीन नौकरशाही के लिए जरूरी है कि पहली चार स्थितियों में उनकी अंक-प्राप्ति शून्य होनी चाहिए जबकि अंतिम अथवा पांचवीं स्थिति में इनकी अंक-प्राप्ति उच्चतम स्तर तक होनी चाहिए।

निष्पक्षता (Fairness) की आवश्यकता क्यों?

  • यह गुण अथवा योग्यता की व्यवस्था का उत्पादन है और इससे निष्पक्ष अराजनीतिक लोक-सेवा की प्राप्ति होती है।
  • एक निष्पक्ष नौकरशाही में जिन गुणों (जैसे-स्थायित्व निरंतरता, विश्वसनीयता और व्यावसायिकवाद) की कल्पना की जाती है।
  • इनके लाभ उन दोषों (जैसे-रूढ़िवाद नित्यचर्या से अलग होकर चलने की अनिच्छा धीमें परिवर्तन को अधिक अच्छा समझना, अशांत वातावरण में लोकनीति-निर्माण में बाधाएं उपस्थित करना) से अधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
  • बहुदलीय लोकतांत्रिक राज्यों में जहां सामान्य इच्छा के परिवर्तन से सरकार के राजनीतिक रंग में परिवर्तन आ जाता है। सरकार के कुशलतापूर्वक कार्य करने के लिए लोकसेवा में सकारात्मक निष्पक्षता का होना अनिवार्य माना जाता है।

लोकसेवा में निष्पक्षता (Fairness)

लोक सेवकों की निष्पक्षता से तात्पर्य है कि वे राजनीतिक दृष्टि से तटस्थ रहेंगे और अपने पूरे सेवाकाल में निष्पक्ष रहेंगे।

लोक सेवा के प्रति समर्पणः समर्पण वह व्यक्तिगत गुण है जिसके तहत संबंधित व्यक्ति किसी भी कार्य को करने के लिए समय का प्रयोग बेहतर तरीके से करता है। समर्पण एक तरह का वादा होता है जो व्यक्ति स्वयं से अन्य के लिए करता है। यह ऐसा व्यक्तिगत गुण है जिसका प्रयोग किसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है।

  • समर्पण शब्द सुनते ही हमें उत्साह, उमंग के साथ कार्य करने का बोध होता है। किसी समझौते में शामिल इस गुण के कारण ही एक व्यक्ति इसे बेहतर अंजाम दे पाता है इसी गुण के कारण व्यक्ति अपने कर्त्तव्य का निष्पादन बेहतरीन ढंग से करता है।
  • कई बार बहुत अधिक उत्तरदायित्व न होने के बावजूद व्यक्ति भक्तिभाव के कारण समर्पण दिखाता है, समर्पण व्यक्ति को अक्सर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है और भटकाव से भी बचाता है।
  • लोक सेवा के प्रति समर्पण से तात्पर्य है कि व्यक्ति केवल जनहित में कार्य करता है, यहां बिना रूके हुए जनहित में कार्य करने का प्रयास किया जाता है। एक समर्पित लोकसेवक अपने कार्य की जिम्मेदारी हमेशा खुद पर लेता है।
  • एक समर्पित व्यक्ति किसी भी कार्य के निष्पादन के लिए स्वप्रेरित होता है, चाहे वह कार्य उबाऊ ही क्यों न हो। जिसे अपने दायित्व का बोध होता है, वह स्वतः ही समर्पित हो जाता है। एक समर्पित लोकसेवक प्रतिकूल परिस्थितियों में भी बेहतर ढंग से कार्य करता है और अपने कार्य से ही आनंद प्राप्त करता है।
  • सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण की भावना हेतु सिविल सेवक से संबंधित पहलू-
    1. सेवा की भावना से समर्पित व्यक्ति ईमानदार, सत्यनिष्ठा और निष्पक्ष बना रहता है।
    2. भाषा जैसी संकीर्ण सोच से ऊपर उठकर राष्ट्र के उत्थान तथा निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
    3. सार्वजनिक सेवा से प्रेरित सिविल सेवक न ही भ्रष्ट गतिविधियों में भाग लेता है।
    4. सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण का भाव व्यक्ति में निर्भरता को जन्म देता है।
    5. एक समर्पित सिविल सेवक ऐसी सेवा देने का प्रयास करता है, जो सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय की स्थापना में कारगर साबित होता है।
    6. समर्पण की भावना से एक सिविल सेवक को समाज के अन्य लोगों को भी सेवा हेतु प्रेेरित करना चाहिए।
    7. सार्वजनिक सेवा में समर्पण की भावना सिविल सेवक को भाई-भतीजावाद की भावना से परे रखती है।
    8. समर्पित भावना से प्रेरित सिविल सेवक जनता के लिए रहनुमा बन जाता है।
    9. सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण जनता की भागीदारी प्राप्त करने में एक कारगर माध्यम साबित होगा।
    10. सार्वजनिक सेवा की भावना से प्रेरित सिविल सेवक सदैव उत्तरदायित्व को ग्रहण करना चाहता है।