पशु अंग प्रत्यारोपण: नैतिक चिंताएं

हाल ही में डॉक्टरों ने अमेरिका में एक मरीज की जान बचाने के अंतिम प्रयास में उसमें सुअर के दिल का प्रत्यारोपण किया।

  • आदिकाल से मानव एवं पशुओं में गहरा संबंध रहा है। वे एक दूसरे के पूरक रहे हैं। चिकित्सा विज्ञान वर्तमान में इस विषय पर गंभीरता से शोध कर रहा है कि किन-किन से पशुओं के अंगों का उपयोग मानव शरीर में किया जा सकता है। वर्तमान में चूहे, बंदर, सूअर एवं भेड़ पर शोध की जा रहा है। उनके कई अंगों का उपयोग मानव शरीर में प्रत्यारोपण के लिए किया जा सकता है।
  • एक पशु के स्वस्थ दिल को दूसरी प्रजाति के शरीर में प्रत्यारोपित करने की प्रक्रिया को ‘जेनोट्रांसप्लांटेशन’ कहा जाता है। ‘नेचर जर्नल’ में प्रकाशित इस अध्ययन में माना जा रहा है कि इस प्रक्रिया से भविष्य में इंसानों को भी नया जीवन दिया जा सकेगा। प्रत्यारोपण के लिए सुअरों के जीन में बदलाव किया गया ताकि दूसरी प्रजाति के प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को दबाया जा सके।
  • लोगों की जीवनशैली पूरी तरह से बदल चुकी है। नई-नई समस्याएं पैदा हो रही हैं। तनाव एक बड़ी समस्या के रूप में उभर रहा है। तनाव के कारण बीपी एवं शुगर की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं।
  • बीपी और शुगर बढने से किडनी, हार्ट एवं ब्रेन की समस्या काफी बढ़ गई हैं। जिस तरह देशभर में लोगों के किडनी एवं अन्य अंगों में खराबी आ रही है, उस अनुपात में अंग नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में वैज्ञानिक पशुओं के अंगों के उपयोग पर विचार किया जा रहा है। रिसर्च चल रही है। वैज्ञानिकों को कुछ हद तक सफलता भी मिली है।

जेनोट्रांसप्लांटेशन

  • जेनोट्रांसप्लांटेशन (Xenotransplantation) में मानव में अमानवीय (मनुष्य के अलावा किसी अन्य से) ऊतकों या अंगों का प्रत्यारोपण शामिल है।
  • सुअर के दिल का इंसान में यह पहला सफल प्रत्यारोपण है। हालांकि यह बहुत जल्द पता चल जाएगा कि क्या ऑपरेशन वास्तव में काम करेगा।
  • जीन-एडिटिंग से गुजरने वाले सुअर के दिल का उपयोग उसकी कोशिकाओं में शुगर को हटाने के लिये किया गया है जो उस अंग अस्वीकरण हेतु उत्तरदायी है।
  • जीनोम एडिटिंग (जिसे जीन एडिटिंग भी कहा जाता है) तकनीकों का एक समूह है जो वैज्ञानिकों को एक जीव के डीऑक्सी-राइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA) को बदलने की क्षमता प्रदान करता है।
  • इस तरह के प्रत्यारोपण या जेनोट्रांसप्लांटेशन के पहले के प्रयास विफल रहे हैं। प्रत्यारोपण में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक अंग अस्वीकरण है।
  • इसने मानव प्रत्यारोपण के लिये सूअरों के उपयोग पर एक बहस फिर से छेड़ दी है, जिसका कई पशु अधिकार समूह विरोध करते रहे हैं।

नैतिक चिंताएं

इसे सम्बंधित नैतिकतापूर्ण मत यह है कि पशुओं के भी मानवों के समान अधिकार है। क्या किसी पशु के साथ लगातार शारीरिक छेड़छाड़, अलग करके रखा जाना तथा मौत के रूप में लगातार पीड़ा देना नैतिकतापूर्ण है?

  • शोधकर्ताओं ने व्यवस्थित रूप से उन अध्ययनों की जांच की जिनमें जानवरों का उपयोग हुआ है और यह निष्कर्ष निकाला कि जानवरों पर प्रयोग से मनुष्यों को फायदा होने वाले विचार के समर्थन में बेहद कम साक्ष्य मौजूद हैं।
  • गैर-पशु परीक्षण विधियों के विकास में संसाधनों को समर्पित कर मानव स्वास्थ्य क्षेत्र के उन्नत होने की अधिक संभावना है, जिसमें आमतौर पर जानवरों पर गलत परीक्षणों की बजाय मनुष्यों के लिए सस्ता, तेज, और अधिक प्रासंगिक होने की क्षमता है।
  • एक संगठन पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ ऐनिमल्स (PETA) ने इलाज के लिए सूअर के हार्ट के इस्तेमाल को ‘अनैतिक, खतरनाक और संसाधनों की बर्बादी’ कहकर निंदा की है। जानवरों को इंसानों जैसा बनाने के लिए उनके जीन में बदलाव करना गलत है।

महत्व

यह विकास हमें वैश्विक स्तर पर अंग की कमी को हल करने के लिये एक कदम और करीब ला सकता है।

  • भारत में मरीजों को वार्षिक रूप से 25,000-30,000 लीवर ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है।
  • अंग प्रत्यारोपण के लिये सूअर तेजी से लोकप्रिय होते जा रहे हैं।
  • सुअर के अंग से लाभ प्राप्त किया जाता हैं, क्योंकि उन्हें छह महीने में वयस्क मानव आकार को बढ़ाना और प्राप्त करना आसान होता है।