आपदा के दौरान मानव मूल्यों का महत्व

ग्लोबलाईजेशन या वैश्वीकरण का अगर हम निष्पक्ष तरीके से मौजूदा समय में आकलन करें तो पायेंगे कि. कोविड-19 महामारी के दुनिया में आने और फिर छा जाने से बहुत पहले ही- वैश्वीकरण की उदार व्यवस्था न सिर्फ धीरे-धीरे कमजोर पड़ रही थी। महामारी ने सामाजिक मूल्यों का महत्व हमें समझाया है। इसमें आत्मनिर्भर होना, स्वच्छ रहना, बचत का महत्व, क्षमा, दया, परोपकार आदि प्रमुख हैं।

  • महामारी के दौरान गंभीर रूप से बीमार मरीजों के संदर्भ में लिए जाने वाले निर्णयों से लेकर दवाईयों के उचित प्रयोग तथा टीकों के संबंध में व्यक्तिगत चयन बनाम सार्वभौमिक कल्याण (Universal Weflare) जैसी बहसों ने हमारे नैतिक सिद्धांतों को झकझोरा है तथा हमारे समक्ष नई प्रकार की नैतिक दुविधाओं को खड़ा किया है।
  • इस महामारी ने दुनिया को यह सबक सिखा दिया है कि जिस तरह के खतरों से वो खुद को तैयार कर रहे थे वह काफी नहीं। ऐसे में दुनिया के देशों को सिर्फ बड़े-बड़े युद्धों या विश्व युद्धों के लिए ही खुद को तैयार करना ही पर्याप्त नहीं, इस तरह के गैर-पारंपरिक खतरों से निपटने के लिए एक सामूहिक साझा तंत्र विकसित करने की जरूरत है।

महामारी से निपटने के मूल्य, चुनौती और महत्व

करुणा दुनिया के सभी प्रमुख धर्मों तथा समाजों का एक प्रमुख मूल्य तथा विशेषता है और ‘स्वास्थ्य देखभाल’ (Universal Welfare) जैसे व्यवसायों के लिए आवश्यक आधारभूत मानवीय मूल्य है। करुणा का अर्थ होता है, ‘दुख साझा करने का भाव’। करुणा से भरे लोग तथा नीतियां दुखों की पहचान कर उनके उपशमन (Alleviation) का प्रयास करते हैं।

  • फ्रांसीसी दार्शनिक आंद्रे कॉम्टे स्पोंविल (Andre Comte-Sponville) के अनुसार, करुणा का अर्थ है "कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार के दुःख या पीड़ा को उदासीनता के साथ न देखे।’’
  • कोरोना महामारी संकट के दौरान विश्व भर में लोगों ने करुणा के साथ एक-दूसरे की सहायता के उदाहरण प्रस्तुत कियेः
  • स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों ने अपनी चिंता किये बिना लोगों के इलाज में अपना पूरा समय दिया।
  • लोगों ने अपने पड़ोसियों के लिए भोजन एवं दवाईयों से लेकर अन्य कई प्रकार की सहायता की।
  • भारत ने कोरोना की दूसरी लहर (Second Wave) के दौरान ऑक्सीजन संकट से जूझ रहे लोगों के लिए सिलिंडर से लेकर वित्तीय सहायता (Financial Help) के लिए अपने खजाने खोल दिए।
  • समाज में मौजूद करुणा के कारण ही हमें इस महामारी से निपटने तथा अधिक से अधिक लोगों को बचाने में म मिली।
  • महामारी के दौरान विश्व भर की सरकारों ने भी अपनी नीतियों में करुणा के तत्वों का समावेश करने का प्रयास किया। बेरोजगारी से संबंधित लाभों के प्रसार से लेकर मुफ्त अनाज बंटवाने जैसी नीतियां लागू की गईं।
  • लॉकडाउन खुलने के बाद निर्णय निर्माण में भी सरकारों को करुणा आधारित निर्णय निर्माण (Compssaion-guided Decision Making) की आवश्यकता होगी, ताकि लोगों की परेशानियों तथा दुखों को ध्यान में रखकर फैसले लिए जा सकें।